Wednesday, September 9, 2009

भगवान, उजबक, उज्बेकिस्तान

bagdad scan0001

7 कमेंट्स:

अभय तिवारी said...

हम तो वही कह रहे हैं- बढ़िया है..
पर छपा कहाँ है.. यह भी तो बताईये..

अजित वडनेरकर said...

@अभय तिवारी
अभय भाई, शब्दों का सफ़र बीते क़रीब छह साल से दैनिक भास्कर के रविवारी अंक में प्रकाशित हो रहा है। यह उसी में प्रकाशित इस हफ्ते का पीस है:)

शरद कोकास said...

" क्या उजबकों जैसी हरकतें कर रहे हो ? " अरे अरे अजित भाई नाराज़ मत होइये मै आपसे नहीं कह रहा हूँ । मै तो सिर्फ यह जानना चाहता हूँ कि इस वाक्यांश की उत्पत्ति कैसे हुई । क्या इस पर भी थोड़ा टॉर्च फेकेंगे ताकि कोई उजबक पूछ ले तो समझा तो सकें !!!

अजित वडनेरकर said...

@शरद कोकास
सही कहा आपने। यह पोस्ट यूं ही लगा दी थी। उज़बक शब्द पर अलग से एक पोस्ट लिख चुका हूं। कृपया अपने उज़बक को यहां देखें। प्रस्तुत कटिंग दैनिक भास्कर में इस रविवार प्रकाशित शब्दो का सफर की ताजी कड़ी की है।

दिनेशराय द्विवेदी said...

जब पिछला अगला हो जाता है व्यवहार से, तो उज्बेक का उजबक हो जाना कमाल नहीं।

Himanshu Pandey said...

खूबसूरत आलेख । दैनिक भास्कर के रविवारी अंक में छः साल से प्रकाशित हो रहा है शब्दों का सफर - जानकार अभिमान हो उठा । ब्लॉगिंग का मानक उदाहरण । धन्यवाद ।

Abhishek Ojha said...

मन कहने वाला था कि उजबक पर तो एक पोस्ट आ चुकी है. आपने बता ही दिया :)

नीचे दिया गया बक्सा प्रयोग करें हिन्दी में टाइप करने के लिए

Post a Comment


Blog Widget by LinkWithin