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Friday, March 26, 2010
उदाहरण स्वरूप अपहरण और मनहरण
... उदाहरणम् का अर्थ है दृष्टांत देना, वर्णन करना, परिचयात्मक गीत या कविता की पंक्तियां जैसे स्तुतिगान आदि।
सं स्कृत की हृ धातु में ग्रहण करना, लेना, प्राप्त करना, ढोना, निकट लाना, पकड़ना, खिंचाव या आकर्षण, हरण जैसे भाव हैं। हृ धातु से बना है हृत् जिसमें यहीं भाव हैं तथा इसमें अप उपसर्ग लगने से कई अन्य शब्द भी बने हैं जैसे अपहृत, अपहरण, अपहर्ता आदि। जाहिर है लाना, पकड़ना जैसे भाव इसमें उजागर हो रहे हैं। चूंकि अप उपसर्ग में घटिया, भ्रष्ट या बुरा जैसे भाव निहित हैं इसलिए हृ में अप के प्रयोग से बने अपहृत, अपहरण, अपहर्ता जैसे शब्दों का नकारात्मक भाव ही प्रमुख है। हिन्दी में उपसंहार या समाप्ति के अर्थ में समाहार शब्द का प्रयोग होता है। सम के साथ हृ के मेल से यह शब्द बना है। हृ में निहित लेना, खींचना, निकट लाना जैसे भावों पर गौर करें। समाप्त होने के अर्थ में किसी कार्य की क्रियाओं को सम्पन्न करने की बात उभर रही है। गौर करें मंचीय प्रस्तुति के बाद होने वाले पटाक्षेप पर। रंगमंच के दोनो पर्दे एक साथ एक दूसरे के निकट आते हैं जो पटाक्षेप अर्थात समाहार का संकेत है।
हिन्दी मेंमनुहार शब्द का दो तरह से प्रयोग होता है। मूलतः दोनों ही शब्द हृ की शृंखला से बंधे हैं। मान मनौवल, चिरौरी या खुशामद के अर्थ में मनुहार बोलचाल का सर्वाधिक प्रयुक्त देशज शब्द है। हिन्दी शब्द सागर के मुताबिक यह मान + हारना से बना है। मान अर्थात आत्मप्रतिष्टा, आदर आदि। किसी की खुशामद खुद का सम्मान भुला कर ही होती है। आत्मसम्मानी व्यक्ति कभी खुशामद नहीं करता। हालांकि खुशामद शब्द में नकारात्मक भाव है जबकि मनुहार में आत्मीय आग्रह छुपा है। फिर भी वह है खुशामद ही। मनुहार में एक पक्ष का कमजोर होना, ढीला पड़ना और अपने कार्य के लिए झुकना स्पष्ट है, जो प्रकारांतर से हार ही है। पराजय के अर्थ में हम हार शब्द का अक्सर प्रयोग करते हैं। हार बना है संस्कृत हारि शब्द से जिसके मूल में हृ धातु ही है जिसमें ले जाने, हरण करने का भाव है। हृत् शब्द का अर्थ होता है जिसका सब कुछ छीन लिया गया हो जाहिर है छिनने में ही हार है। विजय का छिनना हार है, आजादी का छिनना हार है, आत्मगौरव का पास न रहना हार है और खुद की रक्षा न कर पाना अर्थात अपहृत हो जाता भी हार है। हारना दिल का भी होता है तभी नायिका अपने प्रेमी से कहती है-मैं हारि सैंयां…। हारि में शरणागति है। हृ से ही बना है हृदय जिसमें सब कुछ समाहित होता है। हृदय में ही खिंचाव अर्थात आकर्षण है। दुनिया के कार्य-व्यापार से उपजे भाव हृदय में समाहित हो जाते हैं। मनोहारि का एक अर्थ इसीलिए आकर्षक, मोहक भी होता है जिसे मनहरण भी कहते हैं। मनोहर भी इसी कतार में है अर्थात जो मन को हर ले, उसे साथ ले जाए। मनुहार का दूसरा अर्थ इसी मनोहर या मनोहारि से मनोहारि > मनुहारी > मनुहार के क्रम में जुड़ता है।
इस शृंखला का एक और महत्वपूर्ण शब्द है उदाहरण। मिसाल, बानगी या नमूना के अर्थ में अक्सर उदाहरण का खूब प्रयोग होता है। उदाहरण, सौदाहरण या उदाहरण स्वरूप जैसे शब्द रोज बोलने-पढने में आते हैं। उदाहरण बना है उदाहरणम् से जो उद्+आ+हृ के मेल से बना है। उदाहरणम् का अर्थ है दृष्टांत देना, वर्णन करना, परिचयात्मक गीत या कविता की पंक्तियां जैसे स्तुतिगान आदि। संस्कृत की उद् धातु में ऊपर उठने, नीचे से ऊपर आने का भाव है। इस तरह उद् + हृ का जो अर्थ निकलता, वह है किसी बात को सामने लाना, भीतर की चीज सामने लाना। उदाहरण या मिसाल दरअसल बहुत से तथ्यों में से चुनकर ऊपर लाया गया कोई एक तथ्य ही होता है जो दृष्टान्त कहलाता है।
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18 कमेंट्स:
वाह! क्या बात है...बेहतरीन जानकारी....बचपन की याद आ गई जब आचार्य जी संस्कृत की क्लास में संधियां और शब्द-धातु रूप पढ़ाते थे...
आलोक साहिल
उद् + हृ ...उच्चारण करने में ही जुबान एंठ गई .... मगर सही कर लिया। कठिन शब्दों की सरल व्याख्या। उत्तम है।
कुछ घोटाला हो रहा है... कमेंट लिखा तो गायब हो गया।
वाह! क्या बात है...बेहतरीन जानकारी....बचपन की याद आ गई जब आचार्य जी संस्कृत की क्लास में संधियां और शब्द-धातु रूप पढ़ाते थे...
आलोक साहिल
उदाहरण के लिये जब मनहरण के अपहरण का समाहार हुआ....
बढिया लगा यह एपिसोड
बहुत बढ़िया और जानकारीपूर्ण.
एक और बढ़िया जानकारी
आभार
हरण महत्वपूर्ण शब्द है। पर इस के उपयोग में बहुत विविधता है। जब जबरन कुछ हर लिया जाता है तब भी और जब कोई स्वतः ही हार जाता है तब भी।
मनुहार का दूसरा अर्थ आज जाना.
आपका बहुत शुक्रिया इतनी सुंदर जानकारी के लिए .
ज्ञानवर्धक जानकारी ।
मनहर विवेचना...
आभार..
आजकल मनुहार पत्रिका का फ़ैशन चल रहा है .
वाह इस हृ की धातुओं ने तो वाकई मन हर लिया
’मनुहार लगाना’ सुना था लेकिन मुझे नही पता था कि इसका अर्थ चापलूसी के लिये आता है.. आपकी जानकारी ने बचा लिया..
किसी ऎड मे देखा है..
’जानकारी ही बचाव है’...
पंकज भाई,
जल्दबाजी न करें। मैने यह भी लिखा है कि मनुहार में मूलतः आत्मीय आग्रह का ही भाव समाविष्ट है और यही अब व्यवहार में आता है। सो मनुहार शब्द आग्रह भी है और चापलूसी भी। उदाहरण देखें-
1-अब हमसे इतनी मनुहार नहीं होती। माने तो ठीक नहीं तो भाड़ में जाएं....(चापलूसी)
2-आशीर्वाद देने ही आ जाएं, चाहे भोजन न करें, इतनी ही मनुहार है (आत्मीय आग्रह)
ओह!! मुझे लगा की मेरे बेसिक्स खराब हैं.. करेक्शंस के लिए आभार..
शायद इस गलती से अब ये शब्द तो कभी नहीं भूलेगा...
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