Monday, September 28, 2009

अल्लाह की हिक्मत और हुक्मरान [हकीम-1]

 

हि न्दी में इलाज करनेवाले के तौर पर डॉक्टर, चिकित्सक, वैद्य जैसे शब्द प्रचलित हैं। इसके अलावा हकीम और चारागर जैसे शब्द भी सुनने को मिलते हैं। इन सभी शब्दों के मूल में इलाज करनेवाले की महिमा झलक रही है। समाज ने हर किस्म की समस्या, रोग, बीमारी से छुटकारा दिलानेवाले को हमेशा अक्लमंद समझा है क्योंकि उसके पास समाधान होता है। यही नहीं, अगर समस्या के निदान की दिशा में बुद्धिमत्तापूर्ण विचार भी कोई करे तो समाज में उसका दर्जा अचानक बढ़ जाता है। जाहिर है अन्य समस्याओं की तुलना में व्याधि, बीमारी, शारीरिक पीड़ा का समाधान करनेवाला व्यक्ति अक्लमंद माना जाता है। यही नहीं, उसे ईश्वरतुल्य भी माना जाता है क्योंकि समाधान न होने पर उसका काम ईश्वर को ही करना पड़ता है।
बसे पहले बात हकीम की। यह शब्द बना है सेमिटिक धातु ह-क-म (हा-काफ-मीम) से। इस धातु में बुद्धिमान होना, जानकार होना, ज्ञान और अपने आसपास की जानकारी होने का भाव है। किसी मुद्दे पर अपनी विद्वत्तापूर्ण राय जाहिर करना और निर्णय देना अथवा फैसला (दण्ड समेत) सुनाना भी इसमें शामिल है। अवैध और अनैतिक कर्मों पर रोक लगाना, अच्छे बुरे में फर्क करने और उसे लागू करने, भ्रष्टाचार मिटाने जैसे भाव भी इस धातु में निहित है। इस धातु से बने कई शब्दों का उल्लेख कुरआन में हुआ है। हकीम शब्द इससे ही बना है। कुरआन में अल्लाह के जिन 99 नामों का उल्लेख है उनमें एक नाम हाकिम भी है जिसका मतलब नियामक, नियंता, न्यायाधीश, निर्णयकर्ता है। इन महान भावों का अर्थविस्तार हुआ शासक, राजा, सम्राट, बादशाह, फर्माबरदार, सरदार, आला अफ़सर, judgeसेनाधिपति अथवा सर्वेसर्वा आदि। इसी धातु से बना है हिक्मा शब्द जिसका हिन्दी-उर्दू रूप हिक़्मत भी होता है। कुरआन, शरीयत में इसके दार्शनिक मायने हैं। हिक्मत में मूलतः ज्ञान का भाव है जो परम्परा से जुड़ता है। अर्थात ऐसा ज्ञान जो महज़ सूचना या जानकारी न हो बल्कि परम सत्य हो, सनातन सत्य हो। किसी पंथ, सूत्र, मार्ग अथवा संत के संदर्भ में हिक्मत शब्द से अभिप्राय ज्ञान की उस विरासत से होता है जो पीढ़ी दर पीढ़ी चली आ रही मीमांसाओं के जरिये और भी पुष्ट हुई है। जिसकी रोशनी में हर मसले का हल मुमकिन होता है। हिक्मते-इलाही का अर्थ होता है इश्वरेच्छा या खुदा की मर्जी।
सी मूल से निकला है हकीम। हिन्दी में हकीम का मतलब वैद्य या चिकित्सक से हट कर और कुछ नहीं हैं मगर अरबी भाषा में अथवा यूं कहें कि इस्लाम की परम्परा में हकीम के मायने बहुत व्यापक है, वैद्य तो इसके अर्थवैभव का सिर्फ एक आयाम है । एक बात स्पष्ट है कि ह-क-म धातु में और उससे बने हिक्मा या हिक्मत में ज्ञान की मीमांसा अथवा विवेचना का भाव शामिल है। इस तरह हकीम का अर्थ हुआ ज्ञानी, दानिशमंद, सब कुछ सम्यक देखनेवाला, दूरदर्शी, दार्शनिक, फिलासफर आदि। चूंकि दार्शनिक और मीमांसक का स्वभाव ही गुणावगुण पर विचार करना, सूक्ष्म तथ्यों की पड़ताल और उनसे निष्कर्ष निकालना है। ये नतीजे ही प्रगति के हर सोपान पर ज्ञान परम्परा के वाहक रहे हैं। एक चिकित्सक मूलतः क्या करता है? वह विभिन्न लक्षणों के आधार पर रोग का अनुमान लगाता है। अपने संचित ज्ञान से, अनुभवों से उसे परखता है, तथ्यों की मीमांसा करता है और फिर उसका निदान या समाधान प्रस्तुत करता है। रोग निदान एक किस्म का न्याय, फैसला अथवा निष्कर्ष ही है। किसी ज्ञान परम्परा से जुड़े बिना यह सम्भव नहीं है, अतः हकीम शब्द, वैद्य के रूप में हिन्दी में इन्हीं संदर्भों की वजह से स्थापित हुआ।  यह प्रयोग इतना पक्का और गाढ़ा है कि हकीम के अन्य अर्थों की बजाय हमारे यहां इससे जुड़े मुहावरे भी इसके वैद्यकी वाले दायरे में ही बने जैसे हकीम लुकमान या फिर नीम हकीम खतरा ए जान आदि। मूलतः हकीम शब्द में पाण्डित्य का भाव है। किसी भी शिक्षित व्यक्ति के नाम के साथ पंडितडॉक्टर लगने से उसकी महत्ता में जो फर्क आ जाता है, हकीम शब्द उसी दर्जे का है। 
सेमिटिक धातु ह-क-म से एक अन्य महत्वपूर्ण शब्द बना है

ibrahim2_a ... हुकूमत बना है हुक्म से अर्थात नैतिक नियम, कानून या आज्ञा सो हुकुमत में मूलतः नियमपालना कराने वाली व्यवस्था और उसके दायरे का भाव है जिसका अर्थविस्तार राज्य, शासन, सत्ता, क्षेत्र, देश, सल्तनत आदि है ...

हुक्म या हुकुम जिसका प्रयोग इस श्रंखला के अन्य शब्दों की तुलना में हिन्दी और उसकी देशज/प्रांतीय बोलियों में खूब होता है। आदेश, आज्ञा के अलाव हुकुम या होकम वरिष्ठों, न्यायाधीशो, उच्चाधिकारियों के लिए सम्बोधन के तौर पर भी हिन्दी में इस्तेमाल होता है। हुक्म का मतलब आज्ञा, आदेश, आर्डर, अनुज्ञा, अनुमति आदि होता है। गौर करें सामान्य तौर पर हुक्म अर्थात आदेश कोई भी दे सकता है चाहे वह सही हो या गलत। मगर सेमिटिक धातु में जो मूल भाव था और जिसे इस्लामी हिक्मत ने ग्रहण ही नहीं किया बल्कि उसकी नयी व्याख्या भी की, वह उसी तर्कप्रणाली पर है जिसका उल्लेख ऊपर किया गया है। अर्थात हर आदेश, आज्ञा हुक्म नहीं है बल्कि नैसर्गिक, निष्कर्षात्मक, सार्वजनीन, सार्वकालिक सत्य के परिप्रेक्ष्य में जो क़ायदा या आईन है, हुक्म दरअसल वही हैं। हुक्म के ये मायने अब प्रचलित नहीं हैं। अब हुक्म का प्रयोग सापेक्ष होता है। अर्थात झूठ बोलना भी अब हुक्म है। मगर असली हुक्म तो सच बोलना ही है क्योंकि इसके साथ नैतिकता जुड़ी हुई है। हुक्म देने वाला हुआ हाकिम यानी शक्तिसम्पन्न, शासक, ताकतवर, वरिष्ठ, गुरू, शिक्षक, न्यायाधीश आदि। जाहिर है ये सभी रूप ईश्वर के भी हैं। आदेश की अवहेलना या उसका निरादर करने को हुक्मउदूली कहा जाता है। हिन्दी में भी यह समास प्रचलित है। भारत में इस शब्द के महत्व का अनुमान इस तथ्य से लगाया जा सकता है कि समूचे उत्तर भारत में हुक्म शब्द से बने व्यक्तिनाम प्रचलित हैं मसलन होकमसिंह, हाकिमसिंह, हुक्मचंद, हुकुमचंद, हुकमसिंह आदि के अलावा होकम, हाकिम, हुकुम, हकीम जैसे पुरुषों के नाम भी प्रचलित हैं जिनका चलन मुस्लिमों के अलावा क्षत्रियों में भी है। ईरानी, अज़रबैजानी आदि भाषाओं में हुक्म का उच्चारण होक्मा की तरह होता है।
शासन, सत्ता या अधिकार क्षेत्र के लिए ह-क-म धातु से बना एक अन्य शब्द हम रोज इस्तेमाल करते हैं वह है हुकूमत जो इसी शृंखला में आता है। चूंकि हुकूमत बना है हुक्म से अर्थात नैतिक नियम, कानून या आज्ञा सो हुकुमत में मूलतः नियमपालना कराने वाली व्यवस्था और उसके दायरे का भाव है जिसका अर्थविस्तार राज्य, शासन, सत्ता, क्षेत्र, देश, सल्तनत आदि है। हुक्म के जब मायने बदले और इसमें सही-ग़लत का फर्क नहीं रहा तब हुकुमत का अर्थ भी बदला और इसमें ज़ोर-ज़बर्दस्ती, अत्याचार, जुल्म जैसे भाव भी जुड़ गए। हिन्दी में हुकूमत चलाना सकारात्मक नहीं बल्कि नकारात्मक अर्थवत्ता वाला मुहावरा है जिसका अभिप्राय तानाशाही या मनमानी करना है। शासक के लिए अरबी का हुक्मरां हिन्दी में हुक्मरान की तरह प्रयोग होता है। आमतौर पर इसमें तानाशाह का चरित्र ही उभरता है।

ये सफर आपको कैसा लगा ? पसंद आया हो तो यहां क्लिक करें

11 कमेंट्स:

दिनेशराय द्विवेदी said...

हुकुम अदालतों में जजों के लिए एक संबोधन भी हो चुका है, विशेष तौर पर राजस्थान में। वकील लोगों की जुबान पर चढ़ा हुआ है। हालांकि अब लोग सर! या श्रीमान! का प्रयोग अधिक करने लगे हैं।

Manoshi Chatterjee मानोशी चटर्जी said...

बहुत अच्छा ब्लॉग है आपका...quality work|

निशांत said...

हिक्मत याने तिब्बी या यूनानी चिकित्सा पद्धति भी है. अब ये तिब्बी कहाँ से आया?

चारागर की खूब याद दिलाई आपने.

एक पुराना उर्दू शेर याद आ गया:-

"चारागर हार गया हो जैसे,
अब तो मरना ही दवा हो जैसे."

Himanshu Pandey said...

"हुक्म के जब मायने बदले और इसमें सही-ग़लत का फर्क नहीं रहा तब हुकुमत का अर्थ भी बदला और इसमें ज़ोर-ज़बर्दस्ती, अत्याचार, जुल्म जैसे भाव भी जुड़ गए।"

यह सही है न कि शब्द भी समाज की संवेदना पकड़ते हैं, उसी की चेतना से गर्भित होते हैं, और तदनुरुप अर्थ-संप्रेषण करते हैं ।

dhiru singh { धीरेन्द्र वीर सिंह } said...

हकीम खुर्शीद है हमारे यहाँ जो आज भी नब्ज देख कर बीमारी बता देते है आपको कुछ कहने की जरूरत ही नहीं . ऐसे ही दिल्ली में वैध त्रिगुनाय्त जी

ताऊ रामपुरिया said...

बहुत बढिया . इष्ट मित्रो व कुटुंब जनों सहित आपको दशहरे की घणी रामराम.

किरण राजपुरोहित नितिला said...

नमस्कार
हुकम अित आदर सूचक शब्द भी है। राजस्थान में इसका अर्थ हां के रुप में भी होता है।
बिढया जानकारी।

निर्मला कपिला said...

ये सफर भी बडिया रहा विजयदशमी की शुभकामनायें

Dr. Chandra Kumar Jain said...

बहुत जानदार पोस्ट.
शुभकामनायें विजयादशमी की...
===========================
डॉ.चन्द्रकुमार जैन

Anonymous said...

बहुत अच्छा विश्लेषण है। निवेदन है कि कृपया "श्रंखला" की जगह "शृंखला" का उपयोग करें, क्योंकि लोग आपके शब्दों का अनुकरण करते हैं और टाइपिंग की ग़लती को भी गंभीरता से ले सकते हैं। धन्यवाद।

अजित वडनेरकर said...

@बेनामी
शुक्रिया भाई, गलती की ओर ध्यान दिलाने के लिए।

नीचे दिया गया बक्सा प्रयोग करें हिन्दी में टाइप करने के लिए

Post a Comment


Blog Widget by LinkWithin