Friday, September 12, 2008
होम करते हाथ न जलाइये [चमक-प्रकाश-ऊष्मा-2]
हिब्रू में गर्म के लिए होम और हम शब्द भी हैं। हम्म के ही एक अन्य धातुरूप हाम् का अर्थ हिब्रू में काला , सियाह होता है। गौर करें आग की भेंट चढ़ने के बाद वस्तु काली पड़ जाती है
भलाई के काम में नुकसान उठा लेने वाली स्थिति को होम करते हाथ जलाना कहते हैं। यूं भी नुकसान उठाने, सब कुछ गंवा देने को होम करना कहते हैं। मोटे तौर पर होम का मतलब होता है यज्ञ करना मगर इसके मूल में आहुति देने का भाव है।
होम बना है संस्कृत की हु धातु से जिसका अर्थ है देवता के सम्मान में भेंट प्रस्तुत करना। वृहत्तर भारत के प्राचीन अग्निपूजक समाज में देवताओं को प्रसन्न करने के लिए यज्ञकुंड में ही अग्नि के माध्यम से भेंट समर्पित करने की परंपरा थी। आस्था कहती थी कि अग्नि के माध्यम से वह सामग्री देवताओं तक पहुंच जाएगी। इस तरह हु धातु का एक अर्थ यज्ञ करना भी हुआ। इससे ही बना हुत शब्द जिसका अर्थ है अग्नि में डाला हुआ मगर भाव दाह, ताप और अग्नि का ही है क्योकि ऐसा करने से अग्नि ही प्रज्जवलित होती है। हुत में आ उपसर्ग लगने से बना आहुति शब्द जिसका अर्थ भी यज्ञ कुंड में हवन सामग्री डालना है। हवन बना है हवः से जिसका मूल भी हु से है। इसी तरह होम शब्द भी इसी कड़ी में आता है जिसमें यज्ञाग्नि, आहुति देना, आदि शामिल है।
गौर करें तो इन तमाम शब्दों का अर्थ एक खास दायरे में सीमित है और सभी का रिश्ता अग्नि और ताप से जुड़ रहा है। प्राचीन भारतीय भाषा परिवार का रिश्ता सेमेटिक भाषा परिवार से भी था। अरबी और हिब्रू भाषाओं में भारतीय मूल के शब्दों और भारतीय भाषाओं में सामी मूल के शब्दों की आवाजाही दोनों देशों के समाजों में व्यापारिक गतिविधियों की वजह से होती रहती थी। होम शब्द में निहित अग्नि, ताप जैसे भाव सामी मूल के शब्दों में नज़र आते हैं। अरबी, फारसी का एक शब्द है हम्म जिसका मतलब होता है बुखार। इसके अलावा इसमें दुख, रंज , खेद आदि भाव भी शामिल हैं। गौर करें कि ये सभी भाव मानसिक संताप ( ताप ) से जुड़े हुए हैं।
एक हमाम में सब नंगे
सार्वजनिक स्नानागार, गुस्लख़ाना को अरबी-फारसी में हम्माम कहा जाता है। यह अरबी भाषा का शब्द है और उर्दू- फारसी-हिन्दी में हमाम के रूप में भी प्रचलित है। इसका मतलब होता है गर्म पानी पानी के प्रसाधनों से युक्त स्नानागार। यह बना है हिब्रू भाषा की धातु हम्म से जिसका मतलब होता है गर्म, ऊष्ण, तप्त। बुखार के अर्थ वाले अरबी के हम्म शब्द का मूल भी यही धातु है। हिब्रू में ही गर्म के लिए होम और हम शब्द भी हैं। हम्म के ही एक अन्य धातुरूप हाम् का अर्थ हिब्रू में काला , सियाह होता है। गौर करें आग की भेंट चढ़ने के बाद वस्तु काली पड़ जाती है। हम्माम की परंपरा प्राचीन सुमेरी सभ्यता से चली आ रही है। पत्थर की शिलाओं को तेज आंच में तपा कर उन पर पानी छोड़ा जाता था जिनसे उत्पन्न वाष्प से ये स्नानागार गर्म रहते थे। बाद में यह प्रणाली समूचे पश्चिम में फैल गई । अंग्रेजों ने तुर्की का टर्किश बाथ और फिनलैंड का सौना बाथ दुनियाभर में लोकप्रिय बना दिया है। इन सार्वजनिक स्नानागारों में जाहिर है एक साथ लोग वाष्प स्नान का लुत्फ लेते हैं। इसी वजह से सामूहिक निर्लज्जता या अनैतिकता को अभिव्यक्त करने के लिए एक हमाम में सब नंगे जैसी कहावत ने जन्म लिया ।
PICTURES HAVE BEEN USED FOR EDUCATIONAL AND NON PROFIT ACTIVIES. IF ANY COPYRIGHT IS VIOLATED, KINDLY INFORM AND WE WILL PROMPTLY REMOVE THE PICTURE.
प्रस्तुतकर्ता अजित वडनेरकर पर 2:51 AM
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
9 कमेंट्स:
h..mmm तो इसका यह अर्थ भी होता है, पता नहीं था. बहुत बढि़या और रुचिकर.
हम्माली याने मजदूरी
ऐसा भी सुना है
ये हम्म्म्` भी जानने लायक रहा !
-लावण्या
शीतल जल वाले स्नानागार को क्या कहेंगे? गर्म प्रदेश में तो उसी की महत्ता अधिक होगी।
हिब्रू में ही गर्म के लिए होम और हम शब्द भी हैं।
===================================
ये तो गज़ब है भाई !
...यानी आदमी का जीवन जब
'मैं' से 'हम' की मंज़िलों की ओर
अग्रसर हो तो समझिए 'होम' या
आहुति का क्रम भी प्रारम्भ हुआ !!
===========================
आभार...मन के अतल से.
अच्छा लगा इस जानकारी को पढ़ कर ..हम लोगों को
jaankari badhane ke liye aabhar
बढ़िया है गुरुवर...
हमेशा की तरह ज्ञानवर्धक... भटकते शब्दों को खूब पकड़ लाते हैं आप.
प्रिय अजित, सबसे पहले तो कई महीनों की अनुपस्थिति के लिये माफ करें! पापी पेट का बुलावा कुछ ऐसा था कि 6 महीने उस भागदौड में निकल गये.
आज हमाम पर आपने जो लिखा है वह पढ कर मन एकदम हम हो गया (हाम) नहीं. एकदम जानकारी से भरा लेख.
कहां से ढूढ कर लाते हो यह सब. बताओ य न बताओ, लेख जरूर लिखे जाना. गजब की भाषा-सेवा है यह.
सस्नेह
-- शास्त्री जे सी फिलिप
-- समय पर प्रोत्साहन मिले तो मिट्टी का घरोंदा भी आसमान छू सकता है. कृपया रोज कम से कम 10 हिन्दी चिट्ठों पर टिप्पणी कर उनको प्रोत्साहित करें!! (सारथी: http://www.Sarathi.info)
Post a Comment