रोज़मर्रा के जीवन में अपने परिवेश को लेकर अक्सर हम रूप-गुण-स्वभाव-आकार और परिमाण को स्पष्ट करने के लिए विभिन्न विशेषणों का प्रयोग करते हैं। ऐसा ही एक शब्द है छोटा । बहुत आम और सामान्य सा शब्द। यह गौरतलब है कि भाषा के क्षेत्र में आम और सामान्य की ही सबसे ज्यादा पूछ-परख है। खास और विशिष्ट शब्दों के बूते भाषा नहीं चलती। शब्द तो जितने सीधे-सरल होंगे, भाषा की राह उतनी ही आसान और टिकाऊ होगी। हिन्दी का छोटा शब्द सीधा सरल है और इसके वैकल्पिक अन्य शब्द होने के बावजूद लोग इसीलिए इसका इस्तेमाल ही अधिक करते है।
छोटा शब्द संस्कृत के क्षुद्रकः का रूप है जो क्षुद्र शब्द से बना। इसमे सूक्ष्मता, तुच्छता, निम्नता, हलकेपन आदि भाव हैं। इन्ही का अर्थविस्तार होता है ग़रीब, कृपण, कंजूस, कमीना, नीच, दुष्ट आदि के रूप में। अवधी-भोजपुरी में क्षुद्र को छुद्र भी कहा जाता है। दरअसल यह बना है संस्कृत धातु क्षुद् से जिसमें दबाने, कुचलने , रगड़ने , पीसने आदि के भाव हैं। जाहिर है ये सभी क्रियाएं क्षीण, हीन और सूक्ष्म ही बना रही हैं। छोटा बनने का सफर कुछ यूं रहा होगा – क्षुद्रकः > छुद्दकअ > छोटआ > छोटा।
निम्न, नीच, निकृष्ट के अर्थ में ही कभी कभी छोटा शब्द भी इस्तेमाल होता है। छोटे लोग, छोटी बातें जैसे प्रयोग यही अर्थबोध कराते हैं। छोटा लंबाई-चौड़ाई और ऊंचाई में कम आकार की वस्तु के लिए छोटा विशेषण लगाया जाता है तो पद-प्रतिष्ठा-आयु में कम होने पर भी छोटा ही कहा जाता है। किसी भी किस्म की लघुता, ओछापन, कमी, तुच्छता या छिछोरापन को प्रदर्शित करने के लिए भी छोटा शब्द इस्तेमाल होता है। इससे छोटा-मोटा या छोटा मुंह बड़ी बात जैसे मुहावरे भी बने हैं। छोटा का स्त्रीवाची छोटी है। पन, पना या अई जैसे प्रत्ययों से छुटपन, छोटपन, छोटपना, छोटाई जैसे शब्द भी बने हैं। अंतिम संतान के लिए भी छोटा शब्द उनके नाम का पर्याय बन जाता है जैसे छोटी, छुटकू, छोटेलाल, छोटूसिंह, छोटूमल, छोटन, छुट्टन आदि।
क्षुद् धातु में निहित पीसने, दबाने, कुरेदने जैसे भाव इस धातु से हिन्दी के अन्य महत्वपूर्ण शब्द के जन्मसूत्र बता रहे हैं । सुराख करने , गड्ढा बनाने या समतल सतह को गहरा करने की क्रिया को खोदना कहते हैं जो इसी मूल से जन्मा शब्द है। इस शब्द का प्रयोग रोजमर्रा में खूब होता है। कुछ उगलवाने के लिए या किसी का मन टटोलने के अर्थ में खोद-खोद कर पूछना या अपेक्षित परिणाम से निऱाशा की अभिव्यक्ति वाली कहावत खोदा पहाड़, निकली चुहिया इससे ही बनी है। खुदाई, खोद, खोदवाना, खुदवाना आदि कई शब्द इसी श्रंखला में आते हैं। इसी कड़ी में आता है असमान, कटी-फटी, ऊबड़-खाबड़ सतह के लिए खुरदुरा या खुर्दुरा शब्द। क्षुद् में निहित घिसने , रगड़ने के भाव सबसे ज्यादा इसी शब्द में प्रकट हो रहे हैं। खुरदुरा शब्द इतना आम है कि इसे स्पष्ट करने के लिए किसी और विशेषण या व्याख्या की ज़रूरत नहीं है।
...खुरदुरा शब्द इतना आम है कि इसकी व्याख्या के लिए किसी अन्य शब्द की ज़रूरत नहीं...
क्षुद्र शब्द की उपस्थिति ईरानी परिवार की भाषाओं में भी नज़र आती है। फ़ारसी मे एक शब्द है
खुर्दः जो क्षुद्र का ही रूपांतर है। फारसी में खुर्दः के अलावा खुर्द शब्द भी है। दोनों के मायने हैं छोटा, तुच्छ, सूक्ष्म आदि। माइक्रोस्कोप के लिए हिन्दी उर्दू में प्रयोग किया जानेवाला
खुर्दबीन शब्द मूलतः फ़ारसी का है जिसका मतलब हुआ सूक्ष्मदर्शी अर्थात छोटी वस्तुओं को देखने का उपकरण। खुर्द शब्द के पीछे भी क्षुद् धातु की मौजूदगी है जिसमें पीसने, रगड़ने , घिसने जैसी क्रियाओं के परिणाम नज़र आ रहे हैं । जाहिर है कि छोटे से लेकर सूक्ष्मतम के लिए भी
खुर्द शब्द काम दे रहा है। फारसी में खुर्द यानी सूक्ष्म और
बीना यानी देखनेवाला और
बीं अथवा बीनाई यानी देखना होता है। इस तरह खुर्दबीन अर्थात सूक्ष्मदर्शी शब्द बना। दूरबीन का अर्थ होता है दूरदर्शी। समूचे उत्तर पूर्वी भारत की बोलियों में घर की झाड़ बुहार के संदर्भ में
कोना-खुदरा शब्द प्रचलित है जिसमे चप्पे चप्पे या छोटी से छोटी जगह का भाव निहित है।
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किराने की धूम, बाबू किरानी, उस्ताद किरानी
खुदरा बेचो, खुदरा खरीदो [क्षुद्र-1]
अभी और बाकी है। दिलचस्प विवरण पढ़ें आगे...