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Tuesday, March 9, 2010
टट्टी की ओट और धोखे की टट्टी
...हम हिन्दुस्तानी नित्यकर्म को प्रकृति की सोहबत में करने के आदी रहे हैं। फारसी में इसे हाज़त-फ़राग़त कहते हैं और हिन्दी में शंका समाधान...
क्या कुछ ऐसे शब्दों की मिसालें गिनाई जा सकती हैं जो स्थानवाची हैं मगर उनका इस्तेमाल पदार्थ के संदर्भ में भी होता है? ज्यादा दिमाग़ लगाने की ज़रूरत नहीं है। मल त्याग से संबंधित जितने भी स्थान हैं उनका प्रयोग विष्ठा या मल के रूप में भी धड़ल्ले से होता है। इस क्रम में टट्टी, टॉयलेट, शौचालय, पाखाना या बाथरूम जैसे शब्द खास हैं। टट्टी का अर्थ होता है बांस की फट्टियों या टाट की चिक, पर्दा या पतली दीवार। टट्टी अपने आप में वह स्थान है जहां आड़ हो, जहां नित्यकर्म से निवृत्त हुआ जाता है। मगर बोलचाल में विष्टा का पर्याय ही टट्टी हो गया है। इससे जुड़े कुछ महत्वपूर्ण मुहावरे हैं जिनमें आड़ संबंधी अर्थ प्रकट होता है, जैसे- धोखे की टट्टी यानी ऊपर से आकर्षक पर भीतर से कुछ और या छुप कर वार करनेवाला आवरण। टट्टी की ओट लेना यानी छुपना या न मिलने के बहाने बनाना। इधर हंसी-ठट्ठा में शौच क्रिया के लिए टटियाना और इसकी शंका के लिए टटास जैसे शब्द भी बना लिए गए हैं। इसी तरह शौचालय शब्द में लगे “आलय” से ही इसमें स्थान या आश्रय का भाव स्पष्ट है। मगर शौच का अर्थ भी विष्ठाहो गया जबकि मूल आशय अशौच से मुक्ति था। इसी तरह अंग्रेजी में यूं तो टॉयलेट जाया जाता है मगर हिन्दी में टॉयलेट “किया” भी जाता है और “पड़ा” भी रहता है।
टट्टी शब्द समूचे भारतीय उपमहाद्वीप में बोला, समझा जाता है। उत्तर में नेपाल से लेकर अफ़गानिस्तान तक लोग इसका इस्तेमाल विष्ठा के अर्थ में ठाठ से करते हैं। टट्टी एक पदार्थ है जबकि अपने मूल स्वरूप में यह स्थानवाची शब्द है। टट्टी शब्द की गहराई में जाएं पता चलता है कि खुले आम हगने के लिए बदनाम हम भदेस भारतीयों नें ही इस नितांत आवश्यक निजी कर्म के लिए आड़ का आविष्कार भी किया था, जिसे संस्कारी भाषा में आज टॉयलेट या शौचालय कहा जाता है। सार्वजनिक सेवा के बतौर इन कामों के लिए सुविधाएं या प्रसाधन जैसे शिष्ट शब्द भी मिलते हैं। यूं हम हिन्दुस्तानी इस नित्यकर्म को प्रकृति की सोहबत में करने के आदी रहे हैं। इसके लिए भी दिशा-मैदान जैसा संस्कारी शब्दयुग्म इस्तेमाल होता रहा। उर्दू-फारसी में इसे हाज़त फ़राग़त कहते हैं जिसका सही हिन्दी अनुवाद होता है शंका समाधान। आमतौर पर मूत्रत्याग के लिए लघुशंका शब्द का खूब प्रयोग होता है। मराठी में इसे लघवी कहते हैं। पर शंका अगर बड़ी हो तो उसे क्या कहा जाएगा? जाहिर है टट्टी जाने के लिए हमने दीर्घशंका शब्द भी बना लिया। हाज़त-फ़राग़त में इन दोनों शंकाओं से निवृत्त होने के साथ ही साधारण अर्थों में हाथ-मुंह धोने का भाव भी निहित है जिसे चालू हिन्दी में अब फ्रेश होना कहा जाता है। यूं देखें तो हाज़त फ़राग़त की अर्थवत्ता ज्यादा व्यापक है।
टट्टी शब्द की व्युत्पत्ति टाट यानी जूट का पर्दा या ठट्ठर > टट्टर > टाटी >टट्टी से बताई जाती है। टट्टी का अर्थ होता है टाट से बना हुआ छोटा कक्ष या कोई आड़। हिन्दी भाषी सभी क्षेत्रों में टाट शब्द खूब बोला समझा जाता है। टाट यानी जूट के तन्तुओं से बना हुआ मोटा कपड़ा जिसका इस्तेमाल आमतौर पर अनाज भरने की थैलियों के लिए होता है। निर्धनों के झोपड़े पर पर्दे का काम भी यह टाट का टुकड़ा करता रहा है। सो टाट उस वस्तु या पदार्थ का नाम है जो निजता सुरक्षित रखने के लिए आड़ प्रदान करता है। पुराने ज़माने में बस्तियों में नित्यकर्म के लिए जूट से बने इसी टाट से आड़ बनाई जाती थीं। जॉन प्लैट्स के कोशानुसार यह बना है संस्कृत के तन्त्र में इका प्रत्यय लगने से। तन्त्र+इका > तन्त्रिका >टट्टिका >टट्टिआ > टाटी या टट्टी, यह क्रम रहा तन्त्रिका के टट्टी में बदलने का जिसका अर्थ हुआ वनस्पति तन्तुओं से बुना हुआ मोटा कपड़ा। हालांकि हिन्दी शब्दसागर में टट्टी की दो संभावित व्युत्पत्तियां बताई गई हैं। पहली व्युत्पत्ति है तटी जिसका अर्थ ऊंचा किनारा या ऊंची बाड़। दूसरी व्युत्पत्ति है स्थातृ। यह शब्द स्थ् धातु से बना है जिसमें स्थिरता या आधार का भाव है। स्थातृ से ही बना है ठठरी (ठाट्ठरी > ठठरी > ठटरी) जिसका अर्थ होता है कंकाल, ढांचा या पंजर। गौर करें कि मनुष्य का शरीर अस्थियों के ढांचे पर ही है। अस्थिपंजर के रूप में किसी भी जीव की देह को ठठरी कहा जाता है। स्थातृ का देशज रूप ही ठाठ बना। ठाठ का असली अर्थ है घास-फूस या बांस के जरिये बनाया गया कोई ढांचा जिसे सब तरफ से ढक कर कोई आश्रय या निर्माण किया जाए। ठाट्ठरी से इसका रूप ठट्ठर हुआ और फिर टट्टर जिसका अर्थ ओट या रक्षा के लिए बांस की फट्टियां जोड़ कर बनाया गया ढांचा। तन्त्रिका में जहां बुनावट का भाव है वहीं स्थातृ में स्थिरता या ढांचे का भाव है। घर के एक स्थायी हिस्से के तौर पर टाट से बनी आड़ या ओट की तुलना में स्थातृ से बने ठट्टर या टट्रर से टाटी या टट्टी की कल्पना अधिक तार्किक लगती है। अलबत्ता बांस की खपच्चियों को भी बुना ही जाता है और टाट को भी।
नित्यकर्म से निवृत्त होने के लिए बांस से बनाए ढांचे पर चढ़ाई गई टट्टी के जरिए गांव देहातों में शौचालय बनाए जाते रहे। दिशा मैदान जाने की तर्ज पर ही कालांतर में लिए टट्टी जाना जैसे शब्द प्रयोग शुरू हुए। मूलतः इसमें नित्यकर्म के लिए बनाए गए पोशीदा मुकाम पर जाने का भाव था। टट्टी का अर्थविस्तार हुआ और बोलचाल में टट्टी जाना बाद का काम हुआ, हाज़त या शंका के अर्थ में पहले टट्टी आने लगी। इसी मुकाम पर आकर टट्टी जो स्थानवाची शब्द था, पदार्थ या संज्ञा मे तब्दील हो गया। पंजाबी में दस्त के अर्थ में कई बार टट्टियां लगना कहा जाता है। टट्टी का यह बहुवचन दिलचस्प है। हालांकि यहां मात्रा पर नहीं, क्रिया की आवृत्ति पर जोर है। मल या विष्ठा की तरह अब जगह जगह “टट्टी” की मौजूदगी देखी जा सकती है। हमें यह गर्वबोध भी नहीं रहा कि प्राचीनकाल में विकसित होते जनसमूहों ने हाज़त फ़राग़त के लिए एक स्थान नियत किया था जो हमारे सभ्य होते जाने के शुरुआती प्रतीकों में था। मगर अब ये हाल है कि बिना टट्टी लगाए अर्थात आड़ में गए देशभर के समूचे रेलवे ट्रैक को भदेस भारतीयों ने विराट खुले शौचालय में बदल दिया है।
अंग्रेजी में शौचालय को टॉयलेट toilet कहते हैं जिसका अर्थ भी टट्टी जैसा ही है। अंग्रेजी का टॉयलेट बना है मध्यकालीन फ्रैंच के toilette से जिसके मूल में है टॉइल toile, जो बना है लैटिन के tela से। इसका अर्थ बांस की चटाई या टाट जैसा कपड़ा होता है जिसे बुना गया हो। इस तरह से टॉयलेट का अर्थ भी प्रसाधन या तैयार होने की जगह होता है जिसमें समय के साथ स्नानागार या शौचालय का भाव समा गया। मूल रूप में टट्टी और टॉयलेट एक ही हैं।
-अगली कड़ी में भी जारी
प्रस्तुतकर्ता अजित वडनेरकर पर 4:07 AM
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19 कमेंट्स:
टट्टी जाना के अर्थ में पंजाबी में(हिंदी में भी होंगी) कुछ और उक्तिआ हैं: झाडे जाना, मैदान मारना, जंगल पानी जाना, बाहर जाना, टट्टी फिरना, टट्टी बैठना, दो नंबर जाना, पौटी करना.
टट्टियां लगना का मतलब अधिक बार टट्टी आना है: 'दस्त' पतली टट्टियां हैं; 'मरोड़' पेचिश है; कब्ज के बाद सख्त टट्टी 'सुडा' है.
मुहावरे: टट्टी निकलना, टट्टी खुशक होना, टट्टी चड़ना( बहुत डर जाना), टट्टी कढना( बहुत डराना)
कहावत: टट्टी ओहले शिकार करना(छुप कर मनोरथ पूरा करना)
मनु स्मृति रास्ते में टट्टी करने की मनाही करती है.
पंजाबिओं के बारे में दुसरे लोग आम ही कहते हैं कि यह हर बात में 'स्वाद आ गया' बहुत कहते हैं, यहाँ तक कि अगर टट्टी जाएँ तो भी कहते हैं "टट्टी में स्वाद आ गया".
ये ज्ञान भी बढ़िया रहा..
सुन्दर व्याख्या!
हमारे यहाँ "टट्टी की ओट लेना"
को टटिया की ओट लेना कहते हैं!
शंका लघु थी; देर लगी दीर्घ हो गयी'
कहना था एक शेर, ग़ज़ल पूरी हो गयी.
हाजत र'वाई के लिए जिस दर* पे गए थे,
पाया क़ि अब तो धोखे की वह टट्टी हो गयी.
*दर=आश्रम
note: Anti-Diarheal नहीं मिला.......टट्टियाँ जारी रहेगी
शौचालय के लिए उपयोग किए जाने वाले अधिकांश शब्दों का आरंभ आड़ से है। वृंदावन में एक टाँटिया आश्रम है। उसे यह इसी लिए कहा जाता है कि उस की बाउन्ड्री टट्टियों से ही बनी है।
ीअच्छी जानकारी धन्यवाद्
बदबूदार पर ज्ञान वर्धक.....वैसे सूखी पर बङी ट.....को मारवाङी मैं लींडा भी कहते हैं...
राजस्थानी मैं इसे दिशां या तहारत भी कहा जाता है
एक अतिसाधारण और चर्चा को लगभग वर्जित शब्द की आपने इतनी सुरुचिपूर्ण व्याख्या की कि मन खुश हो गया...
हमारे तरफ गाँवों में इसे दिशा मैदान जाना कहा जाता है,जो कि निर्जन खेतों में में सम्पादित किये जाते हैं...माना जाता है कि खाली खेतों में मल त्याग से खेतों की उर्वरा शक्ति संवर्धित होती है...
हालाँकि आजकल तो गांवों में भी बंद शौचालयों का खूब प्रचलन बढ़ गया है और साधनहीन ही खुले खेतों में अब शौच के लिए मजबूरन जाते हैं..
अजित भाई
आज सोच से की बोर्ड का तालमेल बिगड़ा हुआ है ...शायद दिमाग दिशा मैदान की ओर चल निकला है !
( संभव है कुछ दिन आपको दिखाई ना दूं ...कोई टिप्पणी भी ना कर सकूं ! मुझे जहां काम हैं शायद वहां नेटवर्क नहीं होगा ! कोशिश करूंगा कि इस दौरान किसी छुट्टी के दिन आपसे सलाम दुआ कर पाऊं ! आपके नियमित पाठक बतौर मेरी गुमशुदगी को अन्यथा मत लीजियेगा )
जय हो। जैसा रंजना जी ने लिखा -एक अतिसाधारण और चर्चा को लगभग वर्जित शब्द की आपने इतनी सुरुचिपूर्ण व्याख्या !
मजे की बात है कि हमारे देखते-देखते यह शब्द इतना भदेश माना जाना लगा कि इसका प्रयोग पिछड़ेपन की निशानी माना जाने लगा है।
ट्ट्टी->बाथरूम->ट्वायलेट->पॉटी के शब्द सफ़र से लगता है कि यह शब्द शूद्र स्थिति को प्राप्त हो गया है। आपने इसे सम्मान दिया! साधुवाद!
बहुत सुन्दर लेख! बधाई!
एक मुहावरा और है ।
अरहर की टट्टी, गुजराती ताला ।
भाई आप का लिखा हुआ मस्त है कोई भी शब्द की व्याख्या हो आपसे करवा लो..............बहुत बढ़िया
tatty ek aisa saarvbhomik satya hai jo sab karte hai par kahne se ghrina karte hai. Tatty karna bahut jaruri hai bhai
राजस्थान में मैं न होकर धोरे हैं वहां धोरे जाना भी कहते है। यह इतना प्रचलित था कि घर में बने शौचालय में जाने के लिए भी धोरा जाना कहते।
एक शब्द हगना भी है। यह शायद स्थान का नाम न हो कर क्रिया का नाम है
अपनी तारीफ़ सुन गदहे शरमा गये
'लीड' अब जो करी, कुरमुरे रंग में ।
बहुत ही श्रेष्ठ...
में समझता हूँ कि मैं समझता हूं कि इस टट्टी शब्द का प्रचलन
अंग्रेजों के समय ये है .. उससे पहले हदन क्रियाऐं -- हगने का दैनिक कार्य यह शब्द प्रचलन में था .. जोकि संस्कृत काल ये ही चला आरहा है मा योगेश कुमार रोहि अनुनय पूर्वक यह आप के संज्ञान में प्रक्षेपित कर्ता हूँ ।कि टट्टी शब्द का मूल अंगेजी का डर्टी (Dirty)
शब्द है नकि टटीया शब्द ... आपका क्या प्रतिक्रिया है हम्हें सूचित अवश्य करें ......
ऐसे तो रास्ते में टट्टी पेंट में ही निकल जाएगी ।
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