संबंधित पोस्ट-1.फ़सल के फ़ैसले का फ़ासला 2.ऋषि कहो, मुर्शिद कहो या कहो राशिद
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प्रस्तुतकर्ता अजित वडनेरकर पर 2:48 AM
16.चंद्रभूषण-
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15.दिनेशराय द्विवेदी-[1. 2. 3. 4. 5. 6. 7. 8. 9. 10. 11. 12. 13. 14. 15. 16. 17. 18. 19. 20. 21. 22.]
13.रंजना भाटिया-
12.अभिषेक ओझा-
[1. 2. 3.4.5 .6 .7 .8 .9 . 10]
11.प्रभाकर पाण्डेय-
10.हर्षवर्धन-
9.अरुण अरोरा-
8.बेजी-
7. अफ़लातून-
6.शिवकुमार मिश्र -
5.मीनाक्षी-
4.काकेश-
3.लावण्या शाह-
1.अनिताकुमार-
मुहावरा अरबी के हौर शब्द से जन्मा है जिसके मायने हैं परस्पर वार्तालाप, संवाद।
लंबी ज़ुबान -इस बार जानते हैं ज़ुबान को जो देखते हैं कितनी लंबी है और कहां-कहा समायी है। ज़बान यूं तो मुँह में ही समायी रहती है मगर जब चलने लगती है तो मुहावरा बन जाती है । ज़बान चलाना के मायने हुए उद्दंडता के साथ बोलना। ज्यादा चलने से ज़बान पर लगाम हट जाती है और बदतमीज़ी समझी जाती है। इसी तरह जब ज़बान लंबी हो जाती है तो भी मुश्किल । ज़बान लंबी होना मुहावरे की मूल फारसी कहन है ज़बान दराज़ करदन यानी लंबी जीभ होना अर्थात उद्दंडतापूर्वक बोलना।
दांत खट्टे करना- किसी को मात देने, पराजित करने के अर्थ में अक्सर इस मुहावरे का प्रयोग होता है। दांत किरकिरे होना में भी यही भाव शामिल है। दांत टूटना या दांत तोड़ना भी निरस्त्र हो जाने के अर्थ में प्रयोग होता है। दांत खट्टे होना या दांत खट्टे होना मुहावरे की मूल फारसी कहन है -दंदां तुर्श करदन
अक्ल गुम होना- हिन्दी में बुद्धि भ्रष्ट होना, या दिमाग काम न करना आदि अर्थों में अक्ल गुम होना मुहावरा खूब चलता है। अक्ल का घास चरने जाना भी दिमाग सही ठिकाने न होने की वजह से होता है। इसे ही अक्ल का ठिकाने न होना भी कहा जाता है। और जब कोई चीज़ ठिकाने न हो तो ठिकाने लगा दी जाती है। जाहिर है ठिकाने लगाने की प्रक्रिया यादगार रहती है। बहरहाल अक्ल गुम होना फारसी मूल का मुहावरा है और अक्ल गुमशुदन के तौर पर इस्तेमाल होता है।
दांतों तले उंगली दबाना - इस मुहावरे का मतलब होता है आश्चर्यचकित होना। डॉ भोलानाथ तिवारी के मुताबिक इस मुहावरे की आमद हिन्दी में फारसी से हुई है फारसी में इसका रूप है- अंगुश्त ब दन्दां ।
20 कमेंट्स:
"मौसम के लिए कोई आसान सा वैकल्पिक हिन्दी शब्द हमें तत्काल याद आता है? ज्यादातर लोग जवाब में ऋतु या रुत की ही बात करेंगे। मौसम शब्द हिन्दी में अरबी-फारसी के जरिये दाखिल हुआ है। संस्कृत मूल के ऋतु शब्द का यह एकदम सही अनुवाद है। ऋतुओं के हर रूप के लिए मौसम शब्द का प्रयोग होता है। सेमिटिक मूल के मौसम शब्द की छाप दुनिया भर की भाषाओं में पड़ी । हिन्दी में यह हाल है कि ऋतु शब्द का प्रयोग मौसम के साहित्यिक संदर्भों में ज्यादा होता है और बोलचाल में कम। इसकी बजाय ऋतु के देशज रूप रुत का प्रयोग अधिक होता है।"
"ऋतु" शब्द की सुन्दर विवेचना प्रस्तुत की है आपने।
बधाई!
ऋतु का संबंध तो ऋत से होना चाहिए जिस का अर्थ स्थिर और निश्चित नियम, दैवीय/प्राकृतिक नियम है। मौसम भी प्राकृतिक नियम से आते हैं इस कारण से ऋतु कहाते हैं, नियम से जिस स्त्री को मासिक धर्म होता हो उसे ऋतुमती कहते हैं।
और मौसम और मानसून शब्द तो अब हिन्दी के ही हैं, आए भले ही कहीं से हों।
फस्ल का अर्थ मौसम होता है, अब समझा !
आलेख उत्तम है । आभार ।
काफी ज्ञान बढ़ा आपके इस आलेख से.. किसी दिन फुरसत में इस ब्लॉग के सभी आलेख पढ़ने की इच्छा है..
हैपी ब्लॉगिंग
फ़स्ल-ए-गुल है, सजा है मयखाना...
आपका ये मयखाना हर मौसम में आबाद रहे !
ऋत में तो दैवीय नियम का भाव है। पता नहीं पोर्चुगीज "मानसून" में वह डिविनिटी है या नहीं?
िस नयी जानकारी के लिये धन्यवाद्
लगे हाथ रित को भी परिभाषित कर दिए होते !
@दिनेशराय द्विवेदी/अरविंद मिश्र
सही कह रहे हैं। आलेख में हमने ऋत् का उल्लेख किया है। [ऋ से ही बना है ऋत् जिसके मायने हुए पावन pavan प्रथा या उचित प्रकार से।] चूंकि इस विषय पर अलग से एक पोस्ट लिखी जा चुकी है, सो यहां मौसम के संदर्भ में ऋतु का उल्लेख भर किया है।
@हिमांशु
भाई, फ़स्ल पर अलग से एक पोस्ट लिखी है-फसल के फैसले का फासला। इसका लिंक सबसे ऊपर दिया है। विस्तार से जानने के लिए उसे ज़रूर पढें। शुक्रिया।
अजीत जी नमस्कार मौसम शब्द उच्चारण के साथ ही एक खूबसूरत भाव मन में आता है ....आपने अच्छी विवेचना की है आपकी द्रष्टि सम्पन्त्ता के कायल हें पोस्ट पर कमेंट्स नहीं कर पाती हूँ ,लेकिन पढ़ती जरूर हूँ एक जरूरी सबक की तरह विजय दशमी की शुभकामना
ajeet जी mousam aayenge jaayenge पर आपके lekhan को हम न भूल payenge.
इस रुत शब्द परसे ही तो 'रूशी' शब्द बना है...जिसने कुदरत के कानूनों को जाना समझा वह रूशी...एक शास्त्रग्य...कोई जोगी नहीं...बड़ा अच्छा लिखा है आपने..
एक और बात..
मै ' तुम्हें याद करते, करते..' इस गीत पे कमेन्ट करना चाह रही थी...नहीं कर पाई..आम्रपाली का एक और गीत," नील गगन की छाओं में.." येभी मेरा बेहद पसंद दीदा गीत है..इन गीतों को मई लगातार सुन सकती हूँ...क्या गज़ब ढाती हैं लताजी...'न भूतो न भविष्यती.."!
ये जानकारियों का मौसम किसे न पसंद आएगा?
दुर्गा पूजा एवं दशहरा की हार्दिक शुभकामनाएँ।
( Treasurer-S. T. )
पोस्ट के साथ फोटो मन को ििभगोती है!!
'मौसम' के सफर के साथ चित्रों ने भी पोस्ट को खुबसूरत बनाया है. खासकर वो मेढक और चूहे वाली तस्वीर.
इस मौसम का क्या करें भाई…जो बदलता ही नहीं।
आप अद्भुत जानकारियां दे रहे हैं
इसे संकलित कर क्यूं न छपवा दीजिये
अपने जैसे पुराने कीडे अब भी कम्प्यूटर पर धीरज से पढ नहीं पाते।
हां एक पोस्ट हिंद स्वराज पर लगाई है अर्थात में…मौका लगे तो देखियेगा।
http://economyinmyview.blogspot.com/2009/09/blog-post_26.html
ye mausam to bahut suhana tha
चलती का नाम गाड़ी वाला मुहावरा शब्दों पर भी उतना ही लागू होता है जितना मनुष्य के व्यवहार पर. गलत या सही, जो शब्द चल पड़ा उसको दुनिया की कोई ताकत रोक नहीं सकती. दरअसल शब्दों की वर्तनी में गलत सही लेबल लगाना ही गलत है. फिर भी ऐसे शब्दों की व्युत्पति दिलचस्पी पैदा करती है और कई गलत फहमिओं को दूर कर सकती है.
अभी आप ने व्यापारिक हवाओं का उलेख किया है. पुरानी उर्दू आधारत पाठय-पुस्तकों में इनको 'तजारती हवाएं' कहा जाता था और यह पद अंग्रेजी ट्रेड विंडज(trade winds) का अनुवाद है. पढ़ाया जाता था कि यह हवाएं व्योपार को बढ़ावा देती थीं. तभी इनका नाम व्यापारिक हवाए पढ़ गया.
दरअसल इसकी व्युत्पति में व्यापार या कह लीजिये अंग्रेजी ट्रेड trade का कोई हाथ नहीं. यह पद डच शब्द ट्रेड trade से बना जिसका मतलब रास्ता, मार्ग आदि होता है. जब यह हवाएं चलती थीं तो जहाज को चलने के लिए सही और सुविधापूरन मार्ग मिल जाता था. स्पष्ट है कि ऐसा उपयोगी मार्ग आखिर में व्योपार को ही बढ़ावा देगा. लेकिन फिर भी पुराने मलाहों ने जब यह शब्द घढा तो इस में व्योपार का संकल्प नहीं था. ट्रेड विंड्स को खाली ट्रेडज trades भी बोला जाता था.पुर्तगाली मल्लाहों का एक मुहावरा भी ट्रेड(trade) के इस अर्थ को स्पश्ट करता है, "the wind blows trade," अर्थात हवा ठीक (रास्ते पर) चल रही है.
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