Wednesday, September 9, 2009
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16.चंद्रभूषण-
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15.दिनेशराय द्विवेदी-[1. 2. 3. 4. 5. 6. 7. 8. 9. 10. 11. 12. 13. 14. 15. 16. 17. 18. 19. 20. 21. 22.]
13.रंजना भाटिया-
12.अभिषेक ओझा-
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11.प्रभाकर पाण्डेय-
10.हर्षवर्धन-
9.अरुण अरोरा-
8.बेजी-
7. अफ़लातून-
6.शिवकुमार मिश्र -
5.मीनाक्षी-
4.काकेश-
3.लावण्या शाह-
1.अनिताकुमार-
मुहावरा अरबी के हौर शब्द से जन्मा है जिसके मायने हैं परस्पर वार्तालाप, संवाद।
लंबी ज़ुबान -इस बार जानते हैं ज़ुबान को जो देखते हैं कितनी लंबी है और कहां-कहा समायी है। ज़बान यूं तो मुँह में ही समायी रहती है मगर जब चलने लगती है तो मुहावरा बन जाती है । ज़बान चलाना के मायने हुए उद्दंडता के साथ बोलना। ज्यादा चलने से ज़बान पर लगाम हट जाती है और बदतमीज़ी समझी जाती है। इसी तरह जब ज़बान लंबी हो जाती है तो भी मुश्किल । ज़बान लंबी होना मुहावरे की मूल फारसी कहन है ज़बान दराज़ करदन यानी लंबी जीभ होना अर्थात उद्दंडतापूर्वक बोलना।
दांत खट्टे करना- किसी को मात देने, पराजित करने के अर्थ में अक्सर इस मुहावरे का प्रयोग होता है। दांत किरकिरे होना में भी यही भाव शामिल है। दांत टूटना या दांत तोड़ना भी निरस्त्र हो जाने के अर्थ में प्रयोग होता है। दांत खट्टे होना या दांत खट्टे होना मुहावरे की मूल फारसी कहन है -दंदां तुर्श करदन
अक्ल गुम होना- हिन्दी में बुद्धि भ्रष्ट होना, या दिमाग काम न करना आदि अर्थों में अक्ल गुम होना मुहावरा खूब चलता है। अक्ल का घास चरने जाना भी दिमाग सही ठिकाने न होने की वजह से होता है। इसे ही अक्ल का ठिकाने न होना भी कहा जाता है। और जब कोई चीज़ ठिकाने न हो तो ठिकाने लगा दी जाती है। जाहिर है ठिकाने लगाने की प्रक्रिया यादगार रहती है। बहरहाल अक्ल गुम होना फारसी मूल का मुहावरा है और अक्ल गुमशुदन के तौर पर इस्तेमाल होता है।
दांतों तले उंगली दबाना - इस मुहावरे का मतलब होता है आश्चर्यचकित होना। डॉ भोलानाथ तिवारी के मुताबिक इस मुहावरे की आमद हिन्दी में फारसी से हुई है फारसी में इसका रूप है- अंगुश्त ब दन्दां ।
7 कमेंट्स:
हम तो वही कह रहे हैं- बढ़िया है..
पर छपा कहाँ है.. यह भी तो बताईये..
@अभय तिवारी
अभय भाई, शब्दों का सफ़र बीते क़रीब छह साल से दैनिक भास्कर के रविवारी अंक में प्रकाशित हो रहा है। यह उसी में प्रकाशित इस हफ्ते का पीस है:)
" क्या उजबकों जैसी हरकतें कर रहे हो ? " अरे अरे अजित भाई नाराज़ मत होइये मै आपसे नहीं कह रहा हूँ । मै तो सिर्फ यह जानना चाहता हूँ कि इस वाक्यांश की उत्पत्ति कैसे हुई । क्या इस पर भी थोड़ा टॉर्च फेकेंगे ताकि कोई उजबक पूछ ले तो समझा तो सकें !!!
@शरद कोकास
सही कहा आपने। यह पोस्ट यूं ही लगा दी थी। उज़बक शब्द पर अलग से एक पोस्ट लिख चुका हूं। कृपया अपने उज़बक को यहां देखें। प्रस्तुत कटिंग दैनिक भास्कर में इस रविवार प्रकाशित शब्दो का सफर की ताजी कड़ी की है।
जब पिछला अगला हो जाता है व्यवहार से, तो उज्बेक का उजबक हो जाना कमाल नहीं।
खूबसूरत आलेख । दैनिक भास्कर के रविवारी अंक में छः साल से प्रकाशित हो रहा है शब्दों का सफर - जानकार अभिमान हो उठा । ब्लॉगिंग का मानक उदाहरण । धन्यवाद ।
मन कहने वाला था कि उजबक पर तो एक पोस्ट आ चुकी है. आपने बता ही दिया :)
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