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प्रस्तुतकर्ता अजित वडनेरकर पर 3:53 AM
16.चंद्रभूषण-
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15.दिनेशराय द्विवेदी-[1. 2. 3. 4. 5. 6. 7. 8. 9. 10. 11. 12. 13. 14. 15. 16. 17. 18. 19. 20. 21. 22.]
13.रंजना भाटिया-
12.अभिषेक ओझा-
[1. 2. 3.4.5 .6 .7 .8 .9 . 10]
11.प्रभाकर पाण्डेय-
10.हर्षवर्धन-
9.अरुण अरोरा-
8.बेजी-
7. अफ़लातून-
6.शिवकुमार मिश्र -
5.मीनाक्षी-
4.काकेश-
3.लावण्या शाह-
1.अनिताकुमार-
मुहावरा अरबी के हौर शब्द से जन्मा है जिसके मायने हैं परस्पर वार्तालाप, संवाद।
लंबी ज़ुबान -इस बार जानते हैं ज़ुबान को जो देखते हैं कितनी लंबी है और कहां-कहा समायी है। ज़बान यूं तो मुँह में ही समायी रहती है मगर जब चलने लगती है तो मुहावरा बन जाती है । ज़बान चलाना के मायने हुए उद्दंडता के साथ बोलना। ज्यादा चलने से ज़बान पर लगाम हट जाती है और बदतमीज़ी समझी जाती है। इसी तरह जब ज़बान लंबी हो जाती है तो भी मुश्किल । ज़बान लंबी होना मुहावरे की मूल फारसी कहन है ज़बान दराज़ करदन यानी लंबी जीभ होना अर्थात उद्दंडतापूर्वक बोलना।
दांत खट्टे करना- किसी को मात देने, पराजित करने के अर्थ में अक्सर इस मुहावरे का प्रयोग होता है। दांत किरकिरे होना में भी यही भाव शामिल है। दांत टूटना या दांत तोड़ना भी निरस्त्र हो जाने के अर्थ में प्रयोग होता है। दांत खट्टे होना या दांत खट्टे होना मुहावरे की मूल फारसी कहन है -दंदां तुर्श करदन
अक्ल गुम होना- हिन्दी में बुद्धि भ्रष्ट होना, या दिमाग काम न करना आदि अर्थों में अक्ल गुम होना मुहावरा खूब चलता है। अक्ल का घास चरने जाना भी दिमाग सही ठिकाने न होने की वजह से होता है। इसे ही अक्ल का ठिकाने न होना भी कहा जाता है। और जब कोई चीज़ ठिकाने न हो तो ठिकाने लगा दी जाती है। जाहिर है ठिकाने लगाने की प्रक्रिया यादगार रहती है। बहरहाल अक्ल गुम होना फारसी मूल का मुहावरा है और अक्ल गुमशुदन के तौर पर इस्तेमाल होता है।
दांतों तले उंगली दबाना - इस मुहावरे का मतलब होता है आश्चर्यचकित होना। डॉ भोलानाथ तिवारी के मुताबिक इस मुहावरे की आमद हिन्दी में फारसी से हुई है फारसी में इसका रूप है- अंगुश्त ब दन्दां ।
19 कमेंट्स:
डोलने से डोर बना यह बताओ अब पता लगा! शुक्रिया!
सफर बहुत पसंद आया..डोला डोली और डोर के संग!!! आभार.
आप ने तो हम सब पर पहले ही खूब डोरे डाल रखे हैं।
सदा की तरह बढ़िया!
घुघूती बासूती
सम्बन्ध का ताना बना थोडा थोडा समझ आया
पतंग की डोर पतंग को डोलती है या पतंग डोलती है तब डोर डोलती है .
संबंधों के विषय में कहना दुष्कर है,
जो करते हैं प्यार ये जग उनका घर है.
रहिमन घागे से सम्बद्ध सफ़र अपना,
लगे न इसको नज़र कोई बस ये डर है !
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सबंध के धागे और धागों के संबंध पर भी
आपकी सुरुचिपूर्ण पोस्ट मोह रही है.
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डॉ.चन्द्रकुमार जैन
डोला रे डोला रे डोला ..डोर और सँबँध का अटूट रीश्ता अब समझ मेँ आया जी
- लावण्या
भाई के हाथों की शोभा,
भगिनी का अनुबंधन।
कच्चा धागा ही होता है,
प्रेम-प्रीत का बन्धन।।
शब्दों का ये सफर, चल रहा है आगे ही आगे।
जो इससे वंचित रह जाते, वो हैं बहुत अभागे।।
बहुत अच्छा डोरी , धागा ज्ञान .
धन्यवाद
बहुत बढ़िया जानकारी मिली रिश्ता, सम्बन्ध और डोर के बारे में. हमेशा की तरह शानदार.
बढ़िया जानकारी
बहुत अच्छी जानकारी शुक्रिया...
बहुत बढ़िया हम तो इतना ही कहेंगें।
्डोलने शब्द से वो पुराना गीत याद आया - होंडलना झूलन आई बलमा...शब्दों का यह डोलना चलता रहे...
होंडलना = हिंडोलना
आपने शब्दों के आपसी सम्बन्ध और उनकी उत्पत्ति के सूत्रों को पिरो कर यह ज्ञानवर्धक और रोचक ताना-बाना बनाया है। कपास - पुष्प के संस्कृत नाम की भी सार्थकता मालूम हुई।
सचमुच ,रिस्ते में सम भाव सम्बन्ध को दृढ़ता प्रदान करते हैं....
बहुत सुन्दर सफ़र रहा यह भी हमेशा की तरह.
रेस्पेक्टेड वडनेर साहब, मैं आपके शब्द पढ़ कर सोच में हूँ कि क्या कहू? मेरा ब्लॉग जगत से रिश्ता आपके ब्लॉग से आरम्भ होता है क्योंकि [ नाम नहीं लुंगी ] जिनके साथ इस रेगिस्तान की सैर कई दिनों तक की उन्होंने ही बताया था मुझे आपके बारे में, मैं सवेरे जब काम के सिलसिले में बाहर निकलती हूँ तब मेरे पास सिर्फ अव्यवहारिक किन्तु भविष्य के लिए महत्वपूर्ण कार्य होता है, आपके ब्लॉग पर मैं पिछले एक महीने लगा तर आ रही हूँ और एक विद्वेता से कुछ कहना मुनासिब नहीं लगा. कृपया मेरा अभिवादन स्वीकार करें . नंदनी
आपके लेख से हम ब्लॉगरों के बीच का धागा, डोर रिश्ता सब समझ में आ गया।
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