आपा-धापी के इस दौर में समाज का एक अनिवार्य चेहरा धरना, हड़ताल और प्रदर्शनों में भी नज़र आता है। शायद ही कोई दिन ऐसा जाता हो जब हमें अपने आस पास इन शब्दों की मौजूदगी नज़र न आती हो। व्यवस्था के खिलाफ विरोध प्रकट करने के ये आम तरीके हैं । इन्हीं गतिविधियो के बीच एक और शब्द खूब सुनने को मिलता है वह है अनशन या आमरण अनशन । ज्यादातर लोग इसे भूख हड़ताल के रूप में भी जानते हैं। अनशन शब्द का मूल अर्थ है उपवास अर्थात अन्न-जल का त्याग ।
प्राचीनकाल में पापफलों को कम करने के विभिन्न साधनों जैसे पश्चाताप, तप, जप, होम, दान, तीर्थयात्रा में से ही एक साधन अनशन या उपावास भी था। कालांतर में अनशन शब्द का धार्मिक महत्व लुप्त हो गया और इस शब्द ने राजनीतिक चोला पहन लिया।
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अनशन शब्द बना है अन+अशनम् से । अन् उपसर्ग का प्रयोग रहित के अर्थ में होता है । संस्कृत धातु अश् से बना है अशनम् शब्द जिसका मतलब होता है खाना, स्वाद लेना, उपभोग करना, खिलाना आदि। इसका एक अन्य अर्थ है व्याप्ति , पूरी तरह भरना, प्रविष्ट होना आदि। देखें तो दूसरे अर्थ में भी उदरपूर्ति का भाव ही है । जाहिर है उदरपूर्ति भोजन ग्रहण करने से ही होती है। तो इस तरह अश् धातु से बने अशनम् का अर्थ भी हुआ भोजन करना। इसमें अन् उपसर्ग लगने से बना अनशनम् जिसका मतलब सीधे सीधे अन्न-जल का त्याग हुआ। पुराने ज़माने में अनशन शरीर को व्याधियों से मुक्त रखने और अंतःकरण की शुद्धि की विधि थी अनशन। डॉ पांण्डुरंग वामन काणे के मुताबिक प्राचीनकाल में पापफलों को कम करने के विभिन्न साधनों जैसे पश्चाताप, तप, जप, होम, दान, तीर्थयात्रा में से ही एक साधन अनशन या उपावास भी था। कालांतर में अनशन शब्द का धार्मिक महत्व लुप्त हो गया और इस शब्द ने राजनीतिक चोला पहन लिया।
अनशन का सर्वाधिक प्रयोग महात्मा गांधी ने किया और उसके बाद तो अनशन के रूप में आंदोलनकारियों को एक ऐसा हथियार मिल गया जिसके जरिये वे व्यवस्था को झुका कर अक्सर अपनी मांगें मनवाने लगे। इसी के चलते अनशन से एक और नया शब्द चल पड़ा अनशनकारी। आंदोलनकारियों को भी भूख हड़ताल की बजाय अनशन करना ज्यादा सुहाता है क्योंकि निराहार रहने के लिए इसके साथ आमरण शब्द जोड़ना पड़ता है जबकि भूख हड़ताल की घोषणा की नहीं कि आफत गले पड़ी नहीं। सिर्फ अनशन में कोई दिक्कत नहीं । यह धारावाहिक की तरह इसके एक दिवसीय एपिसोड चलते रहते हैं।
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