Friday, July 25, 2008

कुत्ता खांस रहा है...

free-cute-dog-screensaver दिलचस्प बात है कि पशु-पक्षियों की आवाज़ो  में मनुश्य ने ध्वनि की शिनाख्त की और फिर उसी आधार पर उनका नामकरण भी कर दिया । लगातार चुगते हुए कुटकुट करते रहने की वजह से मुर्गे को कुक्कुटः कहा गया तो मधुर कूक का उच्चार करने वाली चिड़िया को कोकिला या कोयल नाम मिला। इसी तरह कांव कांव करनेवाले पक्षी को काक या कागा कहा गया । देखें इस श्रंखला की अन्य कड़ियां
1.कौवे और कोयल की रिश्तेदारी
2.और यूं जन्मी कविता...
3.कहनी है कुछ कथा-कहानी
4.कवि साथियों से क्षमा याचना सहित
5.गीता और गीत-संगीत की गाथा
[चित्र साभार -cispackage.com/]
कु धातु का जन्म ध्वनि अनुकरण से हुआ है। दरअसल विकासक्रम में मनुश्य का जिन नैसर्गिक ध्वनियों से परिचय हुआ वे सब क से संबंद्ध थीं। पहाड़ों से गिरते पानी की , पत्थरों से टकराकर बहते पानी की ध्वनि में कलकल निनाद उसने सुना। स्वाभाविक था कि इन स्वरों में उसे ध्वनि सुनाई पड़ी इसीलिए देवनागरी के क वर्ण में ही ध्वनि शब्द निहित है।
की महिमा कुत्ते के नाम में भी नज़र आती है। कुत्ते की पहचान के लिए चाहे भौं भौं की आवाज़ सर्वाधिक स्वीकार्य हो मगर इस भौंक के अंत में जो ध्वनि शेष रहती है वह क का उच्चार ही है। मूलतः कुत्ता शब्द भी संस्कृत के कुक्कुरः से बना है जिसका मतलब कूंकूं या कूरकूर ध्वनि करना ही है। कुत्ते को रोटी देने के लिए बुलाते समय भी इसी ध्वनि का उच्चार अक्सर किया जाता है। दरअसल इसके मूल में कुत्ते के खांसने की आवाज़ है। खांसी के एक प्रकार को भी कुकुर खांसी ही कहते हैं। गौरतलब है कि कुत्ते के कुक्कुरः नामकरण में मनुष्य ने उसके गुर्राने या भौंकनेवाले गुण की बजाय उसके खांसने वाले गुण को लिया है। खांसी शब्द के पीछे भी यही ध्वनि अनुकरण काम कर रहा है। खांसी बना है संस्कृत के कास् जिसका मतलब होता है रुग्णता प्रदर्शित करनेवाली आवाज़, खांसी , सर्दी जुकाम आदि। कास् > कासिका > खासिआ > खांसी इस तरह विकासक्रम रहा इसका। कलकल और फिर कोलाहल जैसे शब्दों का रिश्ता भी इसमें साफ हो रहा है और या कु की महिमा भी। खांसना, खखारना, जैसे शब्द इसी श्रंखला से जुड़े हैं।
यूं कुत्ते के लिए संस्कृत में श्वान शब्द है । भाषा संस्कार के नज़रिये से मानव के इस आदिम साथी का कुत्ता नाम हिन्दी में गाली समझा जाता है । कुत्ते के लिए भी सभ्य शब्द श्वान ही समझा जाता है। गांव देहात में कुकुर महाराज, टेगड़ा आदि भी कहते हैं। वैसे श्वान शब्द का जन्म शुन् या श्वि से माना जाता है। इनमें साथ-साथ चलने , फलने- फूलने, बढ़ने, विकसित होने का भाव है। कुत्ता आदिकाल से ही मानव-सहचर रहा है। महाभारत में पांडवों के स्वर्गगमन के प्रसंग में उनके साथ कुत्ते के होने का भी उल्लेख मिलता है। शुरू से ही मानव बस्तियों में  कुत्तों का भी आवास रहा है और उनकी वंशवृद्धि होती रही है सो इसी वृत्ति के चलते
कुक्कुर को मिला एक सभ्य नाम श्वान। कुत्ता शब्द का स्त्रीवाची शब्द तो हिन्दी में कुत्ती या कुतिया है मगर श्वान का नही मिलता। दरअसल संस्कृत में श्वान के अलावा शुनकः शब्द भी है। इसी से बना है शुनी जिसका मतलब है कुतिया ( बुरा नहीं है यह नाम भी !)। डॉ रामविलास शर्मा के अनुसार संस्कृत श्वान का यूरोपीय प्रतिरूप हाऊन्ड है। उनका तर्क है कि इंडो यूरोपीय भाषाओं में संस्कृत का श  या स अक्सर ग्रीक, अरबी, फारसी के ह में बदलता है। सिन्धु का हिन्दू , सप्ताह का हफ्ता आदि मिसालें भी देखी जा सकती हैं। यह क्रम आप सौ के अर्थ में संस्कृत के शतम् और अंग्रेजी के हंड्रेड में देख सकते हैं। संस्कृत का श्वान ही कुत्ता के अर्थ में कश्मीरी में हून बनता है। अलबत्ता अंग्रेजी के डॉग की व्युत्पत्ति अज्ञात है।
कुत्ता और श्वान शब्द मुहावरों , कहावतों में भी लोकप्रिय हैं। कच्ची नींद, या सिर्फ झपकी यानी हलकी नींद लेने को श्वान निंद्रा कहते हैं। कुत्ते में चौकसी की वृत्ति होती है और इसीलिए वह बहुत कम सोता है। एक और मुहावरा है श्वानवृत्ति जिसका मतलब होता है नौकरी-चाकरी करना, हुकुम बजाना आदि। इसी तरह बुरी अवस्था में मृत्यु को कुत्ते की मौत मरना कहा जाता है। हरदम चापलूसी –खुशामद में लगे रहने को को दुम हिलाना ( कुत्ते की तरह ) कहते हैं।

 आपकी चिट्ठियां-एक अलौकिक आत्मा पर
प्रभाकर पांडेय की अनकही के चारों पड़ावों 1.एक अलौकिक आत्मा- गोपालपुरिया 2.मुम्बई मइया की गोद में 3.मांटेसरी स्कूल के हत्यार गुरुजी 4.प्रभाकर , तूँ कबो सुधरबS ना ? 5.भैंसाडाबर के मुस्लिम लड़के की शायरी  पर सफर के 38 साथियों ने 66 टिप्पणियां लिखी।  ये है सर्वश्री उड़नतश्तरी, पंगेबाज, कुश, चंद्रकुमार जैन, रंजना भाटिया, सजीव सारथी, अनुराग , मीनाक्षी नीरज गोस्वामी, दिनेशराय द्विवेदी, सिद्धार्थ, घुघूति बासूती,अभिषेक ओझा, लावण्या शाह, शोभा, ज्ञानदत्त पांडे, मीनाक्षी, अजित वडनेरकर, अनिल पुसदकर, पल्लव बुधकर, संजय बेंगाणी, घोस्ट बस्टर , प्रशांत प्रियदर्शी, अनिताकुमार, सुनील, अरुण, अफलातून, संजीत त्रिपाठी, राजेश रोशन, सर्वेश, सागर नाहर, अनूप शुक्ल, अरिमर्दन कुमार त्रिपाठी, कप्तान और आशा जोगलेकर । आप सबका आभार।

14 कमेंट्स:

Asha Joglekar said...

Ajit bhai aapko badhaee ki aap apana safar aur bakalam Khud ka safar bhi jari rakhe hue hain . Ab shabdon ke safar ki to kitab chap jana chhiye aur isaki sabse pahali grahak main hi houngi. Bahar hal kukur aur, shwan se kutte tak ke safar pasand aaya.

Smart Indian said...

बहुत अच्छी जानकारी है - बधाई स्वीकार करें.

Udan Tashtari said...

ज्ञानवर्धक...जय हो, महाराज.

रंजू भाटिया said...

bahut acchi jaankari is baar bhi shukriya

कुश said...

रोल न. 63 हाज़िर है सर.. आज की क्लास भी बढ़िया रही

Dr. Chandra Kumar Jain said...

जानकारी बढ़ाने वाली
रोचक पोस्ट. ========
कम सोने वाले वफ़ादार
की मौत मरना
इतनी बुरी बात क्यों है ?
जो लोग पूरी ज़िंदगी सो कर
ज़िंदगी से बेवफ़ाई करते हैं
उनके लिए कौन-सा
मुहावरा माकूल होगा ?
ऐसे कुछ सवाल उभरने लगे
सफ़र की इस प्रस्तुति को पढ़कर.
...खैर,यहाँ तो आनंद शब्द-यात्रा का है.
ये ज़ुदा बात है कि इसमें इन्सान की फितरत के
कई अनछुए पहलू बरबस उजागर होते जा रहे हैं.
==================================
आभार अजित जी,
डा.चन्द्रकुमार जैन

डॉ .अनुराग said...

rool no ek हाज़िर है...

दिनेशराय द्विवेदी said...

यही तो वह जीव है जो परलोक तक मानव का साथ निभाता है।

admin said...

खांस खखार के बहाने अच्‍छी जानकारी दी है।

Anita kumar said...

श्वान शब्द मेरी शब्दावलि में पहले नहीं था, मेरी शब्दावली में इजाफ़ा करने के लिए धन्यवाद, श्वान निद्रा के बारे में भी हमने नही सुना हुआ था और सप्ताह ही हफ़्ता बना ये भी बिल्कुल नयी जानकारी है, धन्यवाद्। अगली पोस्ट का इंतजार है

Prabhakar Pandey said...

बहुत ही ज्ञानवर्धक और सुंदरतम जानकारी। वैसे कुत्ते के लिए कुछ विद्वानों ने अपनी रचनाओं में गृहप, सालावृक, दीर्घजिह्वी, दीर्घरत, दीर्घ-सु-रत, सुनहा जैसे शब्दों का प्रयोग भी किया है। और कुतिया के लिए श्वानी और तुंबुरी भी साहित्यकारों द्वारा प्रयोग में है।

अजित भाई, साइकिल में जो कुत्ता होता है, क्या उस कुत्ते का संबंध भी इस कुत्ते से है या यह संयोगमात्र है।

Anonymous said...

स्कूल छोड़ कर जाते हुए अपने छात्रों को संस्कृत का एक श्लोक
लिख कर दिया करते थे...जिसमें काक दृष्टि , वको ध्यान के साथ साथ श्वान निद्रा का महत्त्व बताते थे... आज श्वान-वृत्ति के अर्थ में चाकरी के रूप में नई जानकारी मिली...

Abhishek Ojha said...

कुक्कुर पर जानकारी अच्छी लगी... कहाँ से कहाँ ले जाते हैं आप. भौकने से खांसी तक रोचक सफर !.

Unknown said...

बहुत ही रोचक जानकारी."शुनि" वाकई बहुत प्यारा शब्द है.

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