Sunday, September 28, 2008
जुए का अड्डा या कुश्ती का अखाड़ा !
घीरे धीरे कुश्ती का बाड़ा अखाड़ा कहलाने लगा और जुआघर को अखाड़ा कहने का चलन खत्म हो गया। अब तो व्यायामशाला को भी अखाड़ा कहते हैं और साधु-सन्यासियों के मठ या रुकने के स्थान को भी अखाड़ा कहा जाता है।
अखाड़ा शब्द का हिन्दी में व्यापक अर्थों में प्रयोग होता है और मुहावरे के तौर पर भी इसकी अलग पहचान बन चुकी है। अखाड़ा यूं तो कुश्ती से जुडा हुआ शब्द है मगर जहां भी दांव-पेच की गुंजाइश होती है वहां इसका प्रयोग भी होता है। अखाड़ा चाहे कुश्ती से जुड़ा हो मगर इसके जन्म के साथ एक अन्य खेल का रिश्ता जुड़ा है जिसे जुआ कहा जाता है।
प्राचीनकाल में भी आज के दौर की भांति ही जुए को सामाजिक तौर पर बुरा तो माना जाता था मगर उस पर पूरी तरह रोक नहीं थी। तब भी इसे राजस्व प्राप्ति का बड़ा जरिया माना जाता था। आज की ही तरह प्राचीनकाल में भी शासन की तरफ से एक निर्धारित स्थान पर जुआ खिलाने का प्रबंध रहता था जिसे अक्षवाटः कहते थे। अक्षवाटः बना है दो शब्दों अक्ष+वाटः से मिलकर ।
अक्षः के कई अर्थ है जिनमें एक अर्थ है चौसर या चौपड़, अथवा उसके पासे । वाटः का अर्थ होता है घिरा हुआ स्थान। यह बना है संस्कृत धातु वट् से जिसके तहत घेरना, गोलाकार करना आदि भाव आते हैं। इससे ही बना है उद्यान के अर्थ में वाटिका जैसा शब्द। चौपड़ या चौरस जगह के लिए बने वाड़ा जैसे शब्द के पीछे भी यही वट् धातु झांक रही है। वाड़ा या बाड़ा शब्दों से स्थानवाची कई शब्द बने हैं जैसे महाराजवाड़ा, राजवाड़ा, विजयवाड़ा, देलवाड़ा,शनिवार वाड़ा, सैय्यदवाड़ा आदि। इसी तरह वाटः का एक रूप बाड़ा भी हुआ जिसका अर्थ भी घिरा हुआ स्थान है। आमतौर पर मवेशियों को बांधकर रखने की जगह को भी बाड़ा कहा जाता है। रेलिंग से बनाई गई चौहद्दी को भी बाड़ कहते हैं । वर्ण विस्तार से कही कहीं इसे बागड़ भी बोला जाता है। इस तरह देखा जाए तो अक्षवाटः का अर्थ हुआ जहां पर पांसों का खेल खेला जाए । जाहिर है कि पांसों से खेला जानेवाला खेल जुआ ही है सो अक्षवाटः का अर्थ हुआ द्यूतगृह अर्थात जुआघर ।
प्राचीनकाल में जुआ मनोरंजन की चौसठ कलाओं में एक था और इसे देखने के लिए भी लोग इकट्ठा होते थे। अखाड़ा शब्द कुछ यूं बना - अक्षवाटः > अक्खाडअ > अक्खाडा > अखाड़ा । द्यूतगृह जब अखाड़ा कहलाने लगा और खेल के दांव-पेंच से ज्यादा महत्व हार-जीत का हो गया तो नियम भी बदलने लगे। अब दांव पर रकम ही नहीं , कुछ भी लगाया जाने लगा । महाभारत का द्यूत-प्रसंग सबको पता है। इसी तरह अखाड़े में वे सब शारीरिक क्रियाएं भी आ गईं जिन्हें क्रीड़ा की संज्ञा दी जा सकती थी और जिन पर दांव लगाया जा सकता था। जाहिर है प्रभावशाली लोगों के बीच आन-बान की नकली लड़ाई के लिए कुश्ती इनमें सबसे खास शगल था , सो घीरे धीरे कुश्ती का बाड़ा अखाड़ा कहलाने लगा और जुआघर को अखाड़ा कहने का चलन खत्म हो गया। अब तो व्यायामशाला को भी अखाड़ा कहते हैं और साधु-सन्यासियों के मठ या रुकने के स्थान को भी अखाड़ा कहा जाता है। कहां जुआ खेलने की जगह और कहां साधु-सन्यासियों की संगत !
वैसे अक्षः का एक अर्थ कानूनी कार्यवाही भी होता है। जाहिर सी बात है जहां कानूनी दांवपेच होंगे वह जगह अखाड़ा तो बन ही जाएगी। यूं भी अदालत को अग्रेजी में कोर्ट ही कहते हैं जिसका मतलब घिरा हुआ स्थान ही है। खेलों के सदर्भ में भी कोर्ट शब्द का प्रयोग होता है जैसे टेनिस कोर्ट। आज के दौर में हर उस जगह को भी अखाड़ा कहा जाता है जहां लोगों का जमघट हो, दाव-पेंच लड़ाए जाते हों। अड्डे के अर्थ में भी अखाड़ा शब्द का इस्तेमाल होता है। राजनीतिक शब्दावली मे भी अखाड़ा शब्द की खासी पैठ हो चुकी है और नेताओं की पैंतरेबाजियां, चुनावी लड़ाई के संदर्भ में इस शब्द का खूब प्रयोग होता है। अखाड़ा शब्द के साथ फारसी का बाजी या बाज प्रत्यय लगने से अखाड़ेबाजी , अखाड़ेबाज सा शब्द भी बन गया ।
प्रस्तुतकर्ता अजित वडनेरकर पर 1:16 AM
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9 कमेंट्स:
शायद 'अक्खड़' का भी कुछ आस-पास का सम्बन्ध होगा अखाडे से. फ़िर भुक्खड़ भी लाइन में है. ये तिरस्कारपूर्ण शब्द हैं. क्या अखाड़ेबाजों को तब भी हेय दृष्टि से देखा जाता था? लेखकों के लिए भी लिक्खाड़ लिखा जाता है.
जानकारी रोचक रही. आभार.
जहाँ प्रतिद्वंदियों, प्रतिस्पर्धियों और विरोधियों के बीच कुछ निर्णय हो सके वही अखाडा है। अदालत में भी यही सब होता है। कोर्ट और अखाड़ा एक दूसरे के पर्याय ही हैं।
दद्दा
आपके शब्दों के अखाड़े में रोज ही फ़ेरा लगता है.हर बार नई जानकारी.आज तो छुट्टी के दिन भी भाषिकी की कक्षा लगी है और यह विद्यार्थी उपस्थित है श्रीमान-प्रेजेन्ट सर!
सिद्धेश्वर जी ! के पीछे मैं भी हूँ अजित सर ! ब्लाग अखाडे का जिक्र नही किया आपने :-)
शब्दों के अखाड़े के पक्के उस्ताद को नमन्। यूँ ही दाँव-पेंच सिखाते रहिए। धन्यवाद।
बहुत ज़बर.
अखाडे का हर लफ्ज़ रोचक लगा ..शुक्रिया
अखाडे का अर्थ ही है आमने सामने दो प्रतिद्वंदी.. जो निर्णय पाने के लिए आमने सामने होते है . रोचक जानकरी के लिए शुक्रिया.
यहाँ पुणे में तो कई वाड़ा हैं. ! :-)
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