गुमी हुई आज़ादी की कीमत सबने पहचानी थी दूर फिरंगी को करने की सबने मन में ठानी थी
दिल्ली की गलियों में 1857 की क्रांति के दौरान यह आम नज़ारा था। इतिहास की किताबों में इसे सिपाही विद्रोह भी कहा जाता है फोटो सौजन्य-http://www.superstock.com/
गुमी हुई आज़ादी की कीमत सबने पहचानी थी दूर फिरंगी को करने की सबने मन में ठानी थी
दिल्ली की गलियों में 1857 की क्रांति के दौरान यह आम नज़ारा था। इतिहास की किताबों में इसे सिपाही विद्रोह भी कहा जाता है फोटो सौजन्य-http://www.superstock.com/
प्रस्तुतकर्ता अजित वडनेरकर पर 1:55 AM
16.चंद्रभूषण-
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15.दिनेशराय द्विवेदी-[1. 2. 3. 4. 5. 6. 7. 8. 9. 10. 11. 12. 13. 14. 15. 16. 17. 18. 19. 20. 21. 22.]
13.रंजना भाटिया-
12.अभिषेक ओझा-
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11.प्रभाकर पाण्डेय-
10.हर्षवर्धन-
9.अरुण अरोरा-
8.बेजी-
7. अफ़लातून-
6.शिवकुमार मिश्र -
5.मीनाक्षी-
4.काकेश-
3.लावण्या शाह-
1.अनिताकुमार-
मुहावरा अरबी के हौर शब्द से जन्मा है जिसके मायने हैं परस्पर वार्तालाप, संवाद।
लंबी ज़ुबान -इस बार जानते हैं ज़ुबान को जो देखते हैं कितनी लंबी है और कहां-कहा समायी है। ज़बान यूं तो मुँह में ही समायी रहती है मगर जब चलने लगती है तो मुहावरा बन जाती है । ज़बान चलाना के मायने हुए उद्दंडता के साथ बोलना। ज्यादा चलने से ज़बान पर लगाम हट जाती है और बदतमीज़ी समझी जाती है। इसी तरह जब ज़बान लंबी हो जाती है तो भी मुश्किल । ज़बान लंबी होना मुहावरे की मूल फारसी कहन है ज़बान दराज़ करदन यानी लंबी जीभ होना अर्थात उद्दंडतापूर्वक बोलना।
दांत खट्टे करना- किसी को मात देने, पराजित करने के अर्थ में अक्सर इस मुहावरे का प्रयोग होता है। दांत किरकिरे होना में भी यही भाव शामिल है। दांत टूटना या दांत तोड़ना भी निरस्त्र हो जाने के अर्थ में प्रयोग होता है। दांत खट्टे होना या दांत खट्टे होना मुहावरे की मूल फारसी कहन है -दंदां तुर्श करदन
अक्ल गुम होना- हिन्दी में बुद्धि भ्रष्ट होना, या दिमाग काम न करना आदि अर्थों में अक्ल गुम होना मुहावरा खूब चलता है। अक्ल का घास चरने जाना भी दिमाग सही ठिकाने न होने की वजह से होता है। इसे ही अक्ल का ठिकाने न होना भी कहा जाता है। और जब कोई चीज़ ठिकाने न हो तो ठिकाने लगा दी जाती है। जाहिर है ठिकाने लगाने की प्रक्रिया यादगार रहती है। बहरहाल अक्ल गुम होना फारसी मूल का मुहावरा है और अक्ल गुमशुदन के तौर पर इस्तेमाल होता है।
दांतों तले उंगली दबाना - इस मुहावरे का मतलब होता है आश्चर्यचकित होना। डॉ भोलानाथ तिवारी के मुताबिक इस मुहावरे की आमद हिन्दी में फारसी से हुई है फारसी में इसका रूप है- अंगुश्त ब दन्दां ।
10 कमेंट्स:
wah sir
PHIKA RANG SE FIRANG
MAJA AA GAYA
बहुत सही, महााज..गहरा कुँआ कुछ भरे होने का अहसास देता सा लगता है..जानता हूँ मिथ्या ही है अभी तक!!
बाहर से आते थे पहले, अब खूब उगा करते हैं अपनी बगिया में फिरंगी।
हम तो बस इतना जानते हैं कि हमारे कालेज में कोई भी विदेशी दिख जाये, हम तो बस उसे फिरंगी ही कहते थे.. वैसे आजकल चीन के छात्र बहुतायत में पाये जाते है मेरे कालेज में.. मगर मेरे जूनियर उन्हें भी चिंकी ही कहते हैं..
कभी इस शब्द पर भी गौर फरमायें.. :)
अब समझ में उतरी ये बात कि
पाश्चात्य चमक-दमक की
दुनिया का रंग
बुनियाद में फीका ही है !
अजित जी,
फिरंगी के फीकेपन के बहाने
सफ़र में आज फिर
आपने सरस और तीखी जानकारी का
उपहार दिया है.........आभार.
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डॉ.चन्द्रकुमार जैन
रोचक और ज्ञानवर्धक जानकारी.
ये पीडी जी क्या कह रहे हैं? बहुत सारे "चीनी छात्र" भारत में क्षिक्षा के लिए आते हैं, ये हमारी जानकारी में नहीं था. लेकिन अगर इनका आशय पूर्वोत्तर भारत के छात्रों से है तो इनकी टिप्पणी बेहद अफ़सोसजनक है.
रोचक लगी यह फिरंगी जानकरी
फीका रंग -> फिरंग जमा मुझे तो... भले मिस्र वाला ज्यादा शोधपरक और सच हो !
अजीत जी इतिहास से मास्टर डिग्री ले ली पर फिरंगी का असल तथ्यात्मक रंग तो अपने बताया..धन्यवाद.!! ऐसे ही चलता रहे कारवाँ.
दाना-ए-फ़िरंग--फ़िरोजा?इन पर भी प्रकाश ड़ालें।कहीं कहीं बात बात पर मुकरनें वाले, पूर्व कथन से पलट जानें वालों को भी फ़िरंगी कहनें का प्रचलन है।
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