परिवारवाद के लिए हिन्दी-उर्दू में एक शब्द बड़ा आम है वह है कुनबापरस्ती । दोनो ही शब्द मुहावरे का महत्व हासिल कर चुके हैं जिसका मतलब होता है अपने लोगों को तरजीह देना। मोटे तौर पर यह लफ्ज उर्दू फारसी का नज़र आता है मगर है नहीं। यह शुद्धतः संस्कृत मूल का है मगर उर्दू के असर से इसमें फारसी का परस्त विशेषण जुड़ गया और बन गया कुनबापरस्त जैसा नया संकर शब्द जो परिवारवाद का अर्थ देता है।
कुनबा शब्द जन्मा है संस्कृत के कुटुम्बम् या कुटुम्बकम् से जिसका मतलब परिवार, खानदान , गृहस्थी, वंश आदि होता है। बहरहाल कुटुम्ब की बजाय आज कुनबा शब्द ज्यादा चलता है। इससे बने कुछ मुहावरे भी काफी बोले जाते है जैसे कहीं की ईंट कहीं का रोड़ा , भानुमति ने कुनबा जोड़ा या कुनबा बढ़ाना आदि। इसमें पहली कहावत का अर्थ बेजोड़ चीज़ो के मेल से है तो दूसरी का एक से लोगो की तादाद बढाने से है।
बोलचाल में कुटुम्ब शब्द को हम सामान्य परिवार के रूप में न देखते हुए खानदान के अर्थ में भी देखते हैं । परिवार की शाखाएं – प्रशाखाएं भी इसमें नज़र आती हैं मगर संस्कृत कुटुम्ब में परिवार भी है और खानदान भी। यूं भी प्राचीनकाल में तो पूरा कुटुम्ब ही परिवार था जिसे आज सामूहिक परिवार कहा जाता है। प्रसिद्ध संस्कृत उक्ति वसुधैव कुटुम्बकम् में भी तो यही भाव है। प्राचीनकाल से ही भारतीय समाज ग्रामों में रहता था जहां की व्यवस्था कृषि आधारित थी। कुटुम्ब से बने कौटुम्बिक का अर्थ था परिवार का भरणपोषण करने वाला । जाहिर है खेती करके , अन्न उत्पादन कर ही परिवार का पालन संभव था। अतः कौटुम्बिक व्यापक अर्थ में पालनकर्ता भी हुआ। कालांतर में इसका एक रूप बना कुणबी और दूसरा रूप हुआ कुनबी। एक अन्य रूप कुर्मी या कुरमी भी इसी कुटुम्ब से बने । गौरतलब है कि समूचे दक्षिण भारत से लेकर उत्तर भारत तक आज इन उपनामों वाले लोग एक प्रमुख खेतिहर समूदाय की पहचान रखते हैं। ज्यादातर संपन्न किसान हैं। उप्र बिहार में ये कुर्मी है तो महाराष्ट्र में कुणबी। मध्यप्रदेश में ये कुनबी है तो कोंकण और दक्षिण में कुलम्बी और कुलवाड़ी, गुजरात में कनबी है तो कर्नाटक में कलबी। यूं इन तमाम राज्यों में इनकी प्रमुख पहचान इन उपनामों के अलावा पटेल ,पाटील ,पाटिल और देशमुख आदि के रूप में भी है। ( ज्यादा जानकारी के लिए देखें पाटील का दुपट्टा ) हमारी राष्ट्रपति प्रतिभाताई पाटील भी कुणबी समाज से हैं । इतिहासकार शिवाजी महाराज को भी कुणबी समाज का ही बताते हैं। कुछ भाषाविज्ञानी इस शब्द की उत्पत्ति द्रविड़ मूल से भी मानते हैं । कन (कण) यानी अनाज का दाना और बी यानी बीज । इस तरह कुनबी का अर्थ हुआ अन्न उगानेवाला। मगर ध्वनिसाम्य और अर्थसाम्य के आधार पर बनी इस व्युत्पत्ति को बहुत ज्यादा मान्यता नहीं मिली है।
आपकी चिट्ठियां -
सफर के पिछले दो पड़ावों पहले टंगड़ी अड़ी, फिर टांका लगा और चटाई से सोफे पर बिराजी कतार पर सर्वश्री विष्णु बैरागी, आलोक पुराणिक, चंद्रकुमार जैन, आभा, ममता, मीनाक्षी, महामंत्री (तस्लीम), रजनी भार्गव, सुजाता , समीरलाल , अनुराधा श्रीवास्तव, लावण्या, अनिताकुमार, सागर नाहर, संजीत त्रिपाठी , मीनाक्षी और पल्लव बुधकर की टिप्पणियां मिलीं। आप सबका आभार।
नए सहयात्री-
सफर के पिछले दो पड़ावों से राजनांदगांव के डा चंद्रकुमार जैन भी हमारे साथ हैं। आप न सिर्फ हिन्दी सेवी हैं बल्कि अपना भी एक ब्लाग चलाते हैं और खूबसूरत कविताएं भी लिखते हैं। डॉक्टर साहब आपका स्वागत है। आपकी भावभीनी बधाइयों से हम अभिभूत हैं। उम्मीद है खुशनुमा होगा आपका साथ।
@पल्लव बुधकर- आपको सोफे का सफर पसंद आया , शुक्रिया। आपने जिन शब्दों की फरमाइश की है वो हमारे ज़ेहन में पहले से हैं। दरअसल तुर्की मूल के शब्दों के बारे में बहुत कम जानकारी मिलती है। तुर्की भी पश्चिम वाला नहीं बल्कि पूरब वाला तुर्किस्तान। बहरहाल , सफर में हैं और कोशिश जारी है। साथ बना रहे।
Saturday, March 1, 2008
कुनबापरस्ती बढ़ी और सिमट गया कुटुम्ब
प्रस्तुतकर्ता अजित वडनेरकर पर 3:12 AM
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8 कमेंट्स:
बहुत शानदार. दूसरी तस्वीर वाला कुनबा देख कर तो आनंद दोगुना गया....
अजितजी,
हिन्दी ब्लागजगत के आंधी तूफ़ान में आपके चिट्ठे पर आना सावन की फ़ुहार जैसा लगता है । काश ऐसे और चिट्ठे भी होते, बहरहाल हम तो शब्दों के सफ़र के हमसफ़र बने हुये हैं ।
साभार,
बढ़िया पोस्ट। अच्छा लगा।
AAPKEE AATMEEYTA KE LIYE DHANYAVAD.
SHABDON KA YAH HAMSAFAR
SEEKHNE KI BHAVNA LIYE
HAMESHA AAPKE RAHGUZAR MEIN HAI.
...AUR HAAN...KUTUMBA-PARASTEE
SHABDA ITNAA ARTHGARBHA HAI KI USMEIN EKTAA AUR BANDHUTVA KA SANDESH BHEE CHUPA HUA HAI...
AAPKE SAFAR KE IS PADAV SE
YAHEE SANDESH
SAB TAK PAHUNCHE,
AISEE KAMNAA KARTA HUN.
KRIPA KAR MERE UPARYUKTA COMMENT MEIN MUJHSE HUI CHOOK SUDHAR KAR KUTUMBA-PARASTEE KEE JAGAH
KUNBAA-PARASTEE PADEN.DHANYAVAD...
उपयोगी जानकारी!!
मनोहारी चित्र। जानकारी पूर्ण लेख।
पिछले से भी ज़ोरदार - मूढ़ प्रश्न - मतलब क्या कुनबा और खानदान दोनों खाने (पीने) से निकले हैं ? - मनीष
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