Friday, July 2, 2010

दीवाना हुआ बादल…[मेघ-2]

पिछली कड़ियां-छाई पच्छिम की बदरिया…[मेघ-1]ircraft

बादी यानी इन्सानी बसाहट से बादलों का कोई रिश्ता है? स्वार्थ के नज़रिए से देखें तो है वर्ना नहीं। इन्सान को जीने के लिए पानी चाहिए और बादल पानी लेकर आते हैं अन्यथा बादलों का रिश्ता हरियाली से है। अर्थात जहां हरेभरे दरख्त आबाद होंगे, बादलों की मेहरबानी वहीं होगी। रेन फारेस्ट यानी वर्षावनों से यह साबित होता है। बादल धरती को हराभरा रखने के लिए बरसते हैं न कि शहरों को भिगोने के लिए। इसीलिए हरियाली का रिश्ता पानी से जुड़ता है। उर्दू-फारसी में बादल को अब्र कहा जाता है। बादल शब्द बना है संस्कृत के वारिद शब्द का वर्णविपर्यय होने से। जिस तरह बादल शब्द का अर्थ जल के वाहक या पानी देने वाले (वारि + द =वारिद) उसी तरह अब्र की अर्थवत्ता में भी यही भाव है। संस्कृत में पानी के लिए एक धातु है अप्। फारसी में पानी को आब कहते हैं। संस्कृत के अप् से इसकी समानता पर ध्यान देना चाहिए। 
संस्कृत में बादल को अभ्र कहा जाता है जिसका उच्चारण अब्र के बहुत करीब है। आपटे कोश के अनुसार अभ्र बना है अप्+ भृ से जिसका अर्थ है बादल, आकाश, नभ या शून्य। मराठी में इसी अभ्र का रूप होता है आभाळ। स्याह काले बादल को संस्कृत-हिन्दी में नीलाभ्र कहते हैं। यहां नीला का अर्थ काला ही है। वे बादल जो बरसते हैं, काले ही होते हैं। संस्कृत में पानी के लिए एक शब्द है अप्। संस्कृत में द वर्ण का अर्थ है कुछ देना या उत्पादन करना । चूंकि पृथ्वी पर पानी बादल लेकर आते हैं इसलिए अप् + द मिलकर बना अब्द यानी पानी देने वाला। इस अप् या अब्द से इंडो-इरानी भाषा परिवार में कई रूप नज़र आते हैं। पानी के अर्थ वाला संस्कृत का अप् फारसी में आब बनकर मौजूद है। हिन्दी उर्दू में जलवायु के अर्थ में अक्सर आबोहवा शब्द का भी इस्तेमाल किया जाता है। यही नहीं जो अप् बादल के अर्थ में संस्कृत में अब्द बना हुआ है, उसी अप् से अभ्र बना,  वही फारसी मे अब्र की शक्ल में हाजिर है। एक शेर देखिये- दो पल बरस के अब्र ने, दरिया का रुख किया तपती ज़मीं से पहरों निकलती रही भड़ास ।
संस्कृत में अभ्र का एक अर्थ जाना, घूमना, भटकना भी है। गौर करें बादल कहीं से उठते हैं और न जाने कहां कहां की आवारगी, यायावरी करते हुए कहां बरस पड़ते हैं। निदा फाज़ली साहब का मशहूर शेर है-बरसात का बादल तो, दीवाना है क्या जाने / किस राह से बचना है, किस छत को भिगोना है। कालिदास ने मेघदूत में इसीलिए बादल को दूत बनाया है क्योंकि वह यायावर है, घुमक्कड़ी उसके स्वभाव में है। फारसी का आबरू (इज्ज़त) लफ्ज और आबजू ( नहर, नदी या चश्मा ) शब्द भी इससे ही निकले हैं। गौरतलब है कि फारसी के आबजू की तरह संस्कृत में भी अब्जः शब्द है जिसका मतलब पानी का या पानी से उत्पन्न होता है। बसावट के अर्थ में हिन्दी-उर्दू-फारसी में आम शब्द है आबाद या आबादी। इसका मतलब जनसंख्या या ऐसी ज़मीन है जिसे जोता और सींचा जाता है। सिंचाई के लिए पानी ज़रूरी है । ज़ाहिर है आबाद या आबादी वहीं है जहां पानी है। इसे यूं समझा जा सकता है कि जहां आब है वही जगह आबाद होगी।
ल प्रदान करनेवाला के अर्थ में बादल के कई नाम है जैसे वारिधर यानी पानी को धारण करनेवाला। जल का वाहन होने के कारण इसका एक नाम वारिवाह भी है। नाथ का अर्थ है स्वामी सो, वारिनाथ का अर्थ हुआ जल का स्वामी। यह नाम इंद्र का विशेषण भी है। बादल को बलाहक भी कहते हैं। जलद यानी जल प्रदान करनेवाला। नीरद भी इसी श्रेणी में आता है। नीरधर, पयोधर का अभिप्राय भी स्पष्ट है। पयस् का अर्थ है पानी जिससे पयोधर बना है। संस्कृत में पयोधि का अर्थ समुद्र होता है। [-जारी]

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8 कमेंट्स:

Anonymous said...

लिखते रहिये,सानदार प्रस्तुती के लिऐ आपका आभार


साहित्यकार व ब्लागर गिरीश पंकज जीका इंटरव्यू पढने के लिऐयहाँ क्लिक करेँ >>>>
एक बार अवश्य पढेँ

dhiru singh { धीरेन्द्र वीर सिंह } said...

कल एक दीवाने बादल ने हमारे यहा भी बारिश करा दी .

girish pankaj said...

आपके स्तम्भ को पढ़ता तो हूँ, लेकिन बहुत दिनों के बाद टिपण्णी कर रहा हूँ. धीरे-धीरे आप एक''शब्द-भेदी'' बाण बनाते जा रहे है.नए अर्थ-लोक तक ले जाने वाले. लगे रहे. जड़ों की तलाश में..शुभकामनाएं

शोभना चौरे said...

बादलो के मौसम में बादल शब्द की अच्छी व्याख्या |

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

अच्छी जानकारी...

प्रवीण पाण्डेय said...

बादलों से अधिक आवारगी के बारे में कौन जानेगा ।

Dr. Zakir Ali Rajnish said...

हमेशा की तरह नाइस पोस्ट।
………….
दिव्य शक्ति द्वारा उड़ने की कला।
किसने कहा पढ़े-लिखे ज़्यादा समझदार होते हैं?

उम्मतें said...

पर्सियन और संस्कृत शब्दों का नैकट्य मोहित करता है! संवाद के लिए भाषाएँ विकसित करते समय भेदभाव का ना होना सुखद लगता है !

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