युग, जुआ ( हल), जुग और जुगल जैसे शब्दों में रिश्तेदारी की कल्पना करना यूं तो मुश्किल है मगर ये सचमुच एक दूसरे के संबंधी हैं। ये तमाम शब्द बने हैं संस्कृत धातु ‘यु’ से जिसका मतलब होता है जोड़ना, सम्मिलित होना , बांधना, जकड़ना वगैरह। इसी ‘यु’ से भारतीय भाषाओं में दर्जनों शब्द बने हैं । गौर करें कि युवन् से बने युवा , युवक, जवान, जवां , यूथ और यंग जैसे शब्द कहीं न कहीं ‘यु’ से संबंधित हैं क्योंकि ये सभी शब्द वयःसंधि की तरफ इशारा कर रहे हैं। युवावस्था कुलमिलाकर जीवन के दो विभिन्नकालों का मिलन ही है। [विस्तार से देखें यहां ]
व्यापक होने के बाद ‘यु’ से बने शब्दों का अर्थविस्तार ग़ज़ब का रहा। मिसाल के तौर पर युग को देखें। यह बना है संस्कृत के युगम् से जिसका मतलब हुआ सृष्टि में समय का एक विशाल परिमाण। इसे काल भी कह सकते हैं और समय भी। जुग भी इसका ही रूप हुआ। शायद ही कोई होगा जिसने जुग जुग जियो का आशीर्वचन न सुना हो। सृष्टि में चार युग माने जाते हैं सत्य, त्रेता , द्वापर और कलि। युगपुरुष, युगांतर, युगांत जैसे शब्द इससे ही बने हैं। जोड़े के लिए युग्म शब्द प्रचलित है । युगल यानी दंपती, जोड़ा, बंधु , दो साथी आदि भाव इसमें समाहित हैं। जुगल इसका ही देशी रूप है और जुगल किशोर नाम भी इसी से उत्पन्न है। युगम् से बना जुगम और फिर बना जुआ अर्थात लकड़ी का ऐसा उपकरण जिसमें बैलों को एक साथ बांध कर खेत में चलाया जाए ताकि ज़मीन की निराई-गुड़ाई हो सके। हल इसे ही कहते हैं। जुआ जिस क्रिया को संपन्न कर रहा है उसे ही जोतना या जुताई कहते हैं। गौरतलब है कि पति-पत्नी की जुगलजोड़ी तो यूं भी युगों से गृहस्थी का जुआ कंधों पर उठाए जीवनरूपी बंजर खेत को उपजाऊ बनाने में जुती रहती हैं। जुए से किसी कवि की कुछ पंक्तियां याद आ रही हैं-शायद बच्चन जी की हैं-
कुछ किस्मत के सांड़ जगत में होते हैं
संघर्षों के जुए न जाते जोते हैं
बेनकेल वो घूम घूम कर खेतों में
खाते हैं , जो दुनियावाले बोते हैं
बहरहाल, इसी ‘यु’ से हिन्दी में अन्य कई शब्द भी बने हैं जैसे युक्त यानी मिला हुआ, सम्मिलित आदि। इससे बना युक्ति यानी मिलाप, संगम। यहां अर्थ विस्तार हुआ उपाय के रूप में । गौर कि उपाय या तरकीब से कुछ मिलता है, जुड़ता है, प्राप्ति होती है सो युक्ति यानी तरकीब, उपाय अथवा योजना। इसके देशी रूप जुगत , जुगुति या जुगुत खूब प्रचलित हैं। संस्कृत व अन्य भारतीय भाषाओं में जहां ‘यु’ से अनेक अर्थ वाले शब्द बने हैं वहीं इस ‘यु’ की व्यापक मौजूदगी यूरोपीय भाषाओं में भी नज़र आती है। इंडो-यूरोपीय मूल धातु युग (Yeug) भी सम्मिलन, बंधन,मिलाप आदि भाव समेटे हुए है। इसी से बना है Yoke जिसका मतलब भी जुआ ही होता है। ‘यु’ से बने युगम् की छाया कई भारोपीय भाषाओं में है जैसे अंग्रेजी का योक या लैटिन का जुगम । अवेस्ता का यओज़ या युज हो या फारसी का जुग । इसी तरह जर्मन का जॉकिज़ भी इसी कड़ी में शामिल है और सभी भाषाओं में इसका एक ही अर्थ है जुआ यानी जोतने का उपकरण। अर्थ विस्तार के नज़रिये से देखें तो जोड़ने – बांधने के अर्थ वाले कुछ अन्य शब्द भी नज़र आते हैं जैसे जॉइंट, जंक्शन या जॉइन आदि। इन सभी में सम्मेलन, जुड़ाव या इकट्ठा जैसे भाव शामिल हैं।
इसी कड़ी में कुछ अन्य शब्दों की चर्चा अगले पड़ाव पर
Monday, July 7, 2008
जुग जुग जियो जुगल जोड़ी...
प्रस्तुतकर्ता अजित वडनेरकर पर 10:57 PM
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8 कमेंट्स:
जुग-जुग जिए ये शब्दों का सफ़र
और बनी रहे हमारी ये अक्षर जोड़ी.
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शुभकामनाएँ
चन्द्रकुमार
जुग जुग जियो अजित भाई-आप और आपके ब्लॉग की युगल बंदी सदा ज्ञान अलख जलाये रखे, यही शुभकामनाऐं हैं मेरी.
सर, आपके चिट्ठे पर आकर हर दिन एक नयी जानकारी लेकर लौटता हूं, फिर घर जाकर अपने दोस्तों(जो हिंदी ब्लौग नहीं पढते हैं) से उसे बांटता भी हूं.. ऐसे ही लिखते रहिये..
युगों युगों तक बना रहे ये ब्लॉग ! यही कामना है.
हिन्दी की गरिमा को चार चाँद लगानेवाले इस चिट्ठे "शब्दों का सफर" की जितनी प्रशंसा की जाए कम ही है। यह चिट्ठा सिर्फ चिट्ठा न होकर हिन्दी भाषा का एक अडिग एवं अविस्मरणीय स्तम्भ है। पता नहीं भविष्य में चिट्ठों का अस्तित्व रहे या ना रहे पर यह चिट्ठा "शब्दों का सफर" सदा सदा के लिए भाषा संबंधी शोधार्थियों एवं हिन्दी प्रेमियों के लिए प्रेरक बना रहेगा।
जय "शब्दों का सफर"। जय हिन्दी। जय माँ भारती।
बहुत ही जानकारीयुक्त रहा यह सफर।
घुघूती बासूती
aapse mili jaankari main sahejti jaa rahi hoon
aisi adbhut jaankari dete rahne ke liye shukriya
सुन्दर!
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