Friday, February 12, 2010

अजीत वह, जो पराजित होता रहे


फर के मित्र रंगनाथ सिंह ने पिछली किसी कड़ी में पूछा था कि उनके दायरे के कुछ लोग हैं जो अजित लिखते हैं और कुछ अजीत, सही क्या है। मैं जानता हूं कि इस पर लिखने से तमाम अजीत नाराज हो जाएंगे। किन्तु रंगनाथ सिंह की जिज्ञासा का जवाब भी ज़रूरी है। हिन्दी में जीत के लिए जय, विजय जैसे शब्द प्रचलित हैं जो मूल रूप से संस्कृत के हैं जिनका अर्थ जीत, mahayana-buddhaविजयोत्सव अथवा कामयाबी है। ये बने हैं संस्कृत की जि धातु से जिसमें जीतना, हराना, दमन करना, नियंत्रण करना, काबू करना जैसे भाव हैं। जि धातु में उपसर्गों और प्रत्ययों के लगने से कई शब्द बने हैं जिनसे हिन्दी समृद्ध हुई है। हिन्दी के अनेक पुरुषवाची और स्त्रीवाची नामों का मूल भी यह धातु है, जैसे अजय, अजित, जीत, जीतेन्द्र, अविजित, विजय, विजया, विजयश्री, जयश्री, अपराजिता, जया, जयंत, जयंती, वैजयंती, अजिताभ समेत कई अन्य शब्द इस सूची में अभी शामिल हो सकते हैं।
हिन्दी में अजीत और अजित नाम प्रचलित हैं। अक्सर इनमें अजीत का अधिक प्रचलन हैं, जबकि यह अशुद्ध प्रयोग है। जि धातु में विजय का भाव है। इससे बने जित शब्द का अर्थ है जिसे जीता जा चुका है, जो परास्त है, जिसे वशीभूत किया जा चुका है अथवा जिसकी मात हो चुकी है। जि धातु से ही बनता है जित् जिसमें जीतने और परास्त करने का भाव है। मगर अजित शब्द जित् से नहीं बल्कि जित से बन रहा है। जीत शब्द संस्कृत में नहीं है बल्कि यह जित् से बना देशज रूप है। इस तरह देखें तो अ+जित का अर्थ हुआ जिसे परास्त न किया जा सके, जो अविजित है, अनिरुद्ध है। विष्णु, शिव और बुद्ध का नाम अजित ही है। त्तर भारतीयों में स्वर के दीर्घीकरण की प्रक्रिया कहीं कहीं प्रभावी हो जाती है। अनिता का अनीता या सलिल का उच्चारण अक्सर सलील सुनाई पड़ता है। अजित इसी प्रक्रिया के चलते अजीत बना। यह भी हुआ कि वर्णविग्रह के आधार पर लोगों ने जीत का  अर्थ विजय तो समझा और इसके साथ लगाकर इसे अजेय बनाना चाहा मगर अ+जीत का यह  अर्थ निकला, जो किसी से न जीत सके। जो सदैव परास्त हो। तो इस तरह जित के दीर्घीकरण से जो अजीत सामने आता है उसका अर्थ नकारात्मक है। संभव है अजीत नाम वाले किरदारों के साथ ऐसा न हो। बांग्ला और मराठीभाषी इस नाम का उच्चारण व इस्तेमाल अपेक्षाकृत सही करते हैं।
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27 कमेंट्स:

alka mishra said...

आपके द्वारा प्रदत्त जानकारी पसंद आयी , हमारे देश में तो भाषा पर बहुत अत्याचार हो रहे हैं ,दुकानों के बोर्ड ,बैनर ,पोस्टर की भाषाएँ तो कभी कभी सोचने पर मजबूर कर देती हैं कि आखिर ये किस भाषा का शब्द है ,श को स तो ९० % लोग बोलते हैं ,आज शिवरात्रि है ,सब लोग शिवाय को सिवाय ही बोलेंगे..अर्थ का अनर्थ ...फिर दुहायी इस बात की कि मन्त्र जपने से कुछ नहीं होता

लावण्यम्` ~ अन्तर्मन्` said...

हमें तो " अजित " नाम ही पसंद है और आपका परिश्रम और समर्पण सर्वथा अजित रहेगा इस बात का विश्वास भी है
एक दक्षिणी सहेली ने
अपने पुत्र का नाम
" अजिथ " रखा है -
- शायद तमिळभाषी
ऐसा ही उच्चारण करते हैं --
( उस बालक की आयु मात्र ३ वर्ष की है :)
स्नेह,
- लावण्या

sushant jha said...

अच्छी जानकारी। धन्यवाद स्वीकार करें।

Udan Tashtari said...

ठीक है अजित जी.

अविनाश वाचस्पति said...

अजीत होंगे तभी तो अजित भी होंगे
सच्‍चाई कड़वी ही होती है
सच्‍चाई सच्‍चाई ही होती है
सच्‍चाई को कड़वा होना ही चाहिए

अब तो मुझे भी अपने नाम का अर्थ इस सफर में जानने की उत्‍कंठा बढ़ गई है। परिचित तो हूं पर अब अजित भाई से जानना चाहता हूं शायद इसमें भी कोई क्‍लू निकल आये। अजित जी की पारखी नजर का असर भा गया। अविनाश को दीवाना बना गया। यह कोई दीवाना नहीं कह रहा है। सफर का अफसाना बह रहा है।

Arvind Mishra said...

बढियां जानकारी -धन्यवाद !

Kusum Thakur said...

आपके ब्लॉग पर आकर अच्छा लगता है, सदेव की तरह शब्दों का सफ़र अच्छा रहा !!

श्यामल सुमन said...

हमेशा की तरह ज्ञानवर्द्धक रहा आज भी शब्दोम का सफर।

सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com

गिरिजेश राव, Girijesh Rao said...

@ सच्चाई नहीं सचाई होती है। :)
अजीत मुझे बहुत दिनों से खटकता रहा है लेकिन नाम का मामला बड़ा नाजुक होता है। अब एक अजित ने अजीत को उसकी औकात बता दी तो हम भी अब अजीत को अजित कह सकते हैं - सीना तान के :)

दिनेशराय द्विवेदी said...

अजित में जो कोमलता और स्निग्धता है अजीत में वह खो जाती है। हथौड़ा होने का दर्प प्रवेश कर जाता है। हर शब्द का संगीत भी तो होता है।

M VERMA said...

सार्थक शब्दज्ञान

डॉ टी एस दराल said...

हमें भी अजित ही सही लगता है।
अच्छी जानकारी।

डॉ. मनोज मिश्र said...

सही ज्ञान.

निर्मला कपिला said...

कभी इस बात पर ध्यान ही नही दिया आज समझ आया कि आप अजित क्यों हैं । बहुत अच्छी पोस्ट धन्यवाद

अजित गुप्ता का कोना said...

मैं महिला होने के बाद भी पिताजी ने नाम रखा अजित। तो यह प्रश्‍न मुझसे भी रोज ही पूछा जाता है कि अजित सही या अजीत। आपने आज व्‍याख्‍या कर दी अच्‍छा लगा। कुछ लोग मेरे नाम को अजिता लिख देते हैं, उसका अर्थ तो डिक्‍शनरी के हिसाब से कुछ अलग ही हो जाता है। तो मैं लोगों से कहती हूँ कि अब पुरुष वाचक और स्‍त्रीवाचक का भेद छोड़ों मुझे अजित ही रहने दो। जब पिताजी ने ही भेद नहीं किया तो तुम भी मत करो।

Rangnath Singh said...

आपने इशारा किया था लेकिन मैं पूरी तरह आपकी बात अब समझ पाया हूं। आपका लिखा वो ज्ञानवर्धक है। आप ने इशारा किया था लेकिन मैं तब नहीं समझा था कि मामला इतना पेचीदा है और खतरनाक भी। नाम अजीत हो या अजित हमें तेा प्यारा रहेगा। क्योंकि हम नाम को नहीं आदमी को पसंद करते हैं। कुछ लोगों ने अजीत के लिए जैसे शब्दों का प्रयोग किया है वो काबिले एतराज है। किसी का नाम मां-बाप ने गलत रख दिया तो इसमें उसकी क्या खता ?

उम्मतें said...

@ रंगनाथ जी
:)अजित भाई के इस लेख को पढने के बावजूद , अजीतों को चिंता करने की जरुरत नहीं है !
यदि मेरा नाम अजित हो और मैं अपनी अपराजेयता को ज्यादा जोर डाल कर कहना चाहूं तो अजीत ही हो जायेगा ना :)

dhiru singh { धीरेन्द्र वीर सिंह } said...

अजित और अजीत को पहले मै एक मानता था . आज पता चला ये तो दोनो बिलकुल अलग है .
एक कथा है एक दानव ने घोर तप किया और उस्ने वरदान मांगा शिव से कि मेरा पुत्र विष्णु क संहार करे .लेकिन उच्चारण दोष के कारण उस्का अर्थ निकला मेरे पुत्र का विष्णु संहार करे और यही हुआ . एक मात्रा की गलती अर्थ का अनर्थ कर देती है

वन्दना अवस्थी दुबे said...

वाह बहुत बढिया शब्द- विश्लेष्ण .

Sulabh Jaiswal "सुलभ" said...

यह सफ़र भी खूब है.
जानकारी चाहे किसी के नाम से जुडी हुई हो, स्पष्ट करना तो पड़ेगा. हम ज्ञान की और बढ़ रहे हैं. यह अच्छा लगता है

रंजना said...

बिलकुल सही कहा आपने....

बहुत ही अच्छा किया आपने जो,इस सामान्य शंका का समाधान इतने सुन्दर ढंग से कर दिया...

Baljit Basi said...

अगर 'अजीत' 'अजित' के दीर्घीकरण की प्रक्रिया से बना, तो अजीत शब्द का अर्थ अजित वाला ही माना जायेगा. लेकिन अगर 'अजीत' अ+जीत(संज्ञा) से बिना तो इसका मतलब हार तो बनेगा लेकिन एक और समस्या खड़ी हो जाएगी(वडनेरकर साहिब आपके लिए). पंजाबी में 'जित' संज्ञा है और इस का मतलब जीत है, इस तरह से पंजाबी में अजित का मतलब हार हुआ. आप तो मुझे भाषा के मामले में शुधवादी नहीं लगते. अधिक वर्तनी में आये शब्दों को हम अशुद्ध नहीं मान सकते. फिर संस्कृत व्याकरणों के नियमों को अगर हम दूसरी भाषाओँ पर लागु करने लगे तो बड़े अजीब नतीजे निकलेंगे.
पंजाबी में शब्द के अंत में 'य' नहीं बोला जाता. इस तरह शब्द के पीछे 'इया' लगाके बनाने वाले विशेषण में 'य' नहीं रहता. जैसे 'भारतीय' पंजाबी में 'भारती' होगा. मेरी लड़की की एक सहेली का नाम है 'भारती'. मैं ने उससे पूछा तेरे नाम का क्या मतलब है, वह बोली 'हिन्दोस्तानी'. यह बताने पर कि इसका मतलब भाषा, वाणी है, लड़की और उसके पिता मानने में नहीं आ रहे थे. हिन्दू होते हुए भी उसको इस बात का ज्ञान न था. लेकिन फिर भी पंजाब के संदर्भ में 'भारती' को 'हिन्दोस्तानी' कहना गलत नहीं है.
गुरु गोबिंद सिंह के बड़े साहिबजादे का नाम अजीत सिंह था. पंजाबी की सब से ज्यादा बिकने वाली अख़बार का नाम 'अजीत' है. पंजाब में अजित नाम नहीं चलता. हाँ नाम के बिना अजीत शब्द का परयोग पंजाबी में भी नहीं और शायद कोशों में भी न हो.गुरबाणी में भी नहीं.

अजित वडनेरकर said...

बलजीत भाई,
यहां हिन्दी के संदर्भ में ही अजित की बात कही जा रही है।
किसी नाम को सही लिखना भाषायी शुद्धतावाद का मामला नहीं, बल्कि अर्थ की स्पष्टता का मामला है।
भारती को हिन्दुस्तानी कहना कतई गलत नहीं है।

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

वाह..वाह...!
आपने तो बहुतों की शंका का समाधान कर दिया!

किरण राजपुरोहित नितिला said...

हम तो अब तक अजीत को ही सही मानते आये है. अजित को नए शब्द की तरह लिया .आज दोनों का फरक पता चला .
अ जीत =जीत नहीं
अ जित =जीता न गया
तब बहुत से नामो को लेकर दुविधा खड़ी हो रही है.

kishan gopal meena said...

अनीता शब्द का क्या अर्थ होगा

Unknown said...

Dear sir mera name bhi AJIT KUMAR MAURYA hai.

Kaisa hai. Aap sabhi log bataye.
DIB.20/08/1993 hai

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