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Sunday, December 6, 2009
किस्सा कुर्सी का
आ सन के अर्थ में कुर्सी शब्द हिन्दी के सर्वाधिक बोलचाल वाले शब्दों में शामिल है। आज के ज़माने में का महत्व किसी से छुपा नहीं है। कुरसी अब पद और प्रतिष्ठा का पर्याय बन चुकी है। कुरसी सिर्फ एक आसन नहीं बल्कि प्रभाव, रुतबा और रुआब का प्रतीक बन चुकी है। राजनीति, प्रशासन में तो कुर्सी का महत्व है ही, अनाम किस्म के संगठन भी सिर्फ इसलिए चर्चा में आ जाते हैं क्योंकि वहां पद यानी कुर्सी हथियाने के किस्से आम हो जाते हैं। कुर्सी के लिए होने वाले जोड़ तोड़ से क़िस्सा कुर्सी का जैसा मुहावरा बनता है। हिन्दी में कई लोग इसे खुर्ची बोलते हैं, जो अशुद्ध प्रयोग है। दिलचस्प यह कि मराठी में खुर्ची रूप प्रचलित है और यह अशुद्ध नहीं है।
कुर्सी सेमिटिक भाषा परिवार का शब्द है और हिन्दी तक पहुंचने में इसने लम्बा सफर तय किया है। इसका हिन्दी रूप कुरसी है मगर ज्यादातर लोग इसे अरबी की तरह कुर्सी ही लिखते हैं। भाषाविज्ञानियों ने इस शब्द का रिश्ता ईसाई धर्मग्रंथ बाइबिल और कुरआन में ढूंढा है। भाषाविज्ञानियों के मुताबिक कुर्सी का मूल रूप प्राचीन आरमेइक भाषा के विभिन्न रूपों में मिलता है जिनमें बिब्लिकल आरमेइक भी है जिसमें kisse शब्द का उल्लेख राजसिंहासन, आसन, पीढा या पीठिका के अर्थ में है। इसकी मूल धातु अक्कद और आरमेइक में ks मानी गई है। अक्कद भाषा में इसका रुप kussu मिलता है। अरबी में इस धातु मे र वर्ण भी जुड़ता है और मूल धातु k-r-s बनती है। कुर्सी इसी से जन्मा है। इस धातु में ईश्वर का आसन, शासक का राजसिंहासन जैसे भाव है साथ ही इसमें अध्ययन पीठ और राजभवन जैसे भाव भी शामिल हैं। सिरियाई ज़बान मे यह कुर्सिया है जिसका मतलब है आसन या धर्माध्यक्ष, पंथप्रमुख। यहां अभिप्राय धर्मपीठाधीश्वर से है। सुडानी में इसका मतलब खटोला भी होता है। हिन्दी में कुर्सी नींव से ऊपर उठे उस चबूतरे को भी कहते हैं जिस पर सतह से ऊंचा रखने के लिए जिस पर मकान बनाया जाता है।
कुर्सी के लिए सीट seat शब्द भी प्रचलित है। प्रकारान्तर से सीट का अर्थ निर्वाचन क्षेत्र या चुनाव क्षेत्र होता चला गया। अंग्रेजी का सीट शब्द प्राचीन भारोपीय भाषा परिवार का है जिसके मूल में सेड sed धातु खोजी गई है जिसका अर्थ आसन या स्थिर होने से है। संस्कृत में भी सद् का अर्थ होता है बैठना, आसीन होना, वास करना आदि। पार्लियामेंट के लिए हिन्दी में संसद शब्द है। यह बना है सम+सद्=संसद। यानी जहां सभी सभासद साथ-साथ विराजमान हों। इसी तरह संस्कृत में आस् धातु में बैठने, लेटने, आराम करने का भाव है। इससे बने आसनम् का अर्थ है मूढ़ा, पीढ़ा, पीठिका, आसन आदि। आसन से अभिप्राय योगविधियों से भी है। व्यायाम की विभिन्न अवस्थाएं, प्रक्रियाएं भी आसन कहलाती हैं। योगमुद्रा भी आसन कहलाती हैं। आसन का अर्थ बैठने का स्थान भी होता है। आसन में पद की महत्ता समा जाती है, अतः उस पद के लिए भी आसन शब्द का प्रयोग होता है जैसे विधानसभा के स्पीकर के लिए आसन शब्द का प्रयोग किया जाता है। सिंहासन शब्द इसी मूल का है। प्राचीनकाल में शासक के बैठने की कुर्सी पर सिंहाकृति बनाने की परम्परा थी, जो शौर्य, वीरता की प्रतीक थी। सिंह शुरु से ही प्रभाव, पराक्रम और रुतबे का प्रतीक रहा है। इसी तरह आसन्दी शब्द का प्रयोग भी होता है आरामदेह, गद्देदार कुर्सी या आसन होता है। आसन शब्द से कई मुहावरे भी जुड़े है जैसे आसन डोलना यानी स्थिति कमजोर होना, आसन लगाना या आसन मारना अर्थात कहीं पर जम जाना या स्थायित्व का भाव।
जरूर पढ़ें-संसद में सीटों का बंटवारा [लोकतंत्र-6]
प्रस्तुतकर्ता अजित वडनेरकर पर 11:32 PM
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10 कमेंट्स:
पिछली अर्धशती के सब से महत्वपूर्ण शब्द की रिश्तेदारियों का उद्घाटन अच्छा लगा। आप बहुत सफल श्रम करते हैं।
सार्थक विश्लेषण...ज्ञानवर्धक!!
हिन्दी में कुरसी लिखना सही है । क्या लिखा जा सकता है?
शानदार आलेख ! आभार ।
In Punjab also illiterate villagers pronounce kursi as khursi.
चलो आज किस्सा कुर्सी का भी समाप्त हुआ!
बढ़िया विश्लेषण!
आज कुर्सी-चित्र पर ही कुछ इरशाद करू?
हाथ का पंजा कुर्सी देता; पाँव का पंजा लात ,
बड़ा ही रोचक, लगा देखना इन दोनों को साथ.
आपके दुसरे चित्र [egyptian chair?] के बदल एक और egyptian कुर्सी जो कि क्रिस्टल कि बनी हुई है [ये चित्र मैंने मिस्र के एक शो -रूम में लिया था] कि लिंक भेज रहा हूँ:-
http://hashimiyaat.mywebdunia.com/2008/11/03/dsc00838_100000.html
नोट:- कृपया crystal कुर्सी सीधी करले कि बैठने के कम आ सके.
-मंसूर अली haashmi
कुरु तो कुछ करने को प्रेरित करता है पर कुर्सी आराम को!
पहले चित्र से पता चलता हे की आप भी कुर्सी की लिए हाथ पांव मार रहे है, शब्दों के सफ़र में यह सम्भव नहीं.
क्याब्बात है बलजीत जी
हिन्दी वाले को क्या कुर्सी की भूख
और क्या उसका पूरा होना..
जिस हाल में भी रक्खे है, ये बंदापरवरी है
और यूं भी वाह वाह है और यूं भी वाह वाह है
कुर्सी का व्याख्यान तो बड़ा दिलचस्प रहा.
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