Tuesday, November 17, 2009

मांझे की सुताई

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मांझा की मज़बूती के बिना न तो पतंग ऊंची उड़ेगी और न ही तगड़े पेच लड़ेंगे।
कि सी कार्य में सिद्धहस्त और निष्णात व्यक्ति को मंजा हुआ कहा जाता है। किसी कला में पारंगत होने के लिए  व्यक्ति को अभ्यास के जरिये उसे मांजना पड़ता है। जिस मांजना शब्द का मुहावरेदार प्रयोग यहां हो रहा है उसका प्रयोग ही बर्तन मांजने में भी होता है। दरअसल अभ्यास, परिष्कार के संदर्भ में मांजना शब्द का मूल अर्थ है चमकाना या निखारना। संस्कृत के मार्जः शब्द से हिन्दी में कई शब्द बने हैं जिन्हें हम आए दिन इन्हीं अर्थों में प्रयोग करते हैं।  मार्जः बना है मृज् धातु से जिसमें धोना, पोंछना, साफ करना, बुहारना जैसे भाव निहित हैं। आप्टे कोश के मुताबिक मार्जः का अर्थ स्वच्छ करना, निर्मल करना है। विष्णु का एक विशेषण भी मार्जः है। सुबह उठकर दांतों को साफ़ करने की क्रिया को दांत मांजना या मंजन करना कहते हैं। यह मार्जन से बना है जिसमें शरीर पर उबटन लगाना, रगड़ कर पोंछना के साथ साथ बुहारना भी शामिल है। टूथपेस्ट और टूथपाऊडर को मंजन कहा जाता है अर्थात दांत साफ करने की ओषधि। किसी कला, क्रिया अथवा व्यवहार में परिष्करण के अर्थ में परिमार्जन शब्द का हिन्दी में खूब प्रयोग होता है जो इसी मूल से आ रहा है।
मार्जः से एक और शब्द भी बना है मांझा जो हिन्दी के सभी रूपों और शैलियों में एक समान जाना जाता है। पतंग जिस सहारे पर आसमान में उड़ती है वह जाहिर है डोर होती है। यह डोर सामान्य डोर न होकर खास किस्म के अवलेह यानी लेई से आवेष्टित या लिपटी रहती है। सूखने पर यह लेई डोर को मज़बूती प्रदान करती है। इसी डोर को मांझा कहा जाता है। डोर की विशेष किस्म के लेपन से सुताई होती है अर्थात उसकी मंझाई होती है ताकि वह मज़बूत हो सके। यह manjhaमांझना शब्द भी मार्जः शब्द से ही आ रहा है। इसका अभिप्राय भी वही है जो ऊपर उल्लेखित मांजना का है अर्थात रगड़ना, चिकना करना आदि। सूतना यानी सूत्रण अर्थात धागा अथवा सूत बनाना। जाहिर है सूतना क्रिया किसी रस्सी की बटाई और उसे मज़बूती देने की क्रिया के अर्थ में इस्तेमाल हो रहा है। पतंग के पेच लड़ाने में मांझे की मज़बूती बहुत ज़रूरी है। ये सभी अर्थ यहां सिद्ध हो रहे हैं।

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16 कमेंट्स:

Asha Joglekar said...

मांजना, परिमार्जन, मांजा, मंजा हुआ होना, मंजन सब के सब मार्ज या मृज धातु से निकले हुए हैं ! आप की पोस्ट से हम सब का शब्द ज्ञान पहले की अपेक्षा विस्तृत हुआ है इसमे कोई संदेह नही । आभार । एक शब्द है मार्जार जो संस्कृत में बिल्ली के लिये प्रयोग होता है क्या उसका इस धातु के साथ कोई रिश्ता है ?

Udan Tashtari said...

पतंग के पेच लड़ाने में मांझे की मज़बूती बहुत ज़रूरी है। ये सभी अर्थ यहां सिद्ध हो रहे हैं।

-सिद्ध हो गया भाई!! धन्यवाद!!

मनोज कुमार said...

दिलचस्प है

RDS said...

मज्जन फल पेखिय तत्काला ।
काक होई पिक बकऊ मराला ।

रामचरितमानस में बालकाण्ड की यह प्रसिद्ध चौपाई प्रयाग में स्नान के फल को इंगित करने के उद्देश्य से है । यहाँ मज्जन का अभिप्राय स्नान से है । निस्सन्देह, यह शब्द भी मृज् धातु की यात्रा का एक महत्वपूर्ण पडाव है । परिमार्जन और मज्जन का साम्य दृष्टव्य है ।

आभार,

- RDS

Baljit Basi said...

I have some inkling that the word 'maandi' meaning starch has some connection with 'majha'- that refers to the glue used for stiffening the kite string.'Maandi'is actually starch which is the main main ingredient of 'majha'. We starch the clothes(maandi lagana) as well as starch the kite string!

दिनेशराय द्विवेदी said...

वो छुप छुप के कांच पीसना,उस में धोली मूसली, सरेस, समुद्रफेन और न जाने क्या-क्या डाल लुग्दी पकाना फिर नदी किनारे मैदान में जा कर मंजा सूँतना। आप ने सब याद दिला दिया। स्मृति का परिमार्जन हो गया ।

Baljit Basi said...

The word 'manjar'meaning cats is found in Guru Granth also: "Māʼnjār gādar ar lūbrā" i.e. cats,sheep and foxes.

dhiru singh { धीरेन्द्र वीर सिंह } said...

धागे को मजबूत करने के लिए सुताई और धागे से आयुर्वेद में इलाज़ के लिए उस पर लेपन होता है . क्षार सूत्र भी एक विधि है गुदा रोगों का राम बाड़ इलाज़

Anil Pusadkar said...

खुब याद दिलाई मंजा सूतने के चक्कर मे होने वाली सुताई(पिटाई)की।बहुत मार खाई है भाऊ पतंग उड़ाने के शौक के कारण,अब तो न पतंग दिखती है और आसमाने को ताक़ते पतंगबाज़्।वो दिन वो छुप-छुप कर पतंग उड़ाने का मज़ा उंगली कटने पर खाना खाते समय जलन से बचने के लिये बार-बार उंगली चाटना और डांट खाना और उड़ाओ पतंग सुनते-सुनते खाना खाने से ऐसा लगता पेट ज्यादा भरता था।हा हा हा हा आप तो मंजे पर बचपन तक़ उड़ा ले गये।

अजित वडनेरकर said...

@बलजीत बासी/आशा जोगलेकर
मराठी में बिल्ली को मांजर कहते हैं शायद। मार्ज धातु से मार्जारः यानी बिलाव और मार्जारी यानी बिल्ली शब्द बने हैं। पर इसका मृज् धातु के मूलार्थों से क्या साम्य हो सकता है, फिलहाल इसकी विवेचना नहीं कर पा रहा हूं सो इन्हें छोड़ दिया है।
मांझा सूतने के लिए अलग अलग क्षेत्रों में अलग अलग तरीके इस्तेमाल करते हैं। पर मूलतः इन सभी पदार्थों का गर्म अवलेह यानी पेस्ट ही बनता है। माण्ड का प्रयोग भी होता होगा। मगर इसकी व्युत्पत्तिमूलक रिश्तेदारी मांझा से नहीं है। माण्ड, मण्ड धातु से जन्मा शब्द है। इसका पिछले दिनों की पोस्ट में उल्लेख हुआ है।
सफर में आने का शुक्रिया।

रंजना said...

बहुत सुन्दर शब्द विवेचना ...सदैव की भांति ज्ञानवर्धक !!! आभार !!

निर्मला कपिला said...

रोचक है माँझे की सुताई शुभकामनायें

Mansoor ali Hashmi said...

आपके मांझे की मदद से एक पतंग [पोस्ट] मेने भी उड़ा दी है , ''कटी पतंग''
का मांझा लूटने की दावत है- पधारे.......
http://mansooralihashmi.blogspot.com
पर ...

Abhishek Ojha said...

मंजे हुए पतंगबाज के मांझे की बात अब जाके समझ में आई.

वीनस केसरी said...

bahut behtareen post padhane ko milee

haardik dhanyvaad

hindi me taip karne ke liye jo box aapne pest kiya hai vo shayad theek se kaam nahi kar raha hai

स्वाति said...

bangaluru mein to patang udane ka sukh hi nahi hai.yahan hamne kabhi bhi patang udate huye nahi dekhi.soham ki bahut ichchha hai yahan patang udane ki par milegi kahan ye pata nahi

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