दुनियाभर में धूर्त और चालाक व्यक्ति के संदर्भ में जिस इकलौते पशु को सर्वाधिक प्रतीक माना गया है वह है सियार। संसार की ज्यादातर लोक भभाषाओं में इसके बारें में बोधकथाएं , कहावतें, लोकोक्तियां आदि हैं जो मनुश्य को धूर्त प्रवृत्तियों से आगाह करती हैं। पंचतंत्र और हितोपदेश ने तो सियार की कुख्यात छवि को खूब उभारा है। हितोपदेश में करटक-दमनक की जोड़ी सदियों से मशहूर है। यहां तक कि अरबी फारसी तक में आज से सैकड़ों साल पहले ये पहुंच चुकी थीं। फारसी में तो करटक- दमनक , कलीलाह, दिमनाह बनकर मौजूद हैं।
सियार शब्द का मूल संस्कृत का शृगाल: या शृकाल: है। इसका अर्थ है उचक्का, धूर्त, ठग, डरपोक और दुष्ट प्रकृति का। सियार बहुत तेज भाग भी सकता है इसी लिए शृगाल: के पीछे कुछ विद्वानों को संस्कृत की ‘सृ’ धातु भी नजर आती है जिसका मतलब ही है बहुत तेज भागना या चलना। कुछ लोग इसकी उत्पत्ति ‘शृ’ धातु से भी मानते हैं जिसका अर्थ है फाड़ डालना , टुकड़े टुकड़े कर डालना।
गौरतलब है कि शृगाल: से ही फारसी उर्दू का शगाल बना। फारसी से ये गया तुर्की में जहां इसका रूप हुआ चकाल। इसका अगला पड़ाव बनी अंग्रेजी जहां एक नए रूप जैकाल बन कर यह सामने आया। खास बात यह कि सभी भाषाओं में इसकी शोहरत चालाक-धूर्त प्राणी की है। संस्कृत के बाद प्राकृत में इसका रूप हुआ सिआलो और सियाली। हिन्दी में यह सियार हुआ। सियार पर कई कहवतें भी हैं जिनमें रंगा सियार सबसे प्रसिद्ध है।
Wednesday, October 31, 2007
रंगे सियार का सफरनामा
प्रस्तुतकर्ता अजित वडनेरकर पर 2:21 PM
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5 कमेंट्स:
कुछ साल पहले 'डे आफ़ द जैकॉल' पढ़ने के बाद मेरे एक मित्र ने जो खुद को जैकॉल कहा करता था और जिसे महिलाओं के बीच बेहद पॉपुलर होने की खुशफहमी थी, मुझे डिक्शनरियों के अपने खजाने में से एक में इस शब्द का एक और अर्थ किंचित गर्व के साथ दिखाया था। आपकी पोस्ट देख कर एक पुरानी डायरी में से उसी के हस्तलेख में लिखा यह अर्थ खोज बीन लाया हूँ।
Noun - highly evolved male, capable of maintaining the attention of several naive women at any one time, whilst drinking the worst cheap vodka imported from Kazagstan, and exchanging hiiiigh fiiiives with fellow jackals
verb - To jackal, to seduce numerous young females in any one evening, giving them all the impression you are the "one"
कहीं रंगा सियार का तात्पर्य रंगीन सियार से तो नहीं अजित भाई? ज़बरदस्त फैन हूँ साहब आपके ब्लॉग का।
शृंगाल शब्द का सफर जानकर काफी नई जानकारी मिली।
बेहतरीन जानकारी.
सियार से जैकाल! शब्द वास्तव में बड़ी हाई क्वालिटी के गिरगिट होते हैं!
शृगाल से जैकाल तक का सफ़र दिलचस्प है।
करटक-दमनक ने और भी उत्सुकता जगा दी है। हितोपदेश कहानियॉं ढूंढता हूँ।
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