शब्द सन्दर्भ-कातिब, मदरसा, मुदर्रिस, मदार, काग़ज़,
... पाण्डुलेख ही सही शब्द है। पाण्डुलिपि शब्द से ऐसा आभास होता है मानो किसी लिपि का नाम पाण्डु है।...
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शब्द सन्दर्भ-कातिब, मदरसा, मुदर्रिस, मदार, काग़ज़,
... पाण्डुलेख ही सही शब्द है। पाण्डुलिपि शब्द से ऐसा आभास होता है मानो किसी लिपि का नाम पाण्डु है।...
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पिछली कड़ीःदम मारो दम और नाक में दम-1
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संबंधित आलेखः 1.कृष्ण की गली में 2.पकौड़ियां, पठान और कुकर
... दम का मूलार्थ दबाव, धकेलना, फूँकना भी माना जाए तो इसका आशय शक्ति, श्वास, या क्षण नहीं हो सकता मगर दम के अर्थ विस्तार में यह हुआ है। ...
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प्रस्तुतकर्ता
अजित वडनेरकर
10
कमेंट्स
पर
2:09 PM
पिछली कड़ियाँ-1.दम्पती यानी घर के मालिक 2.घरबारी होना, गिरस्तिन बनना
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... वृक्ष के तने पर कुल्हाड़ी का वार उस वृक्ष की प्रगति को रोक देता है। तने पर कुठाराघात होने से वृक्ष के विकास की कोई सम्भावना बाकी नहीं रहती क्योंकि इसे पोषण देने वाले इसके विभिन्न अंग इससे काट दिए जाते हैं। ...
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पिछली कड़ियाँ1.आखिर क्या है ये ‘सौहार्द्र’2.दिलो-दिमाग़ की बातें
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हिन्दी में घरबार, घरबारी या गृहस्थ ऐसे शब्द हैं जिनसे रिश्तों और प्रेम की डोर से बंधी एक ऐसी व्यवस्था का बोध होता है जिसे एक पारिवारिक परिसर कहा जा सकता है। ऐसा ही एक शब्द है दम्पती जिसमें निवास, आवास और आश्रय की महत्ता झलक रही है। आमतौर पर रोटी, कपड़ा और मकान किसी भी दाम्पत्य का आधार माने गए हैं। इसमें गौर करें तो मकान ही एक ऐसी व्यवस्था है जिसे साथ-साथ रहकर पति-पत्नी घर का रूप देते हैं, वर्ना रोटी और कपड़ा तो मनुष्य की वैयक्तिक मूलभूत आवश्यकताएँ हैं। विवाहपूर्व भी स्त्री और पुरुष किसी न किसी आश्रय में रहते ही हैं। वह घर उनके माता-पिता का होता है। विवाहित व्यक्ति को सबसे पहले भोजन और वस्त्र की नहीं, आश्रय की तलाश होती है। ऐसा स्थान जहाँ वे दाम्पत्य जीवन जी सकें। जहाँ रह कर वे दम्पती कहला सकें। सामान्य विवाहित जोड़े को दम्पती तभी कहा जाता है जब वह अपना आशियाना बना लेता है। देखा जाए तो घर-मालकिन और घर-मालिक जैसे शब्द दरअसल गिरस्त और गिरस्तिन के अर्थ में प्रयुक्त होते हैं। किराए के मकान में भी घर बसाया जा सकता है। दम्पती में इसी घर का भाव है, न कि मकान का। आमतौर पर पति शब्द में ही घर-मालिक का भाव मौजूद है मगर दम्पती जैसा एक शब्द ऐसा भी है जिसमें पति-पत्नी के भाव के साथ दोनों को समान रूप से घर-मालिक, गृहस्वामी बताया गया है।
हिन्दी में संस्कृत मूल के दम्पति का दम्पती रूप भी
प्रचलित है। दम्पति का जम्पती रूप भी है । इस तरह हिन्दी में दम्पति, दम्पत्ति, दम्पती और जम्पती रूप प्रयुक्त होता है। इस बारे में धर्मनारायण मिश्र
मजेदार बात कहते हैं कि पति-पत्नी के अर्थ में दम्पति, दम्पत्ति और दम्पती इनमें से दम्पत्ति तो सर्वथा अशुद्ध है, लगता है कि यह सम्पत्ति के अनुकरण में बना है। हिन्दी में भी दम्पति और दम्पती
रूप प्रचलित हो गए। किन्तु संस्कृत परम्परा में दम्पति (ह्रस्व इ) के पक्ष में
ऋग्वेद की गवाही मिलती है जिसमें इसका अर्थ पारिवारिक सम्पत्ति अर्थात घर के
सह-स्वामित्व का भाव है। बाद में वेद से इतर अनेक संस्कृत ग्रन्थों में दम्पती
शब्द का बरताव भी होने लगा।मोनियर विलियम्स के संस्कृत कोश में दम्पति ही है-
दम्पति m. The lord of the house (Agni, Indra, the Aśvins), " the two masters ". उधर वामन शिवराम आप्टे के संस्कृत कोश में दम्पती है। संस्कृत में दम्पति का
जम्पती रूप भी है। आपटे कोश में इसकी व्युत्पत्ति “जाया च पतिश्च” दी गई है जिसका अर्थ है पति और पत्नी। प्रामाणिक हिन्दी कोश (आचार्य
रामचन्द्र वर्मा) भी मानते हैं कि हिन्दी में दम्पति के आधार पर दंपति रूप ही
ज्यादा प्रसारित हुआ है। इसके उलट हिन्दी शब्दसागर में दंपति और दंपती दोनों
प्रविष्टियाँ हैं किन्तु दंपति प्रविष्टि के आगे उसका अर्थ न देकर दंपती वाली प्रविष्टि
की ओर निर्दिष्ट किया जाता है। ज़ाहिर है कोश के सम्पादकों का मत दंपती के पक्ष
में है। कीथ-मैकडॉनेल के वैदिक इंडेक्स में भी दम्पति का
प्रयोग है।
मोनियर विलियम्स के संस्कृत कोश में दम का अर्थ घर, मकान,आश्रय बताया गया है वहीं बांधने का, रोकने का, थामने का, अधीन करने का भाव भी है। यही नहीं, इसमें सज़ा देने, दण्डित करने का भाव भी है।
अनिच्छुक व्यक्ति या जोड़े को चहारदीवारी में रखना दरअसल सज़ा ही तो है। दम्पति का एक अन्य अर्थ है गृहपति। पुराणों में अग्नि, इन्द्र और अश्विन को यह उपमा मिली हुई है। दम्पति का एक अन्य अर्थ है जोड़ा, पति-पत्नी, एक मकान के दो स्वामी अर्थात स्त्री और पुरुष। दम् की
साम्यता और तुलना द्वन्द्व से भी की गई है जिसमें द्वित्व का भाव है अर्थात जोड़ी, जोड़ा, युगल, स्त्री-पुरुष आदि। जो भी
हो, दम्पति में एक छत के नीचे साथ-साथ रहने वाले जोड़े का भाव है। आजकल सिर्फ़
पति-पत्नी के अर्थ में दम्पति शब्द का प्रयोग होने लगा है जबकि इसमें घरबारी युगल का भाव है। दम्-पति अर्थात घर के दो स्वामी। दम्पती से बना है दाम्पत्य। यह शब्द वैवाहिक स्थिति को दर्शाता है अर्थात पति-पत्नी के साथ साथ
रहने की अवस्था ही दाम्पत्य है। ज़ाहिर इसमें उनके घरबारी होने का ही भाव
है।...विवाह संस्था के दो रक्षक यानी पति-पत्नी, एक छत के नीचे जीवन-यापन करता युगल यानी पति-पत्नी। ज़ाहिर इसमें उनके घरबारी
होने का ही भाव है। दम्पती से बना है दाम्पत्य। यह शब्द वैवाहिक
स्थिति को दर्शाता है अर्थात पति-पत्नी के साथ साथ रहने की अवस्था ही दाम्पत्य है।
मगर सिर्फ साथ साथ रहना दाम्पत्य नहीं है बल्कि एक दूसरे के अधीन हो जाना, एक दूसरे को सहारा देना ही
दाम्पत्य है। मगर अनिच्छित दाम्पत्य सज़ा से कम नहीं होता।
यह जो दम् शब्द है, यह भारोपीय मूल का है और इसमें आश्रय का भाव है। आश्रय के अर्थ में भारतीय मनीषा में धाम शब्द का बड़ा महत्व है। धाम का मोटा अर्थ यूं तो निवास, ठिकाना, स्थान आदि होता है मगर व्यापक अर्थ में इसमें विशिष्ट वास, आश्रम, स्वर्ग सहित परमगति अर्थात मोक्ष का अर्थ भी शामिल है। धाम इंडो-यूरोपीय भाषा परिवार का शब्द है। प्राचीन भारोपीय भाषा परिवार की dem/domu धातुओं से इसकी रिश्तेदारी है जिनका अभिप्राय निर्माण से है। संस्कृत धातु धा इसके मूल में है जिसमें धारण करना, रखना, रहना, आश्रय जैसे भाव शामिल हैं। यूरोपीय भाषाओं में dome/domu मूल से कई शब्द बने हैं। गुम्बद के लिए अंग्रेजी का डोम शब्द हिन्दी के लिए जाना पहचाना है। सभ्यता के विकासक्रम में डोम मूलतः आश्रय था। सर्वप्रथम जो छप्पर मनुष्य ने बनाया वही डोम था। बाद में स्थापत्य कला का विकास होते होते डोम किसी भी भवन के मुख्य गुम्बद की अर्थवत्ता पा गया मगर इसमें मुख्य कक्ष का आशय जुड़ा है जहां सब एकत्र होते हैं। लैटिन में डोमस का अर्थ घर होता है जिससे घरेलु के अर्थ वाला डोमेस्टिक जैसा शब्द भी बनता है । अवेस्तन में इसका रूप दंग-पैतोइस होता है । अंग्रेजी के डेस्पट शब्द पर गौर करें जिसका अर्थ निरंकुश शासक या तानाशाह है । यह मूलतः ग्रीक पद despótēs से विकसित हुआ है जिसका अर्थ शासक, पालक है और इसका रिश्ता भी लैटिन के डोमस domus से है । भारोपीय पद डेम-पोटिस से इसकी समतुल्यता गौरतलब है । यह गौरतलब है कि रोमन संस्कृति में जो डेमपोटेस महल में रहनेवाले शासक के अर्थ में सिर्फ़ पुरुषवाची सर्वसत्ता का प्रतीक था, भारतीय संस्कृति में दम्पती के अर्थ में उसमें पति-पत्नी की अर्थवत्ता और सत्ता स्थापित हुई ।
चलते चलते- सीधे सरल स्वभाव वाले
व्यक्ति को शालीन कहा जाता है। शाल् यानी
रहने का स्थान, शाला, धर्मशाला, पाठशाला आदि इससे ही बने हैं। संस्कृत का शालः बना है शल् धातु से जिसमें तीक्ष्ण, तीखा, हिलाना, हरकत देना, गति देना, उलट-पुलट करना जैसे भाव है। ये सभी भाव भूमि में हल
चला कर खेत जोतने की क्रिया से मेल खाते हैं। हल की तीक्ष्णता भूमि को उलट-पुलट
करती है। शालः शब्द के मूल में बाड़ा
अथवा घिरे हुए स्थान का अर्थ भी निहित है। डॉ रामविलास शर्मा के मुताबिक शालीन वह
व्यक्ति है जिसके रहने का ठिकाना है। मोटे तौर पर यह अर्थ कुछ दुरूह लग सकता है, मगर गृहस्थी, निवास, आश्रय से उत्पन्न व्यवस्था
और उससे निर्मित सभ्यता ही घर में रहनेवाले व्यक्ति को शालीन का दर्जा देती है। कन्या के लिए हिन्दी का लोकप्रिय
नाम शालिनी संस्कृत का है जिसका अर्थ गृहस्वामिनी अथवा गृहिणी
होता है। व्यापक अर्थ में गृहस्थ ही शालीन है। स्पष्ट है कि आश्रय में ही शालीनता
का भाव निहित है। जिसका कोई ठौर-ठिकाना न हो वह आवारा, छुट्टा सांड जैसे विशेषणों से नवाज़ा जाता है। हमेशा घर में रहनेवाले व्यक्ति
को घरू या घरघूता, घरघुस्सू आदि विशेषण दिये जाते हैं।
अगली कड़ीः घरबारी होना, गिरस्तिन बनना ज़रूर पढ़ें-आश्रय शृंखला की सभी कड़ियाँ यहां क्लिक
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16.चंद्रभूषण-
[1. 2. 3. 4. 5. 6. 7. 8 .9. 10. 11. 12. 13. 14. 15. 17. 18. 19. 20. 21. 22. 23. 24. 25. 26.]
15.दिनेशराय द्विवेदी-[1. 2. 3. 4. 5. 6. 7. 8. 9. 10. 11. 12. 13. 14. 15. 16. 17. 18. 19. 20. 21. 22.]
13.रंजना भाटिया-
12.अभिषेक ओझा-
[1. 2. 3.4.5 .6 .7 .8 .9 . 10]
11.प्रभाकर पाण्डेय-
10.हर्षवर्धन-
9.अरुण अरोरा-
8.बेजी-
7. अफ़लातून-
6.शिवकुमार मिश्र -
5.मीनाक्षी-
4.काकेश-
3.लावण्या शाह-
1.अनिताकुमार-
मुहावरा अरबी के हौर शब्द से जन्मा है जिसके मायने हैं परस्पर वार्तालाप, संवाद।
लंबी ज़ुबान -इस बार जानते हैं ज़ुबान को जो देखते हैं कितनी लंबी है और कहां-कहा समायी है। ज़बान यूं तो मुँह में ही समायी रहती है मगर जब चलने लगती है तो मुहावरा बन जाती है । ज़बान चलाना के मायने हुए उद्दंडता के साथ बोलना। ज्यादा चलने से ज़बान पर लगाम हट जाती है और बदतमीज़ी समझी जाती है। इसी तरह जब ज़बान लंबी हो जाती है तो भी मुश्किल । ज़बान लंबी होना मुहावरे की मूल फारसी कहन है ज़बान दराज़ करदन यानी लंबी जीभ होना अर्थात उद्दंडतापूर्वक बोलना।
दांत खट्टे करना- किसी को मात देने, पराजित करने के अर्थ में अक्सर इस मुहावरे का प्रयोग होता है। दांत किरकिरे होना में भी यही भाव शामिल है। दांत टूटना या दांत तोड़ना भी निरस्त्र हो जाने के अर्थ में प्रयोग होता है। दांत खट्टे होना या दांत खट्टे होना मुहावरे की मूल फारसी कहन है -दंदां तुर्श करदन
अक्ल गुम होना- हिन्दी में बुद्धि भ्रष्ट होना, या दिमाग काम न करना आदि अर्थों में अक्ल गुम होना मुहावरा खूब चलता है। अक्ल का घास चरने जाना भी दिमाग सही ठिकाने न होने की वजह से होता है। इसे ही अक्ल का ठिकाने न होना भी कहा जाता है। और जब कोई चीज़ ठिकाने न हो तो ठिकाने लगा दी जाती है। जाहिर है ठिकाने लगाने की प्रक्रिया यादगार रहती है। बहरहाल अक्ल गुम होना फारसी मूल का मुहावरा है और अक्ल गुमशुदन के तौर पर इस्तेमाल होता है।
दांतों तले उंगली दबाना - इस मुहावरे का मतलब होता है आश्चर्यचकित होना। डॉ भोलानाथ तिवारी के मुताबिक इस मुहावरे की आमद हिन्दी में फारसी से हुई है फारसी में इसका रूप है- अंगुश्त ब दन्दां ।