Saturday, April 14, 2012

चालान और चाल-चलन

challan_bobशब्द-संदर्भःनीलाम, विपणन, पण्य, क्रय-विक्रय, गल्ला, हाट, दुकान, पट्टण, पोर्ट, पंसारी

जी विकोपार्जन और ज्ञानार्जन के निमित्त ही मनुष्य निरन्तर भटकता रहा है जिसके चलते कई तरह के काम और कार्यक्षेत्र विकसित होते चले गए । इन गतिविधियों से भाषाएँ भी विकसित होती रहीं । व्यापार-व्यवसाय ने ही भाषा को सर्वाधिक समृद्ध किया है । वही भाषाएँ विस्तार पाती रहीं जिनका बाज़ार से सीधा रिश्ता था । महाजनी व्यवस्था ने हिन्दी को कई शब्द दिए हैं । ऐसा ही एक शब्द है चालान, जिसका इस्तेमाल रोजमर्रा ही हिन्दी में खूब होता है । चालान का चलने से रिश्ता है । यह सिर्फ़ शब्द भर नहीं है, बल्कि ऐसी व्यवस्था का नाम है जिससे हर वर्ग के व्यक्ति का साबका पड़ता ही है । व्यापारी, कर्मचारी, छात्र, किसान और अपराधी, चाहे कोई भी हो, सभी को चालान से गुज़रना पड़ता है । यातायात के नियमों को ताक में रख कर गाड़ी तेज़ चलाई तो भी चालान कटाना पड़ता है । किसी परीक्षा में शामिल होने के लिए निर्धारित फीस के लिए जो दस्तावेज भरा जाता है उसे भी चालान कहते हैं । अपराधियों की अदालत में पेशी के संदर्भ में भी चालान शब्द का प्रयोग होता है ।
चालान शब्द बहुत प्राचीन नहीं लगता । इसमें मूलतः निकासी का भाव है । किसी चीज़ की निकासी या प्राप्ति का आशय इसमें निहित है । चालान chalan में अपराधियों का तबादला, भेजा हुआ या आया हुआ माल, असबाब, बड़ा ज़खीरा, रुक्का, रसीद, पावती, इनवॉइस, वाऊचर जैसे तमाम निहितार्थ हैं । अगर यह फ़ारसी भाषा का शब्द होता तो मुस्लिम शासन की राजस्व सम्बन्धी तमाम शब्दावलियों की तरह इसका उल्लेख भी प्राचीन दस्तावेज़ों में मिलता । चालान शब्द अठारहवी सदी के अन्त में ( 1790 ) कम्पनीराज में नज़र आता है । अनुमान है कि यह उस महाजनी व्यवस्था से उपजा शब्द है जो कम्पनीराज में खूब फली-फूली । ईस्ट ईंडिया कम्पनी ने व्यापार करने के लिए दलालों-महाजनों का एक सुगठित तन्त्र विकसित किया था । ये लोग भारत के दूरदराज़ कोनों से कच्चा माल इकट्ठा करता था और फिर उसे ब्रिटेन भेजने के लिए मुम्बई, कोलकाता के बंदरगाहों तक पहुँचाया जाता था । ईस्ट इंडिया कम्पनी के लिए काम करने वाले अनेक भारतीय एजेंट वहाँ तैनात होते थे । इसी तरह फ़सल खराब होने की स्थिति में किसानों को नई फ़सल बोने के लिए ऋण उपलब्ध कराने और फिर फ़सल को बाज़ार तक पहुँचाने की प्रक्रिया भी चालान की श्रेणी में आती थी । कम्पनी राज ने इस शब्द को अपनाया और इसका रूप challan हुआ । माल परिवहन की शब्दावली का यह खास शब्द बना ।
चालान शब्द में मूल रूप से रसीद, रुक्क़ा, बिल, बिल्टी, बीजक आदि का आशय है । कुछ सन्दर्भों में चालान को फ़ारसी का शब्द बताया गया है । द पर्शियन कंट्रीब्यूशन टू द इंग्लिश लैंग्वेज में गारलैंड हैम्पटन चालान शब्द का फ़ारसी मूल का बताते हुए इसका अर्थ रसीद, इनवॉइस या बंदियों का तबादला पत्र लिखते हैं । हालाँकि वे खुद इसका प्रचलन 1958 से मानते हैं । द इंडियन जर्नल ऑफ पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन (गूगल बुक्स) के मुताबिक- प्राप्तियों और भुगतान सम्बन्धी वित्तीय लेनदेन का ब्योरा जिस दस्तावेज़ में दर्ज़ किया जाता है उसे 'चालान' कहते हैं । सिल्करोड- एन एथ्नो-हिस्ट्री ऑफ़ लद्दाख में जेक्लीन फोक्स लिखती हैं- “चालान एक ऐसा रुक्का या रसीद है जिसमें माल की लदान का ब्योरा होता है और आमतौर पर इसकी तीन प्रतिलिपियाँ बनाई जाती है जो क्रमशः विक्रेता, मध्यस्थ या माल पहुँचाने वाला तथा क्रेता यानी खरीदार के लिए होती हैं । “
मूलतः रवानगी, निकासी, सिपुर्दगी या प्राप्ति जैसे भावों वाला चालान शब्द दरअसल चलान है जिसका अर्थ है चलना । हिन्दी शब्दसागर के मुताबिक मूल शब्द चलान है जिसका उर्दू में चालान रूप प्रसिद्ध हुआ और फिर यही हिन्दी में भी प्रचलित हो गया । संस्कृत में एक धातु है चर् जिसमें घूमना-फिरना, गति, चलना, चक्कर काटना, भ्रमण करना आदि भाव हैं । गौर करें चर् धातु का ही अगला रूप चल् है जिसमे हिलना, गति करना, कांपना, धड़कना, सैर करना जैसे भाव हैं । हिन्दी का चल, चलना, चलित, चालित जैसे शब्द इससे ही बने हैं । पहाड़ स्थिर होते हैं, कभी चलते नहीं इसलिए चल् में उपसर्ग लगने से मनुष्य ने पर्वत के लिए अचल शब्द बना लिया जिसका लाक्षणिक अर्थ हुआ जो अडिग रहे, टस से मस न हो । चलते-चलते एक लीक बन जाती है । यही चलन है अर्थात ढंग, रीत । प्रचलन भी इससे ही बना है जिसका मतलब भी परम्परा ही है । मार्ग से भटकना अथवा गलत राह पर चलना ही विचलन है । चलान या चालान इसी चल् की कड़ी में हैं । जॉन प्लैट्स के कोश में भी यही संदर्भ है । माल को भेजने या चलने की क्रिया । किसी असबाब को एक जगह से दूसरी जगह भेजना । अपराधियों को पकड़ कर अदालत में पेश करना या जेल भेजना । अदालत में चालान पेश किया जाता है । चालान कटना या चालान काटना यानी माल सिपुर्द करना । चालान आना या चालान मिलना यानी वह रुक्का या रसीद प्राप्त करना जिसमें माल के आने की सूचना होती है ।
मेरा आजीवन कारावास पुस्तक में क्रान्तिवीर विनायक दामोदर सावरकर ने चालान का कई जगह उल्लेख किया है । वे लिखते हैं- “चालान हमारे काराशास्त्र का पारिभाषिक शब्द है । चालान का अर्थ है उस जहाज घाट का वह गुट, जिसके साथ विभिन्न कारागृहों में पड़े कालेपानी के दंडितों को इकट्ठा कर समुद्र पार अंदमान भेजने के लिए लाया जाता है । कालापानी की सजा पाए लोगों के लिए चालान एक आत्मगौरव से भरी संस्था का नाम था । कैदियों के जो जत्थे अंदमान भेजे जाने से पूर्व बंदरगाह की स्थानीय जेल में रखे जाते थे, वे चालान कहलाते थे ।” सबाल्टर्न लाइव्ज (1790-1920) में क्लेअर एंडरसन लिखते हैं कि ईस्ट इंडिया कम्पनी की तरफ़ से मॉरीशस, फिज़ी या अन्य उपनिवेशों में सज़ा भुगतने के लिए भेजे जाने वाले क़ैदियों के जत्थे चालान कहलाते थे । मूलतः इन्हें पानी के जहाज से भेजा जाता था और जहाज के यात्री-दस्तावेज को मूलतः चालान कहते थे, जो प्रकारान्तर से उस समूह की पहचान बन जाती थी । कुल मिला कर चालान में चलना शब्द अंतर्निहित है । औपनिवेशिक दौर की हिन्दी में प्रचलित आंग्ल-भारतीय शब्दों के प्रसिद्ध कोश हॉब्सन-जॉब्सन में चालान शब्द की प्रविष्टि न मिलना आश्चर्य की बात है ।

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8 कमेंट्स:

dhiru singh { धीरेन्द्र वीर सिंह } said...

आज भी जब हम नई कार बेचते है तो डिलिवेरी चालान ही बनाते है .
मेरे शहर के बैंक की कापी लगाने का शुक्रिया

दिनेशराय द्विवेदी said...

"अपराधियों की अदालत में पेशी के संदर्भ में भी चालानशब्द का प्रयोग होता है । ज़ाहिर है उनका चाल-चलन ठीक नहीं होता।"
अजित भाई, यहाँ कुछ गलती है। अदालत में चालान शब्द का प्रयोग पुलिस/अभियोजन पक्ष द्वारा अदालत के समक्ष प्रस्तुत किए गए आरोप पत्र के लिए किया जाता है। जब अन्वेषक अन्वेषण कर परिणाम पर पहुँचता है तो वह अन्वेषण का अंतिम परिणाम न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत करता है। परिणाम दो तरह का हो सकता है। एक जिस में अभियुक्त के विरुद्ध कोई अपराध साबित न पाया जाए, तब उसे आम तौर पर एफ आर अर्थात् फाइनल रिपोर्ट भर कह देते हैं। हालाँकि इस शब्द में आरोप पत्र भी शामिल है। लेकिन जब अंतिम रिपोर्ट एक आरोप पत्र होती है तो उसे एफ आर कहने के स्थान पर चालान कहा जाता है।
इस तरह चालान का अर्थ है कि अपराध के संबंध में जो अन्वेषण चल रहा उस का परिणाम आरोप पत्र के रूप में सामने आया है और मामला अब पुलिस/अन्वेषक के हाथ से निकल कर न्यायालय के समक्ष आ गया है। इस तरह अदालत के चालान का संबंध चलन से तो है लेकिन चाल-चलन से नहीं।

दिनेशराय द्विवेदी said...

अदालत में एक शब्द का और प्रयोग होता है, 'चालानी गार्ड'। इस में चालानी शब्द हिन्दी का है जब कि गार्ड शब्द अंग्रेजी से आया है। लेकिन 'चालानी गार्ड' शब्द पुनः हिन्दी का है। क्यों कि चालान से चालानी में रूपांतर हिन्दी या उर्दू में ही हो सकता है।
जो सिपाही जेल में बन्द विचाराधीन अपराधियों को पेशी करवाने के लिए अदालत लाते ले जाते हैं उन के लिए इस शब्द का प्रयोग होता है। जब अदालत किसी को अपनी अभिरक्षा/हिरासत में लेती है तो तुरंत चालानी गार्ड बुला कर उस व्यक्ति को अदालत में स्थित हवालात भिजवा देती है। बाद में उसी दिन यदि उसे मुक्त किया जाना हो तो उसे वापस अदालत में बुला कर छोड़ दिया जाता है और उसे जेल भेजा जाना हो तो अदालत उस का वारंट बना कर चालानी गार्ड को देती है। जिस के माध्यम से उस का प्रवेश जेल में होता है। बिना किसी वारंट के किसी को जेल में प्रवेश नहीं कराया जा सकता।

प्रवीण पाण्डेय said...

चलते हुये को तो चालान ही बोला जाता था, गाड़ी पता नहीं कहाँ से आ गया।

Mansoor ali Hashmi said...

देखा जो 'सीधी राह' पे शैतान हट गया, 'राईट'
'उलटे' से न चला तो मैं , चालान कट गया. 'लेफ्ट'

आये थे 'प्रचलित' ही तरीके से जहां में,
'प्रतीक्षा-आरजूओं' में जीवन ये बंट गया.
http://aatm-manthan.com

Mansoor ali Hashmi said...

देखा जो 'सीधी राह' पे शैतान हट गया, [Right]
'उलटे' से न चला तो मैं , चालान कट गया. [Left]

आये थे 'प्रचलित' ही तरीके से जहां में,
'प्रतीक्षा-आरजूओं' में जीवन ये बंट गया.

http://aatm-manthan.com

अजेय said...

बहुत महत्वपूर्ण . इन शब्दों मे इतिहास के ज़रूरी एविडेंस छिपे हैं .
अजित जी , मैं बरसों से एक शब्द पर फँसा हूँ -- *गुरु घण्टाल* ....क्या आप बता सकते हैं इस शब्द का प्रथम रेकार्डेड प्रयोग किस ग्रंथ में , किस बर्ष मे, किस भ्षा मे हुआ था ? और हिन्दी मे पहली बार इस का प्रयोग कब और कहाँ किया है ? लोक प्रचलन को छोड- कर .

Asha Joglekar said...

चालान शब्द के साथ एक नकारात्मकता जुडी है । उसी तरह चाल चलन भी जब अच्छा नही होता तब ही इस्तेमाल होता है । आपने इसके सभी रूप समझा दिये ।

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