Wednesday, November 4, 2009

सराए-फ़ानी का मुकाम [आश्रय-19]

पिछली कड़ियां-जड़ता है मन्दिर में [आश्रय-18] मंडी, महिमामंडन और महामंडलेश्वर [आश्रय-17] गंज-नामा और गंजहे [आश्रय-16]

रि हाइशी ठिकानों के लिए प्रयुक्त हिन्दी शब्दों में सराय लफ्ज का भी शुमार है। हालांकि सराय शब्द में स्थायित्व का भाव नहीं है बल्कि अस्थायी निवास के तौर पर ही इसका इस्तेमाल होता है।  सराय शब्द का सही सही मतलब होता है धर्मशाला, लॉज या विश्रामगृह जहां यात्रा के दौरान मुसाफिर थोड़े या सम्बे समय तक डेरा डालते हैं। सराय शब्द की आमद हिन्दी में फारसी से हुई है मगर यह इंडो-ईरानी भाषा परिवार का शब्द है और संस्कृत से इसकी गहरी रिश्तेदारी है। सराय शब्द का विस्तार दुनिया की कई भाषाओं में अलग-अलग रूपों में हुआ है और इनका अर्थविस्तार भी होता रहा है।

राय शब्द में मूलतः आश्रय का भाव है। ईरानी संस्कृति में सराय की अर्थवत्ता में महल भी शामिल है। मुस्लिम शासन के दौरान सराय शब्द का इस्तेमाल उत्तर भारत में खूब बढ़ा। सराय के धर्मशाला वाले अर्थ में इसका खूब विस्तार हुआ। देश भर में कई आबादियां बिखरी पड़ी हैं जिनके नाम के साथ-साथ सराय शब्द लगाता है। मुगलों के पड़ाव या डेरे के तौर पर बसी आबादी को मुगलसराय नाम से जाना जाता है। जाहिर है कभी यहां सराय नाम की इमारत ज़रूर रही होगी। शेख़ सराय, बेर सराय, सराय मीरां जैसे नामों के साथ दर्जनों अन्य नाम भी गिनाए जा सकते हैं। दिल्ली के पास सराय रोहिल्ला स्टेशन है। नाम से जाहिर  है कभी यहां रुहेले पठानों ने डेरा डाला होगा। आज का रुहेलखंड इन्ही रुहेलों के नाम पर  है।  यही नहीं, दक्षिण पूर्वी यूरोप के एक देश बोस्निया की राजधानी सराजेवो का नाम भी इसी सराय से निकला है। सराजेवो बना है सराय-ओवेसी से जिसका संक्षिप्त देशी रूप हुआ सराजेवो। गौरतलब है कि पूर्वी यूरोप का रिश्ता तुर्की से रहा है। फारसी से सराय शब्द तुर्की ज़बान में रच-बस गया और वहां से यह यूरोप में भी गया। बोस्निया में मुस्लिम आबादी बहुसंख्यक है और वहां मिली जुली संस्कृति है। सराय के मायने वहां गवर्नर हाऊस या महल ही रहा। सराय-ओवेसी का मतलब महल के इर्द-गिर्द बसी बस्ती से है।

राय के आश्रय वाले अर्थ पर गौर करें। आश्रय मूलतः मनुष्य को सुरक्षा प्रदान करता है। संस्कृत में एक धातु है त्रा जिसमें परिरक्षण, संरक्षण , बचाव का भाव है। आर्यभाषा परिवार की एक शाखा है इडो-इरानी। अवेस्ता इसकी प्रमुख भाषा रही है जिसकी प्राचीन वैदिकी से आश्चर्यजनक साम्यता है। संस्कृत की त्रा धातु से ही संस्कृत-हिन्दी में कई शब्द बने हैं। त्राता का मतलब होता है संरक्षण करनेवाला यानी ईश्वर, प्रभावशाली व्यक्ति। तारणहार भी इसी मूल से निकला है जिसका अर्थ होता है कष्टों से बचानेवाला। इसी तरह त्राण, परित्राण, तारक जैसे शब्द भी इसी सिलसिले की कड़ी हैं। त्रा का ही एक रूप अवेस्ता में थ्रायेन्ति thrayeinti मिलता है जिसका मतलब है- वे संरक्षण करते हैं । ईरानी में इसका रूप हुआ थ्राया thraya अर्थात संरक्षण, सुरक्षा आदि। प्राचीन फारसी में इसका रूप सरा(इ) हुआ जिसका अर्थ था सुरक्षित ठिकाना, महल, भवन आदि। हिन्दी , उर्दू व अन्य कई भारतीय भाषाओं में इसका उच्चारण सराय की तरह होता है। सराय शब्द का विस्तार यूरोप के पश्चिमी छोर की स्पैनी और इतालवी ज़बानों में भी हुआ है जिसका रूप है सेरैग्लियो seraglio जिसका मतलब है विशाल राजनिवास या सुल्तान का हरम, रनिवास जहां उसकी रानियां रहती हैं। सेरैग्लियो बना है लैटिन के देशज शब्द सेरेकुलम से जिसका मतलब होता है अहाता या बाड़ से घिरा हुआ स्थान। समझा जाता है कि लैटिन में यह फारसी से, बरास्ता तुर्की पहुंचा है। सराय का फारसी रूप होता है सरा जिसका मतलब भी महल, राजभवन या पैलेस ही होता है। सरा शब्द का इन अर्थो में प्रयोग उर्दू फारसी के महलसरा, हरमसरा जैसे शब्दो मे साफ समझ में आता है। दार्शनिक अर्थों में फारसी में नश्वर शरीर, मृत्युलोक या संसार को सराए-फ़ानी कहा जाता है क्योंकि आखिरकार इसे फ़ना यानि नष्ट हो जाना है। सरा में मुसाफिरखाना या यात्रीनिवास जैसे अर्थ भी इसमें शामिल हैं।

राय से मिलता जुलता एक शब्द हिन्दी में खूब प्रचलित है आसरा जो बना आश्रय से ही है मगर जिसमें भरोसा, सहारा, निर्भरता जैसे भाव आ गए हैं जो अंततः सुरक्षा-अवलम्ब के ही रूप हैं। आश्रय शब्द बना है संस्कृत की श्रि धातु से जिसमें सहारा लेना, बचाव के लिए पहुंचना, बसना, निवास करना, चिपकना, सटना जैसे भाव है जो अंततः संरक्षण के भाव से जुड़ते हैं। श्रि में क्त प्रत्यय लगने से बना श्रित जिसका अर्थ हुआ समाया हुआ अथवा शरण में आया हुआ। इसमें उपसर्ग लगने से बनता है आश्रित अर्थात रक्षित, निर्भर, निवासी आदि। इसी तरह शरण भी हिन्दी का जाना-पहचाना शब्द है। यह बना है शरणम् से। शरणस्थल यानी सुरक्षित स्थान जो शरण+स्थल से बना है। शरणम् शब्द में मूलतः सुरक्षित स्थान का भाव है। यह बना है शृ धातु से जिसमें खोदने, टुकड़े टुकड़े करने, क्षति पहुंचाने का भाव है। जाहिर है प्राचीन कंदराओं, गुफाओं की निर्माण प्रक्रिया इस धातु में समायी है जब मनुष्य ने अपने प्रारम्भिक आवास बनाए थे। शृ धातु से बने शरण शब्द का अर्थ हुआ सुरक्षित कक्ष, आवास, देवालय, ओट या सहारा आदि।

श्रंखला की अन्य कड़ियां-1.किले की कलई खुल गई.2.कोठी में समाएगा कुटुम्ब!3.कक्षा, कोख और मुसाफिरखाना.4.किलेबंदी से खेमेबंदी तक.5.उत्तराखण्ड से समरकंद तक.6.बस्ती थी बाजार हो गई.7.किस्सा चावड़ी बाजार का.8.मुंबईया चाल का जायज़ा.9.अंडरवर्ल्ड की धर्मशाला बनी चाल [आश्रय-9].10.चाल, शालीनता और नर्क [आश्रय-10]

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10 कमेंट्स:

RAJ SINH said...

कौन कहता है की दुनिया एक ' सराय ' है.इतनी गवेषणा के बाद. उपयोग तो होते ही रहते हैं शब्द,लेकिन जिस तरह से आप उनकी गंगोत्री के दर्शन कराते हैं,मन मुग्ध हो जाता है .
धन्यवाद.

Udan Tashtari said...

आभार ज्ञानवर्धन का.

गिरिजेश राव, Girijesh Rao said...

मुझे तो लगता है कि सराय शब्द आश्रय से ही उत्पन्न हुआ है।

लावण्यम्` ~ अन्तर्मन्` said...

सराय शब्द इस्तेमाल तो करते हैं पर अब सारे संबंधों को भी याद किया करेंगें ..........thank you Ajit bhai .

Barthwal said...

सराय के रास्ते सराय तक पहुंचाने का बहुत बहुत शुक्रिया.शब्दो की इस सराय में शब्दो को एक नया आयाम और हमे उससे रुबरु करवाने का शुक्रिया.

Asha Joglekar said...

सारी पोस्टों की तरह एक और ज्ञान वर्धक पोस्ट
आसरा शब्द तो अवश्य ही आश्रय का अपभ्रंश लगता है ।

दिनेशराय द्विवेदी said...

शब्दों के रिश्तों को तलाश करने की आप की क्षमता अद्भुत है।

dhiru singh { धीरेन्द्र वीर सिंह } said...

0रूहेलखंड की राजधानी बरेली के होने के कारण अपना जिक्र अच्छा लगा . सराय आम और खास आज भी मोहल्ले के नाम है .
एक तथ्य बड़े बड़े होटल भी आज तक अपना सरकारी रजिस्ट्रेशन सराय के तौर पर कराते है क्योकि टेक्स बचता है .

Himanshu Pandey said...

"इसी तरह शरण भी हिन्दी का जाना-पहचाना शब्द है। यह बना है शरमण् से। "

भ्रमित हूँ, ’शरमण्” से या ’शरणम्” से ।

अद्भुत शब्द-यात्रा । आभार ।

अजित वडनेरकर said...

@हिमांशु
शुक्रिया भाई वर्तनी की त्रुटि की ओर ध्यान दिलाने का। ध्यान रखने के बावजूद भी कमबख्त मात्रा या अक्षर इधर के उधर हो जाते हैं।
माफी चाहता हूं।
जैजै

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