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नीलाम शब्द का इस्तेमाल हमारे यहां अक्सर कानूनी तौर पर किया जाता है यानी सरकार द्वारा किसी व्यक्ति की आर्थिक देयताओं के चुकारे के लिए उसकी सम्पत्ति को बेचकर भुगतान करना। | | |
जि न यूरोपीय भाषाओं से हिन्दी के शब्दभंडार में वृद्धि हुई है उनमें अंग्रेजी का योगदान सर्वाधिक है। मगर पुर्तगाली और फ्रैंच भाषाओं की हिस्सेदारी भी है। गौरतलब है कि करीब चार सदियों पहले से इन तीनों ही देशों के लोगों का भारत आगमन शुरू हो चुका था। अंग्रेजों से भी पहले पंद्रहवी सदी के उत्तरार्ध में पुर्तगाली भारत के पश्चिमी तट पर आ चुके थे। इन सभी देशों ने भारत के अलग अलग इलाकों में अपने उपनिवेश स्थापित किए। स्थानीय लोगों से मेलजोल के क्रम में अंग्रेजी, पुर्तगाली और फ्रैंच भाषाओं के शब्द धीरे धीरे भारतीय बोलियों में समाते चले गए। नीलाम nilam या नीलामी एक ऐसा शब्द है जो हिन्दी-उर्दू में खूब इस्तेमाल होता है। पुर्तगाली भाषा से भारतीय भाषाओं में आया यह एक ऐसा शब्द है जिसका सीधा-सीधा वैकल्पिक शब्द हिन्दी में नहीं है।
ऊंची बोली, ऊंचा खेल
नीलाम शब्द पुर्तगाली भाषा का है जिसमें इसका रूप है लेलाओ leilao. नीलामी व्यापारिक प्रक्रिया से जुड़ा शब्द है। कारोबार में मूलतः खरीदी-बिक्री की क्रियाएं आती है। नीलामी की क्रिया में जो भाव है उसमें अधिक मूल्य पर बिक्री करना या कम मूल्य पर खरीदना शामिल है। नीलामी मूलतः बेचने की क्रिया है। कोई भी विक्रेता अपना सामान इस ढंग से बेचता है कि बाजार आने वालों को उसकी पूरी जानकारी हो जाए। जानकारी कराने की यह प्रक्रिया दूर-दूर तक अपने एजेंट नियुक्त करने से लेकर विक्रय स्थल पर मुनादी और विज्ञापनों में भी नजर आती है। सबसे पहली बात जो खरीदार जानना चाहता है वह है मूल्य जिसका उल्लेख प्राचीनकाल से आज तक बाजार में विक्रेता द्वारा चिल्ला-चिल्लाकर ही किया जाता है। नीलाम शब्द का इस्तेमाल हमारे यहां अक्सर कानूनी तौर पर किया जाता है यानी सरकार द्वारा किसी व्यक्ति की आर्थिक देयताओं के चुकारे के लिए उसकी सम्पत्ति को बेचकर भुगतान करना। मगर नीलाम कारोबारी दुनिया का सामान्य शब्द है। वस्तु विपणन से जुड़े बड़े सौदे नीलामी के जरिये ही संपन्न होते हैं। किसी भी शहर के थोक बाजार से खुदरा व्यापारी नीलामी के जरिये ही आवश्यक सामग्री खरीदते हैं। नीलामी में कीमत लगाने के लिए प्रचलित शब्द है बोली। यह भाषा के अर्थ में बोली न होकर तय की गई कीमत होती है। चूंकि नीलाम स्थल पर हर आदमी ऊंची आवाज़ में अपनी और से निर्धारित रकम की घोषणा ऊंची आवाज़ में बोल कर करता है इसलिए इसे बोली कहा जाता है।
इल्म की कीमत
प्रख्यात प्राच्यविद चार्ल्स फिलिप ब्राऊन (1798-1884) ने अपनी तेलुगू-इंग्लिश डिक्शनरी में पुर्तगाली leilao की व्युत्पत्ति अरबी मूल के अल-इल्म से मानी है जिससे बना है इल्म जिसमें जानकारी होना, बतलाना, ज्ञान कराना, विज्ञापन जैसे भाव है। गौर करें कि नीलाम की प्रक्रिया में खरीददार को वस्तु के मूल्य और वस्तु के अन्य विवरणों से अवगत कराया जाता है। ब्राऊन के मुताबिक सेमिटिक धातु इल्म यानी ज्ञान ही इस शब्द के मूल में है। अरबों ने जब स्पेन पर फतह पाई तब अरबी का प्रभाव समूचे दक्षिण-पश्चिमी यूरोप पर पड़ा था। स्पेन, पुर्तगाल और इटली इसमें खास हैं। यूं भी ग्रीक और लैटिन में सेमिटिक शब्दावली से शब्दों की आवाजाही प्राचीनकाल से चलती रही है। माना जा सकता है कि दसवी-ग्यारहवी सदी में यह शब्द अरबी के जरिये पुर्तगाली में पहुंचा और पंद्रहवीं-सोलहवीं सदी में पुर्तगालियों के साथ भारत आ गया। तेलुगू में पुर्तगाली लेलाव के इलामू, वेलामू जैसे रूप मिलते हैं जिसका मतलब होता है नीलामी की घोषणा करना। पुर्तगाली से यह शब्द कोंकणी में दाखिल हुआ लिलांव Lilanv के रूप में। मराठी में यह लिलाम हुआ। दक्कनी हिन्दी से ही यह शब्द उत्तर भारतीय भाषाओं में पहुंचा जहां उसका रूप बतौर Nilam स्थिर हुआ। वैसे गांवों में आज भी नीलाम को लीलाम (लिलाम) कहने का ही चलन है। ऑक्शन-सेल
नीलामी के लिए अंग्रेजी में ऑक्शन auction शब्द प्रचलित है जो प्राचीन भारोपीय मूल का है। इसमें बोली लगाने का भाव है अर्थात बढ़-चढ़ कर बोलना, दाम लगाना। ऑक्शन बना है लैटिन के आक्शनेम से जिसके मूल में प्राचीन भारोपीय धातु अग या ऑग aug है जिसका मतलब है बढ़ना, विस्तार, वृद्धि। संस्कृत की अग् धातु से इसकी साम्यता पर गौर करें जिसमें आगे जाना, आगे बढ़ना जैसे भाव है। संस्कृत की सहोदरा अवेस्ता की तरह ही संस्कृत और लिथुआनी में भी काफी समानता है। लिथुआनी में इस मूल से बना है आगू augu, ग्रीक में आखो auxo जैसे शब्द इससे बने हैं जिनमें वृद्धि का ही भाव है। स्पष्ट है कि aug से बने ऑक्शन में नीलामी का मतलब ऊंचे और महंगे दामों पर किसी वस्तु को बेचने का भाव ही है। बोले तो बोली या बिड
बोली के लिए अंग्रेजी में बिड bid शब्द है। इसमें निविदा सूचना, विज्ञप्ति आदि भी शामिल है। जिस तरह पुर्तगाली के लेलांव शब्द के पीछे अरबी की इल्म धातु है जिसमें जानना, ज्ञान कराना जैसे भाव हैं, उसी तरह बिड भी प्राचीन भारोपीय भाषा परिवार की धातु भुध bhudh से बना है। संस्कृत की बुध् budh धातु या बोध bodh शब्द से इसकी तुलना करें। बोध में भी जानने समझने का भाव ही है। बिड में निहित सूचना, विज्ञप्ति या बोली जैसे अर्थो में मूलतः अवगत कराने का भाव ही प्रमुख है। बुध् से ही बना है बुद्ध शब्द जिसमें ज्ञानी और जानकार का भाव है। बुद्धि, बुद्धिमान, बोध जैसे शब्द इससे ही बने हैं। सम्बोधि का मतलब होता है सम्यक ज्ञान। सम्बुद्ध वह है जिसे हर चीज़ के बारे में जानकारी है। हिन्दी का समझ शब्द इसी का अपभ्रंश है जिसमें फारसी का दार शब्द जुड़ने से बनता है समझदार। कुल मिलाकर नीलामी और इस कड़ी से जुड़े अन्य शब्दों में जो मूल भाव उभर रहा है वह है ज्ञान, जानकारी, बोध आदि। सही भी है, बाजार में समझदारी ही काम आती है।
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18 कमेंट्स:
शानदार रहा ये सफर । आभार ।
आभार इस जानकारी के लिए.
शुक्रिया अजीत जी..नीलामी, इल्म और बोली पर आपके साथ ये सफर सुंदर रहा..मै समझदार होने लगा हूं..धन्यवाद्
इस संदर्भ में दो शब्द स्मरण हो आए। संज्ञान और प्रसंज्ञान।
बहुत लाजवाब जानकारी.
रामराम.
आज भी थोक सब्जी मण्डी,फल मण्डी ,अनाज मंडियों में माल की नीलामी होती है और बोली लगती है . जाकर देखे नया अनुभव प्राप्त होगा
मराठी में लिलाव शब्द जैसा का तैसा लिया गया लगता है पुर्तगाली से.
# इल्म का नीलाम से रिश्ता हुआ,
शब्द कॉ तक आ गया चलता हुआ.
# ऑक्शन है, बिड लगालो लूट लो,
मार से मण्डी के जो ख़स्ता हुआ.
जानकारी बढिया रही।
ये शमा यूं ही जलती रहे, बस यही कामना है हमारी।
-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
बहुत ज्ञानवर्धक जानकारी
धन्यवाद
बडिया जानकारी है धन्यवाद्
नीलामी(लेलाओ), इल्म और बोली पर जानकारी बढिया रही|
धन्यवाद
बिड और बोध का कनेक्शन आश्चर्यचकित कर गया....
सुन्दर विवेचना...वाह !!
आभार आपका..
नीलामी, इल्म और बोली पर बढिया जानकारी
"इल्म की नीलामी या नीलामी का इल्म!"
वाकई में काफी इल्म मिला।
आभार!
ये भी बढ़िया जानकारी रही. डच और इंग्लिश दो प्रमुख तरह ले ऑक्शन होते हैं. मुझे तो लगा कि डच की बात होगी पर पुर्तगाल आ गया.
बहुत ही अच्छी पोस्ट. शब्दों पर आपकी इतनी गहरी रिसर्च देख कर आश्च्रर्य भी होता है कभी कभी.
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