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Saturday, November 14, 2009
मियां करे दलाली, ऊपर से दलील!![मध्यस्थ-2]
पिछली कड़ी-मियांगीरी मत करो मियां [मध्यस्थ-1]
मध्यस्थ व्यक्ति के लिए समाज में हमेशा से सम्मान का भाव रहा है। मध्यस्थ की भूमिका पथप्रदर्शक, रहनुमा की होती है। गुरु, स्वामी, पीर आदि आध्यात्मिक पुरुष सामान्यजन के लिए ईश्वर प्राप्ति का जरिया होते हैं अर्थात वे मध्यस्थ का किरदार निभाते हैं। हिन्दी में मध्यस्थ के लिए बिचौलिया जैसा शब्द भी प्रचलित है जिसका इस्तेमाल नकारात्मक अर्थ में होता है। आमतौर पर बिचौलिया से अभिप्राय दलाल से है। दलाल यानी ब्रोकर। दो लोगों के बीच सौदा कराने की एवज में अर्थलाभ पाने वाला व्यक्ति। फारसी में मियां या मियांजी का अर्थ भी मध्यस्थ ही होता है। इसका जन्म भी इंडो-ईरानी परिवार की भाषा अवेस्ता के मदिया (संस्कृत में मध्य) शब्द से हुआ है। ध्यान दें कि मियां जी का रुतबा इसीलिए है क्योंकि वे बिना किसी स्वार्थ के समाज के बीच जाकर लोगों की परेशानियां दूर कर रहे हैं। समाज में प्रभावशाली व्यक्तियों, संतों, नेताओं, अधिकारियों, बुजुर्गों, वरिष्ठों से हमेशा निष्पक्ष और निस्वार्थ सेवा की उम्मीद की जाती है। अगर इसमें स्वार्थ का तत्व पनपता है तो वह व्यक्ति मियां यानी आदरणीय से दलाल की श्रेणी में आ जाता है।
दलाल शब्द अरबी का है और इसकी व्युत्पत्ति सेमिटिक धातु द-ल-ल (d-l-l) से हुई है। इस धातु की बहुआयामी अर्थवत्ता है मगर मुख्यत मध्यस्थ का ही भाव है। दलाल का मतलब होता है छोटा कारोबारी, दुकानदार, खोमचा-थड़ीवाला। रिटेलर या खुदरा व्यवसायी दरअसल उत्पादनकर्ता और उपभोक्ता के बीच की कड़ी ही होता है। कमीशन एजेंट के रूप में दलाल शब्द की व्याप्ति हिन्दी में ज्यादा है। अरबी में नीलामकर्ता को भी दलाल कहा जाता है क्योंकि नीलामी की एवज में वह धन प्राप्त करता है। किसी भी किस्म के व्यापारिक सौदे कराने में दलाल की भूमिका महत्वपूर्ण होती है। मोटे तौर पर दलाल एक एजेंट होता है जो विक्रेता या खरीददार की ओर से सौदा सम्पन्न कराता है। सौदे का दायरा राजनीतिक सीमाओं को भी छूता है । बाजार का दलाल खुलेआम काम करता है जबकि राजनीति का दलाल करता दलाली है पर खुद को दलाल कहलवाना नहीं चाहता। दलाल शब्द का प्रयोग भारतीय राजनीति में बीते कुछ दशकों से खूब होने लगा है और यह राजनीतिक प्रदूषण का प्रतीक भी बन गया है। दो व्यक्तियों या समूहों के बीच मामला तय कराना ही दलाल कर्म है जिसके बदले उसे कुछ लाभ प्राप्त होता है जो आर्थिक भी हो सकता है और किसी अन्य रूप में भी। इसे ही दलाली कहा जाता है। व्यापारिक कर्म होने से गुजरात के एक वैश्य समुदाय में दलाल उपनाम प्रचलित है। हरियाणा के जाटों में भी दलाल सरनेम मिलता है। यह ठीक वैसे ही है जैसे पारसियों में व्यवसाय आधारित उपनाम होते हैं जैसे मर्चेंट। गुजराती के एक प्रसिद्ध लेखक हुए हैं-गुलाबदास ब्रोकर। जाहिर है इनके पुरखों का व्यवसाय दलाली रहा होगा, जिसकी वजह से इनके कुटुम्ब में ब्रोकर नाम प्रचलित हुआ।
दलाली को समाज में आमतौर पर सम्मानजनक नहीं समझा जाता, मगर आज की कारोबारी व्यवस्था में यह बहुत अनिवार्य है। अरबी में भी दलाल शब्द को अच्छा नहीं माना जाता और किन्हीं संदर्भों में स्त्री या पुरुष की एक दूसरे से वासनामय ठिठोली भी इस शब्द के दायरे में आती है। दलाल से बना दल्ला शब्द हिन्दी में बेहद असम्मानजनक संबोधन है। अरबी में दल्ला का अर्थ तरबूज़ भी होता है। दल्ला वह है जो स्त्रियों के देहव्यापार में लिप्त है। रूपजीवाओं की आय पर गुजारा करनेवाले को भी दल्ला कहा जाता है। मुस्लिम शासनकाल में जब धनाढ्यों के विलास के लिए खूबसूरती के बाजार में बड़े बड़े सौदे तय होते थे, यह शब्द तब प्रचलित हुआ । दलालत, दलाला या दलाली कमीशन के लिए प्रचलित शब्द थे। हिन्दी में दल्लाल शब्द भी आम है। इस कर्म में लिप्त महिला के लिए दल्लाला सम्बोधन है। हिन्दी शब्दसागर के मुताबिक दलाल वह व्यक्ति है जो स्त्री-पुरुष में किसी द्रव्य की एवज में अनुचित संयोग कराता है। साक्ष्य या सबूत के लिए हिन्दी–उर्दू में दलील शब्द का खूब इस्तेमाल होता है जो इसी धातुमूल से निकला है। दलील का अर्थ हिन्दी में तर्क भी होता है। जाहिर है, तर्क भी वाक् शक्ति से जन्मा साक्ष्य ही है। मध्यस्थ शब्द में निहित सात्विक भाव यहां स्पष्ट होते हैं। मध्यस्थ की भूमिका न्यायकर्ता की होती है। साक्ष्य या सबूत के अभाव में सुलझाव कभी सम्भव नहीं। इसी धातु से संबंधित एक अन्य धातु है द-ल-य (d-l-y) इससे बने दल्ला का मतलब एक गाईड, मार्गदर्शक या परामर्शदाता है। दलील अपने आप में मार्गदर्शक तत्व है। यह एक ऐसा बोधवाक्य होता है जिसके प्रकाश में तथ्य की सही पड़ताल हो जाती है। इस अर्थ में दलील देने वाला भी दलाल है। दलीलों से न्याय की राह दिखानेवाला वकील दरअसल मध्यस्थ और मार्गदर्शक ही है।
मध्यस्थ के लिए दलाल की तरह ही एक अन्य अशोभनीय संबोधन है बिचौलिया। लगभग दलाल जैसी ही अर्थवत्ता इसकी है। यह व्यक्ति भी दो पक्षों के बीच कारोबारी हित साधने में मददगार होता है और बदले में कुछ नफा हासिल करता है। बड़ी देनदारियों की वसूली के लिए भी बिचौलिये अपना हुनर दिखाते हैं जिससे ऋणदाता को मूलधन वापस मिल जाता हैं। आधुनिक भारत में दलाली प्रथा को अंग्रेजों ने बहुत बढ़ावा दिया। अंग्रेज व्यापारिक बुद्धि के थे। कम्पनी सरकार ने किसानों को भू-स्वामित्व से वंचित कर ज़मींदारी व्यवस्था शुरु की। ज़मींदार वर्ग मूलतः अंग्रेजों का दलाल ही था। बाद में नए तौर-तरीकों वाले दलाल पैदा होने लगे। मुंबई-कोलकाता में मारवाड़ी इस व्यवसाय से खूब पनपे और आज देश के शीर्षस्थ उद्योगपतियों में इनका शुमार है।
बिचौलिया शब्द बना है हिन्दी के बीच शब्द (मध्य ) में औलिया प्रत्यय जुड़ने से। जॉन प्लैट्स के शब्दकोश के मुताबिक बीच शब्द बना है संस्कृत के व्यचस् से जिसका अर्थ है विस्तार, भाग अथवा हिस्सा। स्वतंत्र रूप में यह शब्द हमें वाशि आप्टे के संस्कृत-हिन्दी कोश में नहीं मिला। मोनियर विलियम्स के संस्कृत-इंग्लिश कोश में इसका उल्लेख ज़रूर है। आप्टे और मोनियर के कोश में इससे संबंधित व्यच् धातु है। आप्टे इसका अर्थ ठगना, धोखा देना और चाल चलना बताते हैं जबकि मोनियर विलियम्स ने इसके मायने विस्तार करना बताया है। दोनों ही अर्थ जॉन प्लैट्स द्वारा बताए अर्थ में समाहित हैं। आप्टे कोश में व्यचस् की धातु विच् है जिसमें विभक्त करना, बांटना, काटना जैसे भाव हैं। याद करें बंदर और दो बिल्लियों की कहानी। रोटी को लेकर बंदर बिल्लियों के बीच मध्यस्थता करने बैठा और चालाकी से सारी रोटी खुद खा गया। इसमें विभक्त करने वाली बात भी सिद्ध हो रही है और धोखा देने की भी। यह भी तथ्य है कि बिचौलिया रिश्तों को जोड़ता नहीं बांटता ही है। किसी वस्तु को बांटने में मूलतः मध्य से दो भाग करने का भाव ही होता है। हिन्दी का बीच और पंजाबी का विच इसी व्यच् से जन्मे हैं। हिन्दी के बीच में औलिया प्रत्यय लगने से बना बिचौलिया। शब्दकोशों में मध्यस्थ के अर्थ में बिचली, बिचौली, बिचवैय्या, विचवैया, बिचवैत जैसे शब्द भी हैं। मालवी में तीन संतानों के बीच की संतान को बिचौट कहते हैं। जबर्दस्ती बीच में पड़नेवाले को बिचला/बिचली कहा जाता है। – कुछ और दिलचस्प विवरणों के साथ अगली कड़ी में भी जारी।
जरूर पढ़ें-दम्भ का महाकुम्भ (चर्चा कुम्भनगर की)
प्रस्तुतकर्ता अजित वडनेरकर पर 3:18 AM
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13 कमेंट्स:
कल शब्दों का सफर देखने को न मिला, अजीब सा लगा। आप ने दलाल शब्द को खूब व्याख्यायित किया है उस की सभी अभिव्यंजनाओं सहित!
बहुत बढ़िया व्याख्या. आभार ज्ञानवर्धन का.
भाऊ, सिहरा दिया आप ने। दलाल उपनाम लेकर अब जो लोग भी मेरे सामने आएँगे वे अतिरिक्त सावधानी से डील किए जाएँगे।
'राव' को बख्श देना ;)
स्वभाव से आचरण तक-दलाल और दलाली का सम्यक विवेचन । आभार ।
दलाली का बढ़िया विश्लेषण!
बाल-दिवस की शुभकामनाएँ!
शब्दों का है अजब कमाल,
बने मियांजी आज दलाल.
व्याख्या बहुत अच्छी लगी। मियां जी का तो आज ही पता चला कि मध्यस्त होता है। बहुत बहुत धन्यवाद्
अजित जी,
आजकल तो मध्यस्थ को ज़्यादातर बाद में जूते ही खाने पड़ते हैं...ज़रा सी सही बात कही नहीं कि झट से पक्षपात का आरोप लग जाता है...अब हर कोई ग्लोबल पुलिसमैन अमेरिका की तरह तो है नहीं...जहां चाहे, वहां टांग अड़़ा दी...है किसी की चूं-चां करने की मज़ाल...
जय हिंद...
"मध्यस्थ की महिमा पर संदेह नहीं। मध्यस्थ तो कृष्ण भी थे जो निस्वार्थ कर्मयोग की बात कहते थे। अब दलालों का बोलबाला है।"
एकदम सही बात, यदि मध्यस्थता बिना कोई सीमा लांघे कोई छलावा किये की जाए, तो वह भी एक तरह का समाज में कर्तव्य निर्वहन है ! अगर उचित कमीशन लेकर बिना हेर-फेर किये कोई दलाल आपको मकान दिलाता है तो उससे बेहतर सौदा हम क्या कर सकते है ? कहने का मतलब मध्यस्थता भी समाज का एक आवश्यक पहलू है !
दलाल का मतलब तो अब 'दे' और 'ले' बनकर ही रह गया है.
धन्यवाद दलाल शब्द का एक अच्छा पहलु बताने के लिए
खोजिये कहीं दलाल का अर्थ नेताओ और पत्रकारों ?पर तो इंगित नहीं करता
बड़ी गजब की जानकारीं दी है आपने। आभार
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