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Tuesday, March 30, 2010
आरामशीन से चरस, रहंट, घट्टी तक
अ नाज पीसने की चक्की को घट्टी भी कहा जाता है। यह बना है संस्कृत के अरघट्ट से जिसका मतलब भी घूमना, चक्कर लगाना, गोल पहिया आदि है। अरघट्ट बना है अरः+घट्टकः से। अरः का अर्थ है नुकीले दांतोवाला पहिया। अरः बना है ऋ धातु से जिसमें घूमना, परिक्रमा, चक्रण, जाना, आना जैसे भाव हैं। देवनागरी का ऋ अक्षर दरअसल संस्कृत भाषा का एक मूल शब्द भी है जिसका अर्थ है जाना, पाना। जाहिर है किसी मार्ग पर चलकर कुछ पाने का भाव इसमें समाहित है। जाने-पाने में कर्म या प्रयास का भाव निहित है। ऋ की महिमा से कई इंडो यूरोपीय भाषाओं जैसे हिन्दी, उर्दू, फारसी अंग्रेजी, जर्मन वगैरह में दर्जनों ऐसे शब्दों का निर्माण हुआ जिन्हें बोलचाल की भाषा में रोजाना इस्तेमाल किया जाता है। हिन्दी का रीति या रीत शब्द इससे ही निकला है। ऋ का जाना और पाना अर्थ इसके ऋत् यानी रीति रूप में और भी साफ हो जाता है अर्थात् उचित राह जाना और सही रीति से कुछ पाना। ऋ का प्रतिरूप नजर आता है अंग्रेजी के राइट ( सही-उचित) और जर्मन राख्त (राईट)में।
किसी यंत्र के चक्कों में बनें दांतों पर गौर करें। संस्कृत में इसके लिए ही अरः शब्द है। इन दांतों में फंसी शृंखला घूमते हुए चक्के या गरारी की परिधि में एक के बाद एक परिक्रमा करती है। इस गरारी से बने एक उपकरण का नाम ही रहंट है। अरघट्ट का घट्ट बना है घट् धातु से जिसमें एक करने, मिलाने, संचित करने, टिकने का भाव है। कूप या कुएं में जल संचित होता है, टिकता है, आश्रय पाता है इस तरह घट्ट में कूप का का भाव है सार्थक है। हिन्दी का रहंट शब्द भी इससे ही निकला है। इस तरह अरघट्ट का अर्थ हुआ कुएं से पानी उलीचनेवाला यंत्र जिसमें बड़ा दांतेदार पहिया लगा लगा होता है जिसके प्रत्येक अर यानी दांतों से अटक कर कई सारी बाल्टियां निरंतर नीचे से पानी ऊपर लाती रहती हैं। अरघट्ट> अरहट्ट> और इसकी अगली कड़ी बना रहंट। अरघट्ट का ही एक रूप गरारी भी है जो इसी मूल से उपजा है। अरघट्ट का वर्णविपर्यय होने से बना गरारी। अरघट्ट> गरह्ट्ट> गरट्ट> गरारी। इसी तरह लोहे या लकड़ी को काटनेवाले दांतेदार यंत्र के लिए आरी नाम भी इसी अरः से आ रहा है। अरघट्ट से अर् का लोप होने से अनाज पीसने की चक्की के रूप में घट्टी शब्द बना। घट्टी एक यंत्र ही है। इसी तरह हिन्दी का आरा और अंग्रेजी की मशीन को जोड़ कर आरामशीन एक नया शब्द हिन्दी को मिल गया। भाषा ऐसे ही विकसित होती है। स्लेट को गीले कपड़े यानी पानीपोते से पोछने के बाद सुखाने के लिए क्या बोलते थे, याद करें-सूख सूख पट्टी, चंदनघट्टी!!! मुझे आजतक इसका अर्थ समझ में नहीं आया और इसे मैं एक लयात्मक मगर अर्थहीन शिशु-पद ही समझता हूं।
रहंट के लिए एक अन्य शब्द प्रचलित है चरस या चड़स। आज गांव गांव में पम्प प्रचलित हैं जो बिजली की मोटर के जरिये चलते हैं और पलभर में पातालपानी को उलीचने लगते हैं। चड़स मे दरअसल यंत्र का भाव न होकर चमड़े की उस थैली का संकेत है जिसमें एक साथ तीस चालीस लीटर पानी भरने की क्षमता होती है। कुएं की चरखी में लगी रस्सी से बंधी चमड़े की एक थैली को चड़स या चरस कहते हैं जिसके मुंह पर बंधी रस्सी का दूसरा छोर दो बैलों के जुए से बंधा होता है। बैलों द्वारा खींचे जाने पर यह थैली ऊपर आती है और पानी को खेत तक जाने वाली नाली में उलीच देती है। चरस शब्द दरअसल हिन्दी में फारसी से आया है। इंडो-ईरानी मूल के इस शब्द की रिश्तेदारी संस्कृत के चर्मन् से है जो बना है संस्कृत धातु चर् से। चर् में मूलतः हिलने-डुलने, गति करने, मैदानों में हरी घास चरने का भाव है। इससे ही बना है चर जिसका अर्थ है चलनेवाला अर्थात पशु। दिशाहीन भटकनेवाले को पशु की संज्ञा दी जाती है। पशु की खाल के लिए भी इसी चर् धातु से ही चर्मन् शब्द बना। इसका हिन्दी रूप चमड़ा है। चर्मन् का फारसी रूप चर्बः होता है। शास्त्रीय फारसी में चर्बः का रूप चर्म ही है जिसका अर्थ चमड़ा ही होता है।
चर्मन् में दरअसल न सिर्फ त्वचा बल्कि उसके नीचे स्थित वसायुक्त मांस का भाव है। चर्बः या चरबी में मूलतः वसा का ही भाव है इसीलिए मोटापे के अर्थ में चरबी चढ़ना मुहावरा प्रसिद्ध है। फारसी, उर्दू में चर्बः का अर्थ महीन झिल्ली, काग़ज़, खाल, परत आदि भी होता है। संस्कृत, अवेस्ता और फारसी में प-फ-ब शब्द आपस में बदलते हैं। इसी चर्बः या चर्मन् का रूपांतर चरस है जिसका अर्थ चमड़े की थैली के रूप में रहंट की डोलची के तौर पर समझा जा सकता है। चरस का एक और अर्थ है एक नशीली वनस्पति। दरअसल भांग की ही एक किस्म जो अफ़गानिस्तान ईरान में पाई जाती है, जिसे चरस कहते हैं। दरअसल चमड़े अर्थात चरस से बने दस्तानों की मदद से इस नशीली वनस्पति की पत्तियों को रगड़ कर उसका चिकना सत्व एकत्रित किया जाता है। इस प्रक्रिया की वजह से गांजा-भांग की श्रेणी वाले इस नशीले पदार्थ के लिए चरस नाम मशहूर हुआ।
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6 कमेंट्स:
ये जबरदस्त जानकारी रही. आभार ज्ञानवर्धन का.
बेहतरीन जानकारी।
बेहतरीन पोस्ट......."
संस्कृत के अरघट्ट का गुजराती में घरघट और फिर घरघंट्टी हो गया. राजस्थानी में केवल घट्टी कहा जाता है.
Wooden gears stock photo. © MaximImages - stock photos in style
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