Monday, November 30, 2009

चौधरी की चौधराहट

...अंग्रेजों नें भारतीयों को पदवियों की खूब रेवड़ियां बांटीं। चौधरी भी इनमें से एक है...
हि न्दी मे चौधरी शब्द बड़ा आम है और किसी खास या सम्मानित व्यक्ति के लिए प्रयोग किया जाता है। इस लिहाज से देखें तो न सिर्फ उत्तर भारत या हिन्दीभाषी क्षेत्रों में बल्कि दक्षिण में भी,खासकर आंध्रप्रदेश और महाराष्ट्र में यह नज़र आता है। यही नहीं, बांग्लादेश और पाकिस्तान में भी चौधरी की धाक देखी जा सकती है। किसी समूह-समाज के मुखिया के लिए भी चौधरी शब्द आमतौर पर इस्तेमाल किया जाता है। कहीं यह जातीय विशेषण है तो कहीं पदवी और रुतबे का प्रतीक। कहीं यह सिर्फ सरनेम या उपनाम है। कहीं यह आगे लगता है कहीं पीछे। अपने आसपास के नामों पर गौर करें तो इसे समझ सकते हैं मसलन चौधरी रामसिंह या रामसिंह चौधरी। कुल मिलाकर इससे जुड़ा महत्व और सम्मान का भाव ही उभर कर आता है।
चौधरी की व्युत्पत्ति के अलग अलग आधार बताए जाते है। जॉन प्लैट्स के कोश में  इसकी व्युत्पत्ति चक्र + धर यानी चक्रधर या चक्रधारिन् से बताई गई है। इसका विकासक्रम कुछ यूं रहा होगा चक्रधर > चक्कधर > चव्वधर > चौधरी। गौरतलब है कि संस्कृत में चक्र का अर्थ गोल, घेरा या वृत्त के अलावा राज्य, प्रांत, जिला, सेना समूह, दल आदि समुच्चय से संबंधित भी होता है। चक्र का एक अर्थ होता है क्षेत्र, इलाका। राजस्व शब्दावली में चक का अर्थ भूक्षेत्र ही है। यह चक दरअसल  चक्र से ही बना है। धर यानी रखनेवाला या ch संभालनेवाला। इस नाते चक्रधर का मतलब राज्यपाल, शासक, प्रान्तपाल  से लेकर ज़मीदार और किसी क्षेत्र के मुखिया भी होता है. आदि। चक्रधर शब्द का एक मतलब होता है प्रभु या भगवान विष्णु। साफ है कि इस शब्द के साथ सम्मान शुरू से ही जुड़ा हुआ है। समझा जा सकता है कि राजाओं के जमाने में इलाका विशेष अथवा सेना या अन्य समूह के मुखिया के तौर किसी की नियुक्ति जब की जाती थी तो उसे चक्रधर की उपाधि दी जाती थी। इसी का बदला हुआ रूप चौधरी है जो समाज में अब सिर्फ सरनेम या जाति विशेषण के तौर पर नज़र आता है। हिन्दी शब्द सागर में चौधरी की व्युत्पत्ति चतुर्धारीन से होने का संकेत भी किया गया है जिसका मतलब होता है प्रमुख व्यक्ति या मुखिया।
क बात और । अंग्रेजों ने भी अपने राजकाज के दौरान चौधरी के रुतबे को भुनाया। उन्होने जिन्हें ऊपर उठाना चाहा उन्हें खुलकर चौधरी के तौर पर स्थापित कराया, उपाधि बांटी। अलबत्ता भूस्वामी के तौर पर चौधरी की महिमा हमेशा ज़मींदार से नीचे ही रही। चौधरी शब्द से जुड़ी मुखिया की माया इस क़दर प्रभावी रही है कि आज देश की ज्यादातर जातियों में चौधरी विद्यमान है। तथाकथित सवर्ण और अवर्ण के नज़रिये से भी अपने आसपास देखने पर इसे समझ सकते हैं। यही नहीं, इसकी प्रभावशाली अर्थवत्ता ने चौधराहट जैसे मुहावरे को भी जन्म दिया है। यही नहीं चौधरी की पत्नी कहां पीछे रहती सो वो भी ठसक के साथ बन गई चौधराइन–[संशोधित पुनर्प्रस्तुति]

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22 कमेंट्स:

Udan Tashtari said...

चौधरी> चक्रधर जान बहुत से बादल छटे!! :)

देवेन्द्र पाण्डेय said...

चौधरी शब्द संस्कृत के चक्रधर से बना है
-जानकर अच्छा लगा .

Randhir Singh Suman said...

nice

मनोज कुमार said...

बहुत अच्छा। बधाई स्वीकारें।

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

"...अंग्रेजों नें भारतीयों को पदवियों की खूब रेवड़ियां बांटीं। चौधरी भी इनमें से एक है..."

जानकारी सुखद रही!

डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali) said...

बहुत अच्छी जानकारी प्रदान कि आपने ...... एक प्रिंट आउट और निकल के फाइलिंग कर ली.......

सादर

महफूज़....

Himanshu Pandey said...

महफूज जी सही कर रहे हैं । आप इसे छपवाकर हमें पढ़ने को दें न दें - हम तो इसका प्रिंट लेकर पढ़ते रहेंगे ।

निर्मला कपिला said...

बहुत बडिया शुभकामनायें

Sulabh Jaiswal "सुलभ" said...

वडनेरकर जी, क्या चौधरी शब्द का इतिहास नया है. इस लेख से कुछ ऐसा ही जान पड़ता है. हमारे दादा जी और उनके दादा जी के नामो में चौधरी उपनाम हुआ करता था(है). पूर्व में ये मूलतः: व्यापारी वर्ग थे. पुराने मध्य प्रदेश के जबलपुर, राजस्थान के जैसलमेर और पश्चिम के मालवा (मालवीय) क्षेत्र आदि से विस्थापित हुए थे. भगवान्(देव) कार्तिकेय सहस्त्रार्जुन के भक्त भी रहे हैं.

इनका मूल जाति समूह/वर्ग जायसवाल कहलाता था. कालांतर में जीविकोपार्जन हेतु इन्ही में से कुछ विस्थापित समूह कलवार, कलचुरी, चौधरी, मालवीय, भंडारकर कहलाये थे. ये जमींदारी से सदैव दूर ही रहे हैं ज्यादातर अनाज व्यापार, भण्डार कर मुनाफा, सूद, शराब इत्यादि के विक्रय के धंधे में सक्रिय रहे थे. संभव हो तो इसके काल पर प्रकाश डालेंगे.

धन्यवाद
सुलभ

Anonymous said...

चौधरी शब्द को भी अन्य शब्दों की तरह जातिवादी राजनीति में शामिल कर लिया गया है।

पर लेख बहुत उम्दा है।

abcd said...

भैया शानदार पोस्ट है

aparaark said...

नमस्कार !
आप के लेख अखबारों में पढ़ते रहे हैं |बहुत अच्छे हैं|
मेरा ख़याल है कि यह शब्द संस्कृत के चतुर्धुरीन से निकला है |जिसे अब भी संस्कृत प्रयोक्ता जन-समूह उपयुक्त करता है !
न कि चक्रधर से जिसका कोई अर्थसाम्य नज़र नहीं आता |
व्युत्पत्ति शास्त्र के पितामह यास्क का सिद्धांत है 'अर्थनित्यः परीक्षेत'|

अजित वडनेरकर said...

@सुलभ सतरंगी/aparaark
चौधरी उपनाम जातिसूचक नहीं है, पर लोग ऐसा समझते हैं। यह दरअसल पदवी या उपाधि ही है। समाज के उच्चवर्ग और निम्नवर्गों में चौधरी उपनाम पाया जाता है। जाट, राजपूत, कायस्थ, ब्राह्मण, बनिया, जैन, भील, मेहतर, चर्मकार आदि सभी जातियों में चौधरी उपनाम मिल जाएगा जिसका अर्थ यही है कि इसे लगानेवाला समूह कभी उस जाति या वर्ग में महत्वपूर्ण स्थान रखता था। चौधरी की व्युत्पत्ति का कोई एक सर्वमान्य आधार नहीं मिलता। मुझे इसका उल्लेख करना चाहिए था। आपका शुक्रिया।

Baljit Basi said...

पंजाबी में कहावत है, 'चोर उचका चौधरी, गुंडी रन प्रधान'

डॉ टी एस दराल said...

भाई , हम तो हरियाणा के लोगों को चौधरी मानते हैं.
वैसे उपनाम के रूप में तो इसे पंजाबी, बंगाली, असामीज, और मुस्लिम तक सभी इस्तेमाल करते हैं.
इस तरह ये सर्वव्यापी नाम है.

शरद कोकास said...

अब समझ में आया कि अमेरिका को " विश्व चौधरी " क्यों कहते हैं ।

Baljit Basi said...

The word 'chakkardhar'with reference to Vishnu is used as an epithet literally meaning 'bearing a discus'. It does not carry any inherent sense of obeisance as proposed by you.

Gyan Dutt Pandey said...

बंगला में भी है चौधरी। गणदेवता में एक पात्र है।
मैं तो सोचता था कि चौतरे (ऊंचे स्थान) पर बैठने वाला हुआ चौधरी।

Baljit Basi said...

We are trying to reach to the point when Vishnu may have been started being called Chakardhar.Either it primarily refers to one 'bearing discus' or one encompassing the universe' Either one meaning isthe extesion of the other. I am inclined to accept your explanation if you say Chakra, the weapon was a later invention to depict this particular attribute of Vishnu.
You did not check, I have already given
my e-mail in my google account.

dhiru singh { धीरेन्द्र वीर सिंह } said...

जाटों ने चौधरी पर एक्धिकार कर रखा है . हमारे यहाँ तो निम्न कही जाने वाली बिरादरी के मुख्य आदमी को चौधरी कहा जाता है

Anonymous said...

जाट अपनी उत्पति के साथ खाप पंचायत साथ लेकर आया था पंचायत का मुखिया पंच होता ह। उसको चौधरी कहते है। ये सभी को पता होगा जाट हिन्दु,सिख,मुस्लिम धर्म में है। सिख जट कि पंचायत के बारे में सुना होगा जाट जाति का चौधरी शीर्षक है। जैसे राजपूत को ठाकुर कहा जाता है। बाकि जाति वाले चौधरी वो ही लगाते जो जाटो से ही अलग होकर जाति बनायी। जैसे गुर्जर,विशनोई,पटेल,कलबी,आंजणा,मराठा,हिन्दु जाट,जट सिख,मुस्लिम जाट इत्यादि को चौधरी कहते है। बाकि जातिया गफलत में है।

Gujjar said...

Choudhary jaat samaj ka gotra caste surname Hain jaat ko Chaudhary sahab bhi bola jata hain north India ke state main jaat naam sunte hi choudhary ka budh ho jaata Hain mukh roop se choudhary jaat logo ko hi bola jata hain

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