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Thursday, December 10, 2009
स्नातक का दिव्य-नहान
नि त्यकर्मों में नहाना एक ऐसी क्रिया है जिसके बिना कोई अपनी दिनचर्या शुरु नहीं करना चाहता। खासतौर पर हिन्दुओं में अंगप्रक्षालन को धार्मिक नैतिक कर्तव्य से जोड़ा गया है। हिन्दू धर्म के जितने भी आचार-संस्कार, मंगलकार्य हैं, वे प्रक्षालन अर्थात स्वच्छता के बिना सम्पन्न नहीं होते। आज घर के भीतर तक जूते पहन कर घूमने का चलन है मगर कुछ दशक पहले तक, बिना पानी से पैर धोए, घर के भीतर प्रवेश निषिद्ध था। यह क्रिया सिर्फ परिजन ही नहीं निभाते थे, बल्कि अतिथि और अन्य आगंतुकों के लिए भी आवश्यक थी। नहाना हिन्दी का क्रियापद है और यह संस्कृत के स्नान शब्द का तद्भव रूप है। स्नान में परिमार्जन, शुद्धिकरण जैसे भाव हैं। इसका जन्म स्ना धातु से हुआ है जिसमें मूलतः स्वच्छता का भाव है। इसका अर्थ है पानी से शरीर की सफाई करने का अनुष्ठान। शरीर को गीला करना, डुबकी लगाना, जल छिड़कना आदि। गौरतलब है कि ज्यादातर धर्मों व जीवन पद्धतियों में स्वच्छता को महत्व दिया गया है। स्ना धातु में विशिष्ट प्रयोजनों के लिए नियत स्नान-विधियों का भी भाव भी निहित है।
महाविद्यालयीन शिक्षा के पहले सोपान को पार कर लेने वाला विद्यार्थी ग्रेज्युएट कहलाता है। हिन्दी में इस उपाधि को स्नातक कहते हैं और यह प्रचलित शब्द है। स्नातक शब्द का जन्म स्ना धातु से ही हुआ है। वाशि आपटे के कोश के मुताबिक प्राचीनकाल में विद्याध्ययन पूर्ण कर चुकने के बाद गुरुकुल छोड़ने से पहले एक विशिष्ट संस्कार के लिए अनुष्ठान होता था जिसके तहत ब्रह्मचर्य आश्रम में रहते हुए अपनी शिक्षा पूरी कर चुके ब्राह्मण बटुक को आनुष्ठेय स्नान की विधि से गुजरना होता था। यह स्नान दरअसल गृहस्थाश्रम में प्रवेश की भूमिका होती थी और यह समावर्तन संस्कार कहलाता था। प्रतीक रूप में यह स्नान ही विद्याध्ययन पूर्ण कर चुके ब्राह्मण की उपाधि और परिचय भी बना और इस तरह स्नातक शब्द बना।
मोनियर विलियम्स के संस्कृत इंग्लिश कोश के अनुसार पुराणों में तीन तरह के स्नातक बताए गए है- (1) विद्या स्नातक वह है जो विद्याध्ययन पूरा करता है पर ब्रह्मचर्य आश्रम के सभी अनुशासनों को पूरा किए बिना गृहस्थाश्रम में प्रवेश की आज्ञा चाहता है। (2) व्रत स्नातक वह है जो ब्रह्मचर्य तो सिद्ध कर लेता है
इलाहाबाद के माघ मेले (1888) के विभिन्न रूपों का एक ब्रिटिश कलाकार के द्वारा चित्रांकन
पर वेदाध्ययन नहीं कर पाता।(3) उभय स्नातक वह है जो विद्या और व्रत दोनों को सिद्ध कर गृहस्थ बनता है। पारंगत, प्रवीण और कुशल के अर्थ में हिन्दी में एक शब्द है निष्णात जो इसी मूल का है। स्ना धातु का एक अर्थ है गहरी डुबकी लगाना। निष्णात में इस भाव का बड़ा खूबसूरत विस्तार देखने को मिलता है। गहरी डुबकी का यहां अर्थ वही है जो गहरे पानी पैठ कहावत का है अर्थात किसी विद्या में खूब पारंगत होना, कुशल अध्येता अथवा ज्ञानी को निष्णात कहते हैं। नि+स्ना के मेल से बना है निष्ण जिसका अगला रूप निष्णात हुआ। संस्कृत के नि उपसर्ग में नीचे की ओर या गहराई प्रकट करने का भाव है। इस तरह निष्ण का अर्थ गहरी डुबकी सिद्ध हो रहा है। इसमें पूर्णता, विशेषज्ञता, विज्ञता, चतुर और कुशल का भाव है। हिन्दी में स्नान के विविध रूप देखने को मिलते हैं जैसे नहान, न्हाण, असनान आदि। क्रिया के रूप में नहाना के साथ नहलाना भी प्रचलित है। स्नान में न सिर्फ शरीर की सामान्य सफाई का भाव है बल्कि पवित्र, शुद्ध जल से देवप्रतिमाओं, मांगलिक चिह्नों को अभिषिक्त करने का भाव भी है। नहान शब्द भी स्नान से ही बना है मगर इसमें विशिष्ट अवसर पर होने वाले स्नान का भाव ज्यादा है जैसे कुम्भ का नहान, छठी का नहान आदि। विशिष्ट तिथियों पर पवित्र नदियों के तट पर लगनेवाले मेलों के दौरान खास मुहुर्तों पर स्नानपर्व होते हैं जब श्रद्धालु जल में डुबकी लगाकर आराध्य का स्मरण करते हुए जलाभिषेक करते हैं। ज्योतिष की दृष्टि से भी स्नान का महत्व है। यह दरअसल प्राचीन सूर्योपासक संस्कृति की देन है। सूर्य जब मेष, तुला एव मकर राशियों में होता है तब नदियों में स्नान और सूर्योपासना का महत्व है। सूर्य जब मकर राशि में होता है तब माघ-स्नान का महत्व है। जनवरी में मकर संक्रान्ति पर्व पर देश भर के प्रमुख नदी तीर्थों पर माघ मेलों का आयोजन होता है जो खासतौर पर स्नानपर्व के तौर पर ख्यात हैं।
स्नान की कई विधियां प्रचलित हैं जैसे हस्त स्नान, चरण स्नान, पूर्ण स्नान, कटि स्नान आदि। हिन्दू धर्मकोश के मुताबिक स्नान के मुख्य तीन प्रकार हैः नित्य, नैमित्तिक और काम्य। नित्य स्नान वह है जो हर व्यक्ति को नैतिक-धार्मिक आधार पर करना अनिवार्य है। नैमित्तिक स्नान ग्रहण, अशौच आदि में होता है। काम्य स्नान का अर्थ पर्व-स्नान अथवा तीर्थ-स्नान भी होता है। इसके अलावा कई तरह के गौण स्नानों का भी उल्लेख है जैसेः 1.मान्त्र स्नान, जिसके तहत स्वयं या कोई पुराहित वेदमन्त्रों से अभिषिक्त करता है। 2.भौम स्नान अर्थात भूमि से स्नान। इसमें शरीर पर मिट्टी मली जाती है। 3.आग्नेय स्नान। इसमें शरीर पर पवित्र भस्म मली जाती है। 4.दिव्य स्नान। खिली हुई धूप में वर्षा-स्नान। 5.मानस स्नान अर्थात प्रभु का स्मरण करते हुए खुद में पवित्रता की अनुभूति करना।
प्रस्तुतकर्ता अजित वडनेरकर पर 3:18 AM
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27 कमेंट्स:
पता नहीं लोग कैसे महीना-महीना नहीं नहाते...हमें तो बिना नहाए 29वें दिन से ही खुजली शुरू हो जाती है...
जय हिंद...
1.In Sikh relgion doing minimum Punj-ishnana( washing face, both feet and hands) is prescribed before prayer.
2.English words natant(swimming), natation and natatorium(swimming pool)are related.From Latin nare "to swim", Skt "snan"
सुंदर जानकारी
मैं भी दिव्य स्नान करने के मूड में हूँ।
As for Christianity is concerned, in most countries especially Spain it was considered un-Christian to bathe on a regular basis. Only after so many deadly plagues and epidemics did Cristianity relax.There is so much to say about this subject.
अच्छी जानकारी। धन्यवाद।
कुम्भ स्नान के लिए कब आ रहे हो हरद्वार!
लोग हरद्वार को हरिद्वार क्यों कहने लगे है?
इस चिट्ठे का सुन्दर शब्द-विवेचन हमें नहला ही रहा है नित नवीन उल्लेखों से । निष्णात हैं आप इस कार्य-व्यापार में । आभार ।
सभ्यताओं की उपलब्धियां इन शब्दों के अर्थवता के विस्तार और और उनके सहज अंतर्क्रियाओं में है...आपका हर प्रयास सुन्दरतम है....आभारी हूँ ..!
कमाल हो गया हम तो रोज सिर्फ शावर के नीचे खड़े रहने को ही स्नान समझे बैठे थे....आप ने इसके बारे में इतना कुछ बता दिया की सिवा हैरान होने के हमारे पास और कुछ बचा ही नहीं है...
नीरज
गुरु जी, सही समय पर मेरा मतलब सहित ऋतु में आपने स्नान का सम्पूर्ण उल्लेख किया है.
नहाने से भागने वाले लोगों के लिए राम बाण है ये आलेख. निष्णात बनेंगे नित्य स्नान के पश्चात. है न...
*सहित=शीत
बढिया जानकारी।
आपके लिखने का तरीका शानदार है. और ज्ञान अचम्भा में डालने वाला.
ये शमा जलती रहे।
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शानदार रही लखनऊ की ब्लॉगर्स मीट
नारी मुक्ति, अंध विश्वा, धर्म और विज्ञान।
स्नातक का स्मपूर्ण अर्थ प्राप्त कराने का धन्यवाद . हमारे यहा एक स्नान और होता है कौवा स्नान
यह तो मेरा प्रिय विषय है....और इसपर इस सारगर्भित अद्वितीय विवेचना ने तो बस मंत्र मुग्ध ही कर दिया .....
इस अद्वितीय विवेचना के लिए आपका कोटि कोटि आभार........बड़ा ही आनंद आया पढ़कर .....इसमें वर्णित कई तथ्य मेरे लिए सर्वथा नवीन हैं.....
@बलजीत भाई,
आपसे असहमत हूं। अड्डा नितांत भारतीय मूल का शब्द है। इसका इद्दत से कुछ लेना-देना नहीं है। अड्डे पर इंतजार तो होता है पर अड्डे की अर्थवत्ता में इंतजार नहीं बल्कि जमावड़ा या समूह ज्यादा महत्वपूर्ण है। कृपया यह पोस्ट देखें-http://shabdavali.blogspot.com/2008/06/blog-post_21.html
थोडा और खोज करें यह अड्डा नहीं अदा है . अंग्रेजी में लिखने से समस्या आ गई .
बढिया विश्लेषण.
Whatever I said there was quoted from authoritative Islamic sources.I am not very good at writing/typing Hindi otherwise I could send all my posts in Devnagri.My English is worse but at least I can type Roman easily.
As for adda is concerned , 'd' here is dental not palatal. And I must admit I am not sure about its etymology. Please check the following :
http://books.google.com/books?id=N4WmwikqudIC&pg=PA146&dq=iddat+adda+count&cd=1#v=onepage&q=iddat%20adda%20count&f=false
@बलजीत बासी
आपकी हिन्दी बहुत अच्छी है बलजीत भाई और अंग्रेजी भी। पर मेरी अंग्रेजी कमजोर है, तो क्यों नहीं हमेशा हिन्दी में ही लिखें? बहरहाल, आप जिस पुस्तक का हवाला दे रहे हैं उस पर कोई संदेह नहीं है। पर पुस्तक हिन्दी का अड्डा यानी जमावड़ा, स्टेशन का सदर्भ नहीं है, बल्की इद्दत का संदर्भ देती है जिसे आप अड्डा से जोड़ रहे हैं।
क्या आप यह कहना चाहते हैं कि हिन्दी का अड्डा दरअसल अरबी का अद्दा है और अंग्रेजी की वजह से अड्डा बोला जाता है? अगर ऐसा है तो अंग्रेजों ने अरबी के उच्चारण को अड्डा बनाया और फिर अंग्रेजों से हमने उसे अड्डा कहना सीखा?
दरअसल अड्डा संस्कृत की अट्ट धातु से ही बना है। अंग्रेजी विद्वान जॉन प्लैट्स भी इसे ही सही मानते हैं-
H اڐا अड्डा aḍḍā [S. अट्ट+क; and cf. S. हट्ट, H. हाट], s.m. The shed or place in which kahārs, palanquin bearers, coolies, carters, &c. assemble or abide.
इसमें जमाव, समूह, जमघट का भाव प्रमुख है। अट्ट में भी यही बात है। अरबी का संदर्भ एकदम अलग है।
स्नातकों पर जानकारी तो बहुत पसंद आई.
यही बात मैंने कही है . अंग्रेजी में लिखने से समस्या आ गई. अड्डा को अददा समझें .Please read again what I said, "As for adda is concerned , 'd' here is dental not palatal. And I must admit I am not sure about its etymology."
@बलजीत बासी
मैं भी तो हिन्दी में लिखे इसी वाक्य से भ्रमित हुआ।
"अंग्रेजी में लिखने से समस्या आ गई. अड्डा को अददा समझें"
यानी प्रचलित अड्डा को अद्दा समझा जाए। तभी तो लिखा कि-क्या आप यह कहना चाहते हैं कि हिन्दी का अड्डा दरअसल अरबी का अद्दा है?
बहरहाल, इस चर्चा को यहां विराम देना बेहतर होगा। मगर शब्दों का सफर पर चर्चा जारी रहे। बिना चर्चा तो कोई भी सफर बेमानी है। शब्द-चर्चा में तो लगातार नए पहलू सामने आते रहेंगे। यहां फुलस्टॉप जैसा कुछ नहीं है।
आभार
हिंदी के अड्डा को बिलकुल भूल जाओ, वो अड्डा ही है, उसका अरबी से कुछ नहीं लेना देना. अददा अरबी का कोई और शब्द है जिससे इद्दत बना होगा, आप खोज करें और मुझे भी बताएं .
स्नान पर इतनी विविधता पूर्ण सामग्री विस्मित कर गई; विशेषकर यह कि स्नातक, निष्णात हो जाने का महती अनुष्ठान है । इस दृष्टि से विचार करें तो देश में उंगलियों पर गिने जाने लायक ही स्नातक मिल सकेगे चाहे स्नातकोत्तर की उपाधिधारक कितने ही क्यों न हों ।
भली कही विशेष आयोजनों पर स्नान करने की । पूर्व काल में शायद भौतिक स्नान के बहाने मानस स्नान का अवसर देने का प्रबन्ध होता हो । आजकल स्नान निर्मलता के उद्देश्य से कम सौन्दर्य झलकाने का उपक्रम अधिक हो गया है ।
कृपया स्वच्छ शब्द की उत्पत्ति पर प्रकाश डालें । कृपा होगी। धन्यवाद
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