Wednesday, March 17, 2010

गोदाम, संसद या डिपो में समानता

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गो दाम, संसद या डिपो में क्या समानता है? चकराइये नहीं, ये सभी स्थानवाची और समूहवाची संज्ञाएं हैं। अर्थात यहां किसी वस्तु या मनुष्यों के इकट्ठा होने का भाव है। किसी स्टोर या भण्डार के अर्थ में हिन्दी में गोदाम शब्द बहुत प्रचलित है। भंडार उस स्थान को कहते हैं जहां व्यापार के जरिये लाया गया बहुत सारा सामान एक साथ रखा जाता हो। हिन्दी में इस शब्द की आमद अंग्रेजी के गोडाउन godown शब्द से हुई है। दरअसल यह मूलतः मलय भाषा का शब्द है जिसमें इसका उच्चारण होता है गदोंग, गोदोंग, गुदांग या गुदंग। मलेशिया में इसका मतलब होता है समुद्रतट पर जहाज से उतारे जानेवाले माल को सुरक्षित रखने का स्थान, डिपो depot या भण्डारगृह आदि। मलेशिया में गुदंग gudang नाम का एक प्रसिद्ध बंदरगाह भी है। गौरतलब है कि अंग्रेजों से भी पहले से पूर्वी एशियाई क्षेत्र में पुर्तगालियों का दखल था और वे मलेशिया, इंडोनेशिया में अपनी जड़ें जमा चुके थे। इनके साथ यह शब्द भी यूरोप पहुंचा जहां पुर्तगाली जबान में इसका उच्चारण हुआ गुदाओ। वैसे हिन्दी में कोठार, भंडार, आगार, कोठी, कोष्ठागार जैसे शब्द डिपो या गोदाम के अर्थ में खूब प्रचलित हैं। अग्रेजी का वेयरहाऊस शब्द भी जाना-पहचाना है।
वैसे भाषाविज्ञानियों का मानना है कि चाहे यह शब्द मलय भाषा का है, मगर अंग्रेजी में इसकी आमद भी भारतीय भूमि से ही हुई है। दरअसल भंडार के अर्थ में गदोंग gadong, गोदोंग godong जैसे शब्दों से तमिल तेलुगु भाषाओं का रिश्ता सदियों पहले ही जुड़ चुका था। तमिल और तेलुगु व्यापारियों के समुद्रपारीय संबंध सदियों से हिन्द-चीन क्षेत्र के राष्ट्रों से रहे हैं। बर्नेल और यूल के मुताबिक मुमकिन हैं ये शब्द भारतीय मूल के हों क्योंकि पूर्वी एशियाई देशों की image भाषाओं, खासतौर पर मलय भाषा के कई शब्दों पर तमिल,  तेलुगु का प्रभाव है। तेलुगु में गिदांगी gidangi और तमिल में किदांगु kidangu जैसे शब्द गोदाम के अर्थ में पहले से इस्तेमाल होते आए हैं। विद्वानों का कहना है कि इन भाषाओं से ये शब्द सिंहली भाषा में पहुंचे जो श्रीलंका की भाषा है। सिंहली में इसका रूप हुआ गुदामा। जितने भी यूरोपीय कारोबारी पूर्वी एशिया जाते थे, उनके लिए भारतीय प्रायद्वीप अर्थात कोरोमंडल का तट से होते हुए या श्रीलंका का चक्कर लगा कर जाना ज़रूरी होता था। यहां के बंदरगाहों पर वे रसद-पानी लेने ज़रूर उतरते थे। कोई ताज्जुब नहीं कि मलेशियाई मूल के इस शब्द से परिचित होने का मौका उन्हें वहां पहुंचने से पहले ही मिल चुका था।
हरहाल, भारत की कई भाषाओं में आज गोदाम शब्द मौजूद है जैसे मराठी-कोंकणी में यह गुदांव या गुदाम है तो ओडिया में गुदामा gudama। हिन्दी उर्दू में गोदामयह  godam है तो बंगाली, असमी में भी इसका रूप गुदाम है। तेलुगु में यह गदांगु, गिदिंगी है। गौरतलब है कि बंदरगाह का वह हिस्सा जहां जहाजों को खाली किया जाता है या माल उतारा जाता है गोदी कहलाता है। यह गोदी godi शब्द भी इसी मूल का है मगर पूरी तरह भारतीय रंग 17में रंगा हुआ है। गोदी शब्द का प्रयोग कोंकणी, मराठी, गुजराती, हिन्दी में होता है। गोदाम शब्द का प्रयोग अकसर हिन्दी में मालगोदाम के रूप में भी होता है। उत्तरांचल की एक सैरगाह का नाम है काठगोदाम। जाहिर है किसी जमाने में यहां अंग्रेज व्यापारियों ने टिम्बरयार्ड बनवाया था। इस क्षेत्र में रेल लाईन बिछाने के लिए तब बड़े पैमाने पर जंगलों को काटा गया था ताकि लकड़ी के स्लीपर बनाए जा सकें। जाहिर है तब गुमनाम सी एक बस्ती को काठगोदाम (काष्ठ = लकड़ी) नाम मिल गया।
 गोदाम के अर्थ में ही जिस शब्द का हिन्दी में खूब इस्तेमाल होता है  वह है depot डिपो। मूलतः यह शब्द अंग्रेजी से आया है जिसका मतलब है जहां बहुत सी वस्तुएं जमा की गई हों या एक साथ रखी गई हों। यह शब्द अंग्रेजी के ही डिपॉजिट deposit का संक्षिप्त रूप है। डिपॉजिट का अर्थ भी कतार में रखना, नीचे रखना, जमा करना, इकट्ठा करना, भंडार आदि है। डिपॉजिट लैटिन भाषा के डिपॉनेयर deponere के ही एक रूप डिपॉजिटस depositus से बना है। deponere बना है de + ponere से अर्थात इसका मतलब होता है एक के बाद एक रखना, आगे रखना। जाहिर है यह क्रिया माल के भंडारण के अर्थ में ही आगे चल कर रूढ़ हुई। इस शब्द शृंखला का रिश्ता अंग्रेजी के पोजीशन शब्द से है जिसका अर्थ है स्थान, जगह, अवस्था, स्थिति, दर्जा, हालत आदि। यह बना है लैटिन के पोजीशनेम से जिसमें दृढ़ता, स्थिरता, स्थिति का भाव है। प्राचीन भारोपीय शब्द po-s(i)nere से बना है यह शब्द। इसमें जो सिनेयर है उसकी मूल धातु है si अर्थात सी जिसमें रुकना, अटकाना, ठहराना जैसे भाव हैं। इसका रिश्ता भारोपीय धातु sed से भी है जिससे अंग्रेजी में seat (कुर्सी), site (स्थल, जगह) जैसे शब्द बने हैं तो संस्कृत में सद जैसा शब्द भी बना है जिसका अर्थ है विराजना, बैठना। यहां भी पोजीशन या स्थिति का भाव ही है। अंग्रेजी के सीट से सद की समानता गौरतलब है। यह सद ही सभासद, सदस्य, संसद या सांसद में नज़र आता है जिसमें स्थान, बैठक जैसे भाव है। साफ है कि गोदाम, संसद या डिपो में काफी समानता है। संसद या लोकतांत्रिक संस्थाओं में सदस्य भी व्यापार प्रक्रिया का हिस्सा हैं। वे खरीदे बेचे जाते हैं। उन्हें जिन्सों की तरह इन संस्थाओं में भरा जाता है। अधिक जगह बनाने के लिए संख्या बढ़ाई जाती है। वर्ग विभाजन भी वैसा ही होता है जैसा किसी गोदाम में होता है। कौन पहले आया, कितना पुराना, कितनी तादाद, कितना टिकाऊ है वगैरह वगैरह। जो टिकाऊ है सो टिकता है, जो पुराना है, सो आऊट हो जाता है।

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11 कमेंट्स:

dhiru singh { धीरेन्द्र वीर सिंह } said...

मै समझ गया . गोदाम ,सन्सद या डिपो मे ्फ़ालतू सामान ही रखा जाता है .

Khushdeep Sehgal said...

अजित जी,
गोदाम और भंडार में जनता का खाने का सामान जमाखोरी करके रखा जाता है...

और संसद में जनता के अरमान...

जय हिंद...

Udan Tashtari said...

जय हो..आभार इस जानकारी और ज्ञान का.

गिरिजेश राव, Girijesh Rao said...

@ संसद या लोकतांत्रिक संस्थाओं में सदस्य भी व्यापार प्रक्रिया का हिस्सा हैं। वे खरीदे बेचे जाते हैं। उन्हें जिन्सों की तरह इन संस्थाओं में भरा जाता है। अधिक जगह बनाने के लिए संख्या बढ़ाई जाती है। वर्ग विभाजन भी वैसा ही होता है जैसा किसी गोदाम में होता है। कौन पहले आया, कितना पुराना, कितनी तादाद, कितना टिकाऊ है वगैरह वगैरह। जो टिकाऊ है सो टिकता है, जो पुराना है, सो आऊट हो जाता है।

सोचता जा रहा हूँ :)

दिनेशराय द्विवेदी said...

सांसदों की व्याख्या सुंदर की है।

किरण राजपुरोहित नितिला said...

सांसदों के गोदाम खूब भरे हुए हैं.
बढ़िया पोस्ट .

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

समानता तो आपने स्वयं ही बता दी हैं!

Mansoor ali Hashmi said...

गो-डाउन [going down]

[अजित वडनेरकरजी की आज{१७-०३-१०} की पोस्ट गोदाम, संसद या डिपो में समानता से प्रेरित होकर]


''माल'' हमने ''चुन'' के जब पहुंचा दिया गोदाम में.
शुक्रिया का ख़त मिला; ''अच्छी मिली 'गौ' दान में.

पंच साला ड्यूटी देके लौटे, साहब हाथ में,
''दो'' के लगभग के वज़न की बैग थी सामान में.

कोई भंडारी बना तो कोई कोठारी बना,
वैसे तो ताला मिला है, उनकी सब दूकान में.

कितनी विस्तारित हुई 'गोदी' है अब हुक्काम की
शहर पूरा 'गोद में लेना' सुना एलान में.

है वही नक्कार खाना और तूती की सदा,
आ रही है देखिये क्या खुश नवां इलहान में.*

*अब संसद में भी औरतो की दिलकश आवाज़े अधिक ताकत से गूंजने और सुनाई देने की संभावनाएं बढ़ रही है.

-मंसूर अली हाश्मी
http://aatm-manthan.com

निर्मला कपिला said...

बहुत बढिया व्याख्या धन्यवाद

रंजना said...

waah...lajawaab sambandh vivechit aur siddh kar diya aapne...

yun mujhe sansad ko bhrashtachariyon ka godaam kahne me bada sukh milega...

Baljit Basi said...

आज तो माला-माल कर दिया. गोदाम को माल-गुदाम भी कहते हैं. और माल को भी माल-गुदाम कहते हैं.
अंग्रेजी के session, dissident और हमारा उपनिषद भी संसद के रिश्तेदार हैं.

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