Wednesday, September 30, 2009

मुआ काम नहीं करता?

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सि न्धी-हिन्दी-पंजाबी में मुआ शब्द का खूब प्रयोग होता है। अक्सर यह बतौर उलाहना  पर बड़ों द्वारा दिया जाता है। मुआ यानी मरा अर्थात मुर्दा। इन भाषाओं में आमतौर पर किसी को कोसने, उलाहना देने या गाली देने के लिये खासतौर पर महिलायें मुआ लफ़्ज़ इस्तेमाल करती हैं मसलन- मुआ काम नही करता! व्यावहारिक तौर पर देखे तो कहावत का यथार्थ सामने आता है। मुर्दे भी कहीं काम करते हैं? सो नाकारा, बेकार, आलसी, निखट्टू एकदम मुर्दा समान है। मृत शब्द संस्कृत के मूल शब्द या धातु मृ से बना है। प्राचीन इंडो यूरोपीय भाषा में भी इसके लिए मूल शब्द म्र-तो खोजा गया है। इस शब्द से न सिर्फ हिन्दी समेत अधिकांश भारतीय भाषाओं में जीवन के अंत संबंधी शब्द बने हैं बल्कि कई यूरोपीय भाषाओं में भी इसी अर्थ में शब्द बने हैं। यही नहीं, अंग्रेजी का मर्डर शब्द भी मृ से ही निकला है ये अलग बात है कि अर्थ जीवन के अंत से जुड़ा होते हुए भी थोड़ा बदल गया है।
मृ से ही हिन्दी मे मृतक शब्द बना और फारसी में जाकर यह मुर्द: हो गया। बाद में चलताऊ उर्दू और हिन्दी में मुर्दा के तौर पर इसका प्रयोग होने लगा। मौत शब्द भी फारसी उर्दू में अधिक प्रचलित है और इसके मूल में मृत्यु शब्द ही है। बलूची जबान में मृत्यु के लिए जहां मिघ शब्द है वहीं पश्तू में म्रेल शब्द है। मृ धातु से ही हिन्दी में मृत्यु, मृत, मरण, मरना, मारामारी, मुआ, मौत जैसे अनेक शब्द बने हैं। मृत में ही उपसर्ग लगने से बना है अमृत यानी एक ऐसा पदार्थ जो धरा रूपी गौ से दूहा गया दुग्ध है जिसे पीने से अमरत्व प्राप्त होता है। कहने की ज़रूरत नही कि अमर शब्द भी यहीं से निकला है। आयुर्वेद के जन्मदाता का नाम धन्वन्तरि संभवतः आयु के महत्व को ही बताता है। समुद्रमंथन के अंत में आयु को निरपेक्ष बना देने वाले तत्व अर्थात अमृत-कलश को लेकर उनका समुद्र से प्रकट होने वाला प्रसंग इस संदर्भ में महान प्रतीक है।
संस्कृत से ही यह शब्द अवेस्ता यानी प्राचीन फारसी में भी मिर्येति के रूप में है। इसी तरह फ़ारसी में भी मृत्यु के लिए मर्ग शब्द है जो उर्दू में भी शामिल हो गया। अदालती और पुलिस कार्रवाई में अक्सर इस लफ्ज का इस्तेमाल होता है। ये आया है फ़ारसी के मर्ग से जिसके मायने हैं मृत्यु, मरण, मौत। दुर्घटना में मौत पर पुलिस वाले जो विवरण दर्ज़ करते हैं उसे मर्ग-कायमी ही कहते हैं। स्लोवानिक भाषा (दक्षिण यूरोपीय क्षेत्रों में बोली जाने वाली ) में तो हूबहू मृत्यु शब्द ही मिलता है। इसी तरह जर्मन का Mord शब्द भी मर्डर के अर्थ में कहीं न कहीं मृत्यु से ही जुड़ता है। प्राचीन जर्मन में इसके लिए murthran शब्द है। पुरानी फ़्रेंच मे morth शब्द इसी मूल का है। अंग्रेज़ी का मर्डर बना मध्य लैटिन के murdrum से। जाहिर है संस्कृत की मृ धातु का पूर्व वैदिक काल में ही काफी प्रसार हुआ और इसने यूरोप और एशिया की भाषाओं को प्रभावित किया।
गरीबी हो या अचानक पैदा हुआ अर्थाभाव, निर्धन होते ही मृत्यु का विकल्प चुनने की मनुष्य में सहज वृत्ति होती है। 0130913350085
गौरतलब है कि दक्षिणी यूरोप के स्लाव समाज में मृत्यु की देवी की कल्पना की गई है जिसका नाम मारा है। जाहिर है इसका उद्गम भी मृ से ही हुआ होगा।
मृत्यु के लिए निधन शब्द के मूल में  धन शब्द है। आप्टे कोश में वरामिहिरकृत बृहत्संहिता के हवाले से निधन के लिए कहा गया है-निवृतं धनं यस्मात् यानी धन का न रहना। समझा जा सकता है निर्धनता को मृत्यु से भी बदतर मानने के पीछे मनुष्य के पास प्राचीनकाल से ही कटु अनुभव रहे होंगे। गरीबी हो या अचानक पैदा हुआ अर्थाभाव, निर्धन होते ही मृत्यु का विकल्प चुनने की मनुष्य में सहज वृत्ति होती है। इसके मूल में है जीवन के अन्य विविध आयामों में धन की व्याख्या न करना या धन को सिर्फ भौतिक सम्पत्ति से ही तौलना। जीवन को भी धन की उपमा दी गई है। गोस्वामी तुलसीदास ने “धीरज,धर्म मित्र अरु नारी। आपदकाल परखिये चारी।।” जैसी उक्ति में धन के इन चार प्रकारों की आजमाइश की सलाह दी है जिनमें धैर्य और धर्म सबसे सबसे बड़ा धन हैं। निर्धन से ही बना है मृत्यु का पर्याय निधन। शब्दकोश में निधन के उपसंहार, परिसमाप्ति, अंत, निर्वाण, महाप्रयाण जैसे अर्थ भी बताए गए हैं जो यही सिद्ध भी करते हैं।

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13 कमेंट्स:

Udan Tashtari said...

बहुत आभार जानकारी का.

Anonymous said...

बडनेरकर जी, क्या मृदा ( मिट्टी ) का भी मृ धातु से कोई सम्बन्ध है ?

Himanshu Pandey said...

संस्कृत की ’मृ’ कहाँ-कहाँ फैल गयी है अपने बहुविध रूप में !

विस्मित रह जाता हूँ इस शब्द-यात्रा से । आभार ।

दिनेशराय द्विवेदी said...

मृत है मरा हुआ और मृत्तिका है मिट्टी। वैसे भी मरते ही जीवित शरीर मिट्टी हो जाता है। मुझे याद आया नाटक 'मृच्छकटिकम'यानी मिट्टी की गा़ड़ी।

Dr. Shreesh K. Pathak said...

हमेशा की तरह रोचक जानकारी, आभार...

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

ज्ञावनवर्धन हुआ,
सदैव की भाँति बढ़िया पोस्ट रही।

अजित वडनेरकर said...

@आरडी सक्सेना
मृदा बना है संस्कृत की मृद् धातु से जिस का अर्थ टीला, मिट्टी, ढेला, गारा है। इसके अलावा इसमें चकनाचूर करना, पीसना, नष्ट करना, मार डालना जैसे भाव भी हैं। मृद्, मृत और फारसी मुर्दः में बहुत साम्यता है। अकारण नहीं। पार्थिवता का भाव तो स्पष्ट है ही। यूं भी मृत शरीर मिट्टी हो जाता है, जैसा दिनेशभाई कह रहे हैं।

Gyan Dutt Pandey said...

नारि मुई घर सम्पति नासी, मूड़ मुड़ाई भये सन्यासी।
हो सकता है, मुंड़ाना या मूंड़ना भी मृत्यु से सम्बन्धित हो! :-)

Science Bloggers Association said...

मुआ बडा जोरदार लेख है।
-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }

निर्मला कपिला said...

वाह इतने छोटे से शब्द की इतनी बडी व्याख्या ?ाद्भुत सफर बधाई

dhiru singh { धीरेन्द्र वीर सिंह } said...

मुए पाकिस्तानी आस्ट्रेलिया से जीत नहीं पाए और भारत वहार हो गया

Abhishek Ojha said...

मृत्यु का लैटिन, जेर्मन तक का सफ़र तो अत्यंत रोचक रहा !

स्वाति said...

badhiya.padh kar maza aaya

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