अंग्रेजी का एडवोकेट शब्द वकील के अर्थ में हिन्दी में भी खूब समझा और प्रयोग किया जाता है। हिन्दी में इसके लिए अधिवक्ता शब्द बनाया गया है जबकि अरबी, फारसी और उर्दू में इसके लिए वकील शब्द पहले से मौजूद है। यह जानना दिलचस्प हो सकता है कि एकदम समान अर्थ वाले इन तीनों शब्दों का जन्म भारतीय यूरोपीय मूल से हुआ है। इंडो-यूरोपीय मूल की एक धातु है वेक, जिसका मतलब है मनुश्य के मुंह से निकलने वाली ध्वनि। इसी तरह संस्कृत में एक धातु है वच् जिसका मतलब होता है कहना, बोलना, व्याख्या करना आदि।
वच् से ही बना है वक्तृ यानी बोलनेवाला। हिन्दी का वक्ता और वकील के अर्थ में अधिवक्ता शब्द इससे ही बना है। कही गई बात के लिए वक्तव्य शब्द इसी कड़ी में आता है। वचनम् का अर्थ जहां भाषण, उद्गार है वहीं वचन का अर्थ वादा यानी कही गई बात पर खरा उतरना है। बोलने, कहने वाले के लिए वाचक (कथावाचक) जैसे शब्द भी इसी कड़ी में आते हैं। ज्यादा बोलने वाले के लिए वाचाल शब्द खूब प्रचलित है। देसी हिन्दी में तिरस्कार के साथ कहने के लिए एक शब्द खूब मशहूर है- बकना जो वच् से ही जन्मा है। इससे ही निकला है बक-बक करना जैसा लोकप्रिय मुहावरा । देवताओं के गुरू बृहस्पति का एक नाम है वाचस्पति जो वाचः और पतिः यानी वाणी का स्वामि अर्थ में प्रयुक्त होता है।
इसी कडी में आते हैं अंग्रेजी के वॉईस, वोकल, वोकेब्युलरी जैसे शब्द जिनका मतलब कहना, शब्द अथवा ध्वनि करना है। पुरानी फारसी में भी बोलने के लिए वाक् शब्द है जिससे वकील शब्द बना। अरबी में भी यह शब्द है जिसका मतलब है भरोसे का आदमी। जिसके कहे पर भरोसा किया जा सके। अंग्रेजी का एडवोकेट शब्द बना है लैटिन के एडवोकेट्स से। यह लैटिन के ही वोकेयर शब्द में एड उपसर्ग लगने से बना है। एडवोकेट का मतलब हुआ अदालत में पक्ष रखनेवाला।
आपकी चिट्ठी
सफर की पिछली कड़ी इडियट बॉक्स नहीं है टेलीविज़न पर सर्वश्री राजेन्द्र त्यागी, अभय तिवारी, ज्ञानदत्त पाण्डेय, संजीत त्रिपाठी , संजय और परमजीत बाली की टिप्पणियां मिलीं। आप सबका आभार। अभयजी, आपने एकदम सही कहा, वेदना भी विद् से ही निकली है जो प्रत्यक्ष ज्ञान जैसे अर्थों के साथ-साथ भावना,पीड़ा जैसे अर्थों में भी उजागर होती है और संवेदना जैसे शब्दरूप भी इससे ही निकले हैं। यज्ञभूमि के लिए वेदिः या वेदिका भी विद् से ही निकले हैं। ज्ञानजी, विधाता शब्द विद् की देन नहीं है अलबत्ता ज्ञानी कभी कभी खुद को विधाता समझने का भ्रम पाल लेता है। इस पर फिर कभी।
Thursday, December 27, 2007
बक-बक वकील की , अधिवक्ता के वचन....
प्रस्तुतकर्ता अजित वडनेरकर पर 12:34 AM
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4 कमेंट्स:
स्वागतम्। आप के शब्दों की बारात का सफर मेरी बिरादरी तक तो पहुँचा।
वाह, वकील और वाचकों की तस्वीर सुंदर आयी है!
आभार जानकारी बढ़ाने के लिए!!
पिछले दिनों एक अधिक वक्ता सज्जन से मुठभेड़ हो गई थी
दिलचस्प बात पता चली।
अधिवक्ता शब्द का प्रयोग तो शायद ही कोई वकील के लिए करता होगा।
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