Monday, September 29, 2008
आप भले, जग भला...[बकलमखुद-74]
ब्लाग दुनिया में एक खास बात पर मैने गौर किया है। ज्यादातर ब्लागरों ने अपने प्रोफाइल पेज पर खुद के बारे में बहुत संक्षिप्त सी जानकारी दे रखी है। इसे देखते हुए मैं सफर पर एक पहल कर रहा हूं। शब्दों के सफर के हम जितने भी नियमित सहयात्री हैं, आइये , जानते हैं कुछ अलग सा एक दूसरे के बारे में। अब तक इस श्रंखला में आप अनिताकुमार, विमल वर्मा , लावण्या शाह, काकेश ,मीनाक्षी धन्वन्तरि ,शिवकुमार मिश्र , अफ़लातून ,बेजी, अरुण अरोरा , हर्षवर्धन त्रिपाठी , प्रभाकर पाण्डेय अभिषेक ओझा को पढ़ चुके हैं। बकलमखुद के तेरहवें पड़ाव और बहहत्तरवें सोपान पर मिलते हैं रंजना भाटिया से । कुछ मेरी कलम से नामक ब्लाग चलाती हैं और लगभग आधा दर्जन ब्लागों पर लिखती हैं। साहित्य इनका व्यसन है। कविता लिखना शौक । इनसे हटकर एक ज़िंदगी जीतीं हैं अमृता प्रीतम के साथ...अपने ब्लाग अमृता प्रीतम की कलम से पर । आइये जानते हैं रंजना जी की कुछ अनकही-
जिंदगी में हर काम का एक वक्त तय होता है और वह काम उसी समय होता है ..यही हुआ शायद जो काम बचपन से करना अच्छा लगता था ,कविता करना उसका वक्त अब आया था दुनिया के सामने लाने का | घर में कम्यूटर बाबा पधार चुके थे बच्चो के कारण..पर नई है चीज और मैं इसकी ऐ -बी- सी भी नही जानती थी....इस लिए इसको हाथ सिर्फ़ डस्टिंग करने के लिए लगाती और कभी इसको चला के देखने का न दिल किया न कोशिश ..
एक दिन छोटी बेटी ने मेरी डायरी से एक कविता ले कर एक साईट मैं पोस्ट कर दी ....और उसका रेस्पांस बहुत अच्छा आया , तब उसने बताया कि मेरी कविता के साथ यह कारनामा किया है | कॉमेंट्स पढ़े तो बहुत खुशी हुई कि यह तो अच्छा है ... अब तक तो जितने लेख कविताएं भेजी कभी अखबार - मेग्जिन मैं छापी गई ,कभी बेरंग लिफाफे सी वापस आ गयीं | बढ़िया तरीका है यह लोगों तक अपनी बात पहुचाने का | कम्यूटर पर काम करना सीखा और रोमन में अपनी कविताएं कई साइट्स मैं पोस्ट करनी शुरू की |
अच्छी पहचान मिलने लगी | लोग अच्छे बुरे कमेंट्स देने लगे और लिखने का सीखने का होंसला बढ़ने लगा | प्रूफ़ रीडिंग और एडिटिंग के साथ साथ यह भी जोर शोर से चलने लगा लिखना साइट्स पर | एक दिन बेटी का ब्लॉग देखा और वही से अपना ब्लॉग बनाया | ब्लॉग पहले पहल तो ख़ुद बनाया ,पर बाद मैं हिंद युग्म से जुड़े गिरिराज जोशी जी ने बहुत मदद की ....और संजीत [आवारा बंजारा ] का भी मैंने कई बार सिर दर्द किया नया कुछ भी सीखने के लिए :) अभी भी गिरिराज जी , राघव जी और सागर नाहर जी से मदद ले लेती हूँ कुछ नया ब्लॉग पर करने को दिल करे तो | ऑरकुट साईट मैं अपना एक समुदाय बनाया और यही से शैलेश जी हिंद युग्म से परिचय हुआ और फ़िर लिखने के लिए कई मौके मिले | जिस में बाल उद्यान पर लिखना सबसे अधिक अच्छा लगता है | कहानी कलश पर कहानी लेखन भी शुरू हुआ | लिखने के लिए अपने ब्लॉग के साथ साथ नए आयाम मिले | डाक्टर गरिमा से भी यहीं मिलना हुआ ।
इन्ही पिछले दो सालों में मेरा रुझान , योगा और प्राकतिक चिकित्सा और रेकी से भी हुआ | योगा की तो अब मैं क्लास भी लेती हूँ यूँ ही शौकिया रूप से :) और यही अनुभव डॉ गरिमा के साथ जुड़ कर जीवन उर्जा ब्लॉग के रूप में लिख रही हूँ | नारी ब्लॉग में भी लगा कि यहाँ यदि कुछ सार्थक लिखा जा सकता है तो लिख देती हूँ | दाल रोटी चावल ब्लॉग से कुकिंग के बारे में लिखने का शौक पूरा हो जाता है | नेट की दुनिया से जुड़ कर अच्छे बुरे तजुर्बे दोनों हुए | कई बार इस उम्र की महिला ऑरकुट पर है या ब्लागिंग करती है कह कर अजीब से कमेंट्स या स्क्रैप भी मिलते पर अधिकतर अच्छे लोग मिले | आप अच्छे तो जग अच्छा वाली बात है ..नही नही अपने मुहं मियाँ मिट्ठू नही बन रही ,यह आपके ऊपर है कि आप लोगो के सामने कैसे ख़ुद को बताते हैं वही रेस्पोंस आपको वापिस मिलता है अपवाद तो हर जगह है ....यहाँ भी है |
अच्छे दोस्त मिले , कई छोटे बड़े भाई भी बने अच्छा लगा | और हैरानी कि बात तब हुई जब अभी हिंद युग्म का स्टाल बुक फेयर में लगा और वहां ऑरकुट से नियमित मेरे ब्लॉग को पढने वाले औटोग्राफ लेने आए तब लगा कि लिखना बेकार नही जा रहा है एक पहचान तो मिल ही रही है | किताब के लिए भी विचार इन्ही सब पढने वालों कि वजह से आया ..और स्वर्ण कलम विजेता की बात तो यहाँ सब जानते ही हैं |मेरी पहली किताब "'साया "" पब्लिश हो चुकी है | यह एक ड्रीम बुक है मेरे लिए ..पर इसके पब्लिश होने का सपना मेरी बेटियों ने देखा :) बेटियाँ भी अब दोनों जॉब कर रहीं हैं | और ज़िन्दगी कि उथल पुथल तो साँस चलने तक चलती है ,चलती रहनी भी चाहिए :)
लिखने का यह सफर निरंतर जारी है ....| सबसे अच्छा लगता है जब अमृता प्रीतम और बाल उद्यान पर दीदी की पाती लिखना होता है ..| "कुछ मेरी कलम से" तो आप सब पढ़ते ही रहते हैं ...| अभी हिन्दी मिडिया ब्लॉग से जुड़ कर ब्लॉग समीक्षा भी शुरू की है उसका भी रिस्पोंस अच्छा ही मिल रहा है अब तक | अच्छा लगता है जब जिनको हमने देखा तक नही है उनके साथ एक परिवार सा रिश्ता जुड़ जाता है ....प्यार मिलता है , लोग आपसे आपके बारे में जानना चाहते हैं | आप लोगो के बारे में जानते हैं , मिलते हैं उनके लिखे के जरिये और एक प्यार का एक स्नेह का बंधन सबसे जोड़ लेते हैं .आखिर इस से अधिक जिंदगी में और चाहिए भी क्या ....अभी इतना ही ..अभी जिंदगी शेष है और उस से जुड़ी यादे अनेक ...कभी फ़िर करेंगे आपको अपनी दास्तान से बोर ..अभी के लिए अलविदा ..
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16 कमेंट्स:
" साया " पुस्तक के प्रकाशन की बहुत बधाई रँजू जी और चिरँजीवी मेघा व पूर्वा को मेरे डेरोँ आशिष और प्यार
आपसे मुलाकात होती रहेगा बहुत शुभकामनाएँ आपको इस कडी के लिये और अजित भाई का भी आभार !!
सस्नेह्, सादर,
-लावण्या
वाह रंजू जी मजा आ गया आपको पठ कर लगा कि जैसे करीब से जानने लगे हैं ।
बहुत अच्छा लगा आपके बारे में पढ़ कर.. शुभकामनाऎं
रंजना जी के जीवन का संक्षिप्त विवरण भी बहुत कह गया जीवन, उस की विविधता और संघर्षों के बारे में।
बधाई पहली किताब प्रकाशित होने पर
बहुत ही बढ़िया। शुक्रिया।
आपने जल्दी ही छुट्टी ले ली ....बकलम से ..?चलिए आपके संक्षिप्त विवरण को हम पार्ट-१ मान लेते है......ठीक कहा न....
hmm Dr Anurag se sahamt...! aane vale jeevan hetu shubhkamnae.n
अजित भाई, नमस्कार ! आप हिन्दी और हिन्दी ब्लागर्स के लिए एक चिरकाल काम आने वाला कार्य कर रहे हैं. यह श्रंखला तो और भी ज्ञानवर्धक है कि हम "बकलमखुद" उन ब्लागर्स से परिचित होते जा रहे !..."गागर में सागर" हो जाता है इस ब्लॉग पर थोडी देर आकर रुक जाना. स्नेह बनायें रखें.
http://manorath-sameer.blogspot.com
जीवन उर्जा ब्लॉग के रूप में लिख रही हूँ |
नारी ब्लॉग में भी लगा कि यहाँ यदि कुछ सार्थक लिखा जा सकता है तो लिख देती हूँ | दाल रोटी चावल ब्लॉग
हिंद युग्म बाल उद्यान
links uplabdh ho to log aap ke laekhan ko jyaada jaan sakeygae
अरे इतनी जल्दी ख़त्म हो गयी कहानी ! अभी तो हम शौक से पढ़ ही रहे थे ........!
आप साहित्य में जहाँ है वह मुकाम आपकी बेटियों की अनवरत प्रेरणा का फल है उन्हें डाटर्स डे पर बिलेटेड स्नेहाशीष और बधाई भी !
रंजना जी, जितनी खूबसूरती के साथ आपने अपने सभी दायित्वों का निर्वाह किया है, वह अनुकरणीय है। यह बात आपके ब्लॉगलेखन में भी देखने को मिलती है। अपने हर ब्लॉग के साथ आप पूरा न्याय कर रही हैं। आपके बारे में पढ़ना बहुत अच्छा लग रहा था.. इसी कड़ी में आपका बकलमखुद समाप्त हो जाएगा.. इसके लिए हम तैयार नहीं थे। डॉ. अनुराग की तरह हम भी इसे अभी पार्ट-1 ही मानते हैं :)
अजित जी,
कुछ अन्तराल के बाद आज फिर
पढीं पिछली पोस्ट. अपने ब्लॉग से भी दूर रहा,
शिरकत की कुछ आयोजनों में.....नियमित चर्चा के
आलावा रंजना जी के बकलमख़ुद की शेष बातें भी पढीं.
रंजना जी ने बहुत संज़ीदा होकर अनकही कही. अच्छा लगा.
.....और आपके यानी अपने इस सफ़र की बातें ....तो खैर, हमेशा
दिल को छूती हैं........आभार....!
डॉ.चन्द्रकुमार जैन
आप सभी दोस्तों का शुक्रिया ..जो इतने प्यार से मेरे लिखे पढ़ा ..."'ज़िन्दगी इसी तरह से गुजरती है कभी हंसती है कभी रोती है "
बहुत सी यादे अभी भी जहन में बाकी है ..फ़िर कभी मौका मिलने पर जरुर सुनाउंगी :) आप सब ने जोई स्नेह दिया ,उसके लिए तहे दिल से धन्यवाद :) अजित जी का दिल से शुक्रिया ..जो उन्होंने मुझे इस तरह सबसे अपनी बात कहने का मौका दिया ..यह अपने ब्लॉग पर शुरू कर के उन्होंने बहुत ही अच्छा काम किया है ..बहुत से लिखने वालों को यूँ पढ़ कर दिल से नाता जुडा सा महसूस होता है ..वह बहुत अच्छा काम कर रहे हैं इस दिशा में काम कर के ...शुक्रिया
एक बैठक में सारे अंश पढ़ डाले और बहुत अच्छा लगा पढ़कर. सलाम आपकी बहादुरी को!
थोड़ा छोटा पर ज्जनते रहेंगे आपके बारे में तो !
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