Tuesday, September 4, 2007

वटवृक्ष की छाया में है ज़ायका


भारतीय शैली के व्यंजनों में एक बेहद आम शब्द है-बड़ा। उत्तर भारत में यह बड़ा के रूप में प्रचलित है तो दक्षिण भारत में यह वड़ा कहलाता है। इसके वडा और वड़ी रूप भी प्रचलित हैं। इस नाम वाले कितने ही खाद्य पदार्थ प्रचलित हैं मसलन मिर्चीबड़ा, भाजीबड़ा, पालकबड़ा , मूंगबडी या बटाटावड़ा वगैरह । इसी तरह दक्षिण भारत में वड़ासांभर, दालवड़ा या वड़ापाव मशहूर हैं। गौरतलब है कि इस बड़ा या वड़ा में न सिर्फ रिश्तेदारी है बल्कि बाटी और सिलबट्टा जैसे शब्द भी इनके संबंधी हैं ।

संस्कृत का एक शब्द है वट् जिसके मायने हैं घेरना, गोल बनाना , या बांटना-टुकड़े करना। गौर करें वटवृक्ष के आकार
पर । इसकी शाखाओं का फैलाव काफी अधिक होता है और दीर्घकाय तने के आसपास की परिधि में काफी बड़ा क्षेत्र इसकी शाखाएं घेरे रहती हैं इसीलिए इसका नाम वट् पड़ा जिसे हिन्दी में बड़ भी कहा जाता है। वट् से बने वटक: या वटिका शब्द के मायने होते हैं गोल आकार का एक किस्म का खाद्य-पिण्ड जिसे हिन्दी में बाटी कहा जाता है। इसे रोटी का ही एक प्रकार भी माना जाता है। वटिका शब्द से ही बना टिकिया शब्द। संस्कृत वटक: का अपभ्रंश रूप हुआ वड़अ जिसने हिन्दी मे बड़ा और दक्षिण भारतीय भाषाओं में वड़ा का रूप लिया। वट् से ही विशाल के अर्थ में हिन्दी में बड़ा शब्द भी प्रचलित हुआ।

अब आते हैं खलबत्ता या सिलबट्टा पर । ये दोनों शब्द भी वट् से ही बने हैं। औषधियों, अनाज अथवा मसालों को कूटने - पीसने के उपकरणों के तौर पर प्राचीनकाल से आजतक खलबत्ता या सिलबट्टा का घरों में आमतौर पर प्रयोग होता है। हिन्दी में खासतौर पर मराठी में खलबत्ता शब्द चलता है्। यह बना है खल्ल: और वट् से मिलकर। संस्कृत में खल्ल: का मतलब है चक्की, गढ़ा। हिन्दी का खरल शब्द भी इससे ही बना है। वट् का अर्थ यहां ऐसे पिण्ड से है जिससे पीसा जाए। यही अर्थ सिलबट्टे का है। सिल शब्द बना है शिला से जिसका अर्थ पत्थर, चट्टान या चक्की होता है। जाहिर है पत्थर की छोटी सिल्ली पर बट्टे से पिसाई करने के चलते सिलबट्टा शब्द बन गया।

6 कमेंट्स:

अनामदास said...

अच्छा है. शब्दों के बारे में हम जितना सोचते हैं उतना चकित होते हैं, अंगुश्त बा दन्दां...

Udan Tashtari said...

हर शब्द की गहराई इस तरह नापते हैं कि दिल कह उठता है वाह वाह!!! अगले जनम भी मुझे एम पी में जनियो!!!

विष्णु बैरागी said...

रतलाम में 'कांदा वडा' भी होता है । यह 'बडा' या 'वडा' छत्‍तीसगढ में 'बोंडा' और 'बंडा' से सम्‍बोधित होता है - 'आलबंडा' या 'आलूबोंडा'की आवाज लगाते वेंडर, रेल्‍वे स्‍टेशनों पर आपकी प्रतीक्षा करते हैं ।

अनूप शुक्ल said...

बहुत खूब! अच्छा लगा बड़ा, वड़ा के बारे में जानना।

अजित वडनेरकर said...

आलूबोंडा या बंडा की याद दिलाने के लिए आभारी हूं भैया...ये शब्द तो दिमाग से फिसल ही रहा था। पोस्ट में संशोधन कर दूंगा।

हरिराम said...

खल्ल, खरल के साथ ही मराठी, दक्षिण भारत, मारवाड़ी, ओड़िआ आदि में खळ, ऊखळ, ऊखळी बळ आदि शब्दों का प्रचलन अधिक होता है। 'ल' के बदले इसके उत्क्षिप्त उच्चारण 'ळ' का प्रयोग ही सही होता है।

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