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Monday, December 14, 2009
मोटी तोंद और प्रतिबिम्ब की बातें
हि न्दी में नाभि शब्द का इस्तेमाल आमतौर पर पेट के मध्यबिन्दु के लिए करते हैं। नाभि यानी पेट के बीच का वह स्थान जिससे जन्म के समय से गर्भनाल जुड़ी रहती है। बोलचाल की हिन्दी में इसे तुंदी, डूठी भी कहा जाता है। नाभि के कुछ अन्य अर्थ भी हैं जैसे पहिए की धुरी या केंद्र। परमाणु के केंद्रक के लिए भी नाभिक शब्द का प्रयोग होता है। भगवान विष्णु का पद्मनाभ नाम भी है जो इसी मूल से उद्भूत है। पद्मनाभ का अर्थ होता है जिसकी नाभि में कमल है। नाभि में कमल धारण करनेवाले विष्णु दरअसल सृष्टि के स्वामि हैं। नाभि दरअसल सृष्टिकेंद्र का प्रतीक ही है। कमल का निहितार्थ भी ब्रह्माण्ड की रचना-शक्ति और बुद्धि के विकास से है। पौराणिक उल्लेखों में इसी कमल से ब्रह्मा जन्में हैं इसीलिए ब्रह्मा को भी कमलयोनि अथवा पद्मयोनि कहा जाता है।
इसी तरह अंग्रेजी में भी पहिए की धुरी, गोलाकार सतह या फिर केंद्र के लिए हब (hub) शब्द है। खास बात ये कि इन सभी मे रिश्तेदारी है। यही नहीं, फारसी उर्दू का नाफ शब्द भी इसी कड़ी का हिस्सा है। भाषाशास्त्रियों के मुताबिक इंडो-यूरोपीय भाषा परिवार की धातु नोभ् या ओम्भ (nobh/ombh) से ये तमाम शब्द जन्मे हैं और इस शब्द के संबंध कई भाषाओं के शब्दों से है जैसे ग्रीक के ओम्फेलॉस, जर्मन के नेवेल, डच में नेवल, इसी तरह ओल्ड फ्रैंच में केंद्र, नाभिक या मंडल के लिए लोम्र्बिल (lombril) शब्द है जबकि आधुनिक फ्रैंच में नोम्ब्रिल, लिथुआनियन भाषा में बम्बा, ग्रीक में बेंबिक्स जैसे शब्द हैं। पौराणिक ग्रीक मान्यताओं के मुताबिक ओम्फेलॉस एक पवित्र शिला है जिसे पृथ्वी का केन्द्र माना गया है। ध्यान रहे, प्रायः हर संस्कृति में पृथ्वी या सृष्टि के मध्य बिन्दु की कल्पना की गई है। मध्य का अर्थ नियंत्रण या स्वामित्व से है। मनुष्य ने विकास के प्रारम्भिक दौर में ही जान लिया था कि प्रकृति पर उसका नियंत्रण नहीं है। वर्षा, शीत या ग्रीष्म जैसे प्रभाव अपने आप उत्पन्न होते हैं। तब तक मानव अपनी बुद्धि से किन्हीं क्रियाओं, गतिविधियों पर काबू करना, नियंत्रण करना सीख गया था। यही बात वर्षा, शीत या ग्रीष्म के संदर्भ में उसे परेशान करती थी। इसके अलाव दिन और रात का होना। ये सब उसकी समझ से परे था। नियंत्रण, केंद्रीय शक्ति जैसी बातें उसके मन में घर कर गईं। इसी मुकाम पर ईश्वर की परिकल्पना जन्मी। पृथ्वी, सृष्ठि या ब्रह्माण्ड की केन्द्रीय शक्ति के रूप में अलग अलग काल खण्डों प्रकृति के विभिन्न रूपों को स्थापित किया जाता रहा। संस्कृत का नाभिक शब्द व्यापक अर्थवत्ता रखता है और विज्ञान से लेकर अध्यात्म तक इसकी अर्थवत्ता में शामिल है।
गौर करें, संस्कृत- हिन्दी के बिम्ब शब्द पर। इसका अर्थ भी गोल या मंडलाकार सतह ही होता है। यही नहीं मराठी मे तो नाभि के लिए बेंबी शब्द ही प्रचलित है। बिम्ब शब्द संस्कृत के विम्ब का अगला रूप है जिसका अर्थ है सूर्यमण्डल या चन्द्रमण्डल, गोल, घेरेदार सतह। ध्यान दें सूर्य या चन्द्र की चमकदार गोल सतह पर और उससे उत्पन्न रश्मियों के गोल दायरे में फैलने पर। विम्ब बना है संस्कृत धातु वी से जिसमें गोल, चमकदार सतह, प्रसरण या फैलाव, गर्भधारण करना आदि भाव हैं। प्रसार या फैलाव जैसी क्रियाएं आमतौर पर किसी बिन्दु से ही शुरु होती हैं। ध्यान रहे, छाया, प्रतिमा, प्रतिच्छाया, परछाँई, इमेज के लिए बिम्ब शब्द का प्रयोग बाद में शुरु हुआ। दृरअसल बिम्ब के गोलाकार रूप के साथ ही उसमें दृष्यता और आकार की स्थापना हो गई थी, लिहाजा बाद में किसी भी रूपाकार के लिए बिम्ब, प्रतिबिम्ब का प्रयोग होने लगा। बिम्बफल का अर्थ है कुंदरू नाम की तरकारी। मूलतः यह एक फल है जो पकने पर गुलाबी आभा दर्शाता है। शृंगार के अर्थ में बिम्बोष्ठ शब्द का मतलब नायिका के होठों की सुर्ख गुलाबी रंगत से है। हिन्दी अंगरेजी समेत आज ज्यादातर भाषाओं में नाभि-नेवल शब्दों का प्रयोग पेट के मध्यबिंदु के लिए किया जाता है। वैसे अंगरेजी का हब भी नाभि से ही जुड़ता है, लेकिन इसका प्रयोग सिर्फ केंद्र या सेंटर के लिए किया जाता है। नाभि के अर्थ में हिन्दी में डूठी, ढुंढी, टुंडी, तुन्दी जैसे शब्द भी प्रचलित हैं। वी या विम्ब के फैलाव वाले भाव ही संस्कृत के तुन्द् में भी हैं। तुन्द् का अर्थ है किसी बिन्दु से प्रसार होना, फूलना, फैलना आदि। बिन्दु में केन्द्र का भाव तो निहित है ही साथ ही उससे जुड़े प्रभाव का प्रसार भी इसमें स्पष्ट है। नाभि के लिए तुंदि शब्द इससे ही बना और बाद में इसके देशज रूप टुंडी, डूठी आदि सामने आए। मोटे पेट के लिए तोंद शब्द भी इसी कड़ी का हिस्सा है। तुन्द् का अर्थ फैलाव भी है और तोंद में यह उजागर है। गणेश जी को बड़ा पेट होने की वजह से ही लम्बोदर कहा जाता है मगर सामान्य आदमी को तुंदियल या तोंदियल कहा जाता है।
पश्चिमोत्तर भारत की हिन्दी में भी अधोवस्त्र के नाड़े या इजारबंद को बंधने के स्थान को नेफा कहते हैं। नेफा मूलतः इंडो-ईरानी परिवार का शब्द है और इसका मूल भी नाभः या नाभि ही है जिसका अर्थ केन्द्र बिन्दु, मध्य-स्थान या गोलाकार है। नाफ यूं तो फारसी से आया शब्द है पर इसके मूल में नाभि को पहचाना जा सकता है। शरीर का मध्यबिन्दु नाभि है। कमरबंद या इजार बंद को बांधने की जगह नाभि से ही तय होती है। संस्कृत का नीवि शब्द भी इसी श्रंखला में आता है जिसका अर्थ कमर से ऊपर बांध कर पहने जाने वाला वस्त्र, गठान, इजारबंद, नाड़ा आदि होता है। संस्कृत के नीविबंध शब्द से जाहिर है कि लहंगानुमा एक पोशाक नीवि कहलाती थी। पंजाबी में ही नहीं, कुछ अन्य क्षेत्रीय भाषाओ में भी नाला या नाल का अर्थ नाड़ा अर्थात रस्सी, चेन या श्रंखला होता है जिसका अर्थ कहीं नाभि से जुड़ता है तो कहीं नड् यानी नल् से। मालवा, जहां मैं रहा हूं, चेन या श्रंखला के लिए नाल शब्द सुनता रहा हूं। जहां तक मैं समझता हूं, नाल गड़ना मुहावरे का अभिप्राय नाभिनाल, नाभिसूत्र या जन्मनाल से है। इसका घोड़े की नाल से संबंध नहीं है। नाल के जरिये ( प्लेसेंटा ) ही दरअसल शिशु और मां के बीच जैविक संबंध रहता है। यह एक सूत्र है जो शिशु की नाभि और मां की आहार नाल से जुड़ा रहताहै। जन्म के बाद भी यह नाल शिशु की नाभि से जुड़ी रहती है, जिसे बाद में अलग कर गोपनीय स्थान पर रख दिया जाता है। यह नाल एक किस्म के जुड़ाव का प्रतीक होती है।
प्रस्तुतकर्ता अजित वडनेरकर पर 2:33 AM
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15 कमेंट्स:
अच्छी जानकारी। धन्यवाद।
वकाई इस प्रकार की जानकारी वाली पोस्टे बहुत कम मिलती है, कुछ लेकर ही जा रहा हूँ।
बडनेरकर जी, आपके आलेख मात्र शब्द की व्युत्पत्ति पर केन्द्रित नही रहे । अब वे किसी शब्द विशेष के विस्त्रीर्ण क्षितिज की व्याख्या करते हैं और समूचा कुछ दे जाते हैं । इस नाते नाभि पर कुछ अधिक जानने की कामना है क्योंकि भारतीय आयुर्वेद, पातंजलि योग दर्शन (प्राणायाम) तथा ओशो की ध्यान पद्धतियों में नाभि को अत्यधिक मह्त्व दिया गया है । कहीं कहीं तो इसकी उपमा विस्तृत नभ से भी की गई पाई जाती है । पाश्चात्य दर्शन में नाभि पर क्या व्याख्याएं मिलती हैं ? हमारे पौराणिक सन्दर्भों में विष्णु की नाभि , कमलनाल, ब्रह्मोत्पत्ति , ब्रह्माण्ड आदि कहीं गहरे प्रतीक लिये होंगे । इनके रहस्य को ठीक ढंग से समझना शेष है ।
सादर,
- RDS
नाभि से जुड़े बहुत से शब्द जानने को मिले।
सारगर्भित प्रविष्टि । तुन्द् शब्द की जानकारी महत्वपूर्ण है। आभार ।
लम्बोदर कितना शिष्ट संवोधन रहेगा हम बड़ी तोंद वालो के लिए .
कल परसों से मै एक बात लोगो से पूछता हूँ स्वेटर को स्वेटर क्यों कहते है ,प्लोवर क्यों कहते है . लोगो के जानकारी ना के बराबर है . उत्तर खुद ही देकर अपनी समझदारी झाड रहे है आपके सौजन्य से
अजीत जी कई नई बाते पढने को और सीखने को मिली इन शब्दो के व्याखान से. मुझे भी अपने नाम की परिभाषा/अर्थ बदलना पडेगा क्या? ये तो अच्छा हुआ कि मेरी तोंद अब... वरना चित्र से मिलता जुलता होता. हा हा
अत्यंत उपयोगी जानकारी. आभार.
१. पंजाबी में नाभि के लिए आम शब्द "धुन्नी" है जो तोंद का ही रूप है
२. पेट को "ढिड" बोला जाता है जो संभवत तोंद का ही रूप हो. मोटे पेट वाले को "ढिडल" बोला जाता है.
३. तोंद के लिए आम इस्तेमाल का शब्द "गोगढ़" है जो संभवत "गागर से जुढ़ा हो . वैसे गोगढ़ छोटा मटका ही है जो रहट में पानी उठाने वाले मिटटी के पात्र को बोलते थे .आज कल ये पात्र लोहे के होते हैं जिनको "टिंड" बोलते हैं. टिंड शब्द भी तोंद से जुढ़ा है. टिंड घोन मोन सिर को भी बोलते हैं .
४.अर्घट में घट पर भी ध्यान दें.
५ पंजाब में 'हल्ट'(रहट) भी मेरे देखते देखते खत्म हो गए.
६. हल्ट की जगह "बंबी" आ गई जो ट्यूब वेळ को बोलते हैं .अब
बंबी को नाभि के साथ जोढ़ना है? बाद में!
लेकिन बंबी शब्द शाइद पुर्तगीज पोम्पा से आया है देखो प्लेट्स
बम्बा bambā (cf. bam; Port. pompa; A. mambaʻ), s.m. Fount, well; pump; fire-engine;—boss or nave, large nave
पुराने लोग रेल इंजन को बंबा बोलते थे . लोक गीत है :
"बारां बंबे लगे हैं पटिआले वाली रेल नुं"
हमारी भाषाओँ में बहुत से पुर्तगीज शब्द हैं जैसे बाल्टी, बोल्ट.
One English Purtugese dictionary shows "bamba" as the parallel Purtugese word for English "pump". I dont know if its old form was pompa as Platts has shown.
@बलजीत बासी
नल के लिए बम्बा शब्द का इस्तेमाल मालवी में भी किया जाता है और यह यूरोपीय मूल से ही आया है। मगर बिम्ब की सादृष्यता के आधार पर नाभि के संदर्भ में बम्बा और अरघट्ट की यहां चर्चा करना ठीक नहीं है। ध्वनि के आधार पर यूं तो कई अजनबी शब्दों में भी रिश्तेदारी ढूंढी जा सकती है, पर वह बेमतलब की कवायद ज्यादा होगी। "बारां बंबे लगे हैं पटिआले वाली रेल नुं" संदर्भ बढ़िया लगा।
आज भी कई नए शब्द सीखने को मिले... आपकी टिपण्णी के बक्से से अभी भी मुझे शिकायत है. खुलता नहीं है कई बार.
सादृष्यता का तो मैं भी ध्यान रखता हूँ, और इस के आधार पर मैं ने कोई नाजैज रिश्तेदारी भी नहीं जोढ़ी. हाँ मेरी कल्पना और तरफ भागती है. फिर भी मैं ने टिंड को तोंद से जोढ़ा.
वहुत सही जी! वक्रतुण्डं महाकाय!
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