Friday, September 14, 2007

कृष्ण की गली में

विष्णु के सर्वाधिक लोकप्रिय नामों में एक नाम कृष्ण भी है। इस शब्द की व्युत्पत्ति कृष् धातु से हुई है जिसमें खींचने का भाव निहित है। आकर्षण , खींचना, खिंचाव, कशिश जैसे शब्द भी इससे ही बने है। कृष धातु से बने कुछ और महत्वपूर्ण शब्द हैं कृषि, किसान, कृषक और आकृष्ट आदि।
कृष्ण का एक अर्थ है काला, श्याम , गहरा नीला। इसी तरह काला हिरण भी इसके अर्थों में शामिल है। प्रख्यात संस्कृत विद्वान पांडुरंग राव कृष्ण शब्द की व्याख्या करते हुए कहते हैं कि आकर्षण कृष्ण का लक्षण है। समस्त संसार को वह अपनी ओर खींच लेते हैं। कृष्ण का जन्म रात को हुआ और राम का दिन में। रात सबको अपनी ओर खींच लेती है और दिन सबको अपने अपने काम मे लगा देता है। रात में लोग अपने में लीन हो जाते हैं ,सपनों की नई दुनिया में प्रवेश करते हैं जबकि दिन में लोग बहिर्मुख हो जाते है, बाहर के कामों में लग जाते हैं जिस प्रकार राम और कृष्ण एक दूसरे के पूरक हैं वैसे ही जैसे दिन और रात।
कृषि तत्व से भी कृष्ण का संबंध है। भूमि पर कृषि की जाती है और सारी पृथ्वी भगवान के लिए कृष्य अर्थात खेती करने योग्य है। विशाल विश्व को कृष्यभूमि बनाकर विराट् कृष्ण भगवान् अच्छी अच्छी फसलें उगाते हैं। यही कृष्ण का आकर्षण है। कृष् धातु भू की सत्ता की प्रतीक है और ‘न’ निर्वृत्ति का वाचक। सत्ता और निर्वाण के संयोग से ही कृष्ण की उत्पत्ति होती है।

3 कमेंट्स:

Gyan Dutt Pandey said...

अच्छा है - कृष्ण ग्वाले भी हैं और हलवाहे भी.

Pratik Pandey said...

अच्छी जानकारी है "कृष्ण" पर। एक ख़ामख़्वाह का ख़्याल - कृष्ण माने काला। विज्ञान के अनुसार काला रंग हमें तब नज़र आता है, जब कोई तल प्रकाश सोख लेता है और वापिस परावर्तित नहीं करता। अंतरिक्ष में ब्लैकहोल भी काला होता है। दिखता नहीं है। लेकिन इसका पता इससे चलता है कि हर चीज़, प्रकाश व पिण्ड आदि इसकी तरफ़ खिंचे चले आते हैं। यानी कि यह तीव्र आकर्षण का केन्द्र होता है। शायद इसीलिए कृष्ण भी पुराणों में श्यामवर्ण और आकर्षक उल्लिखित हैं। शायद श्यामवर्ण और आकर्षण का गहरा नाता है।

Udan Tashtari said...

बढ़िया ज्ञानार्जन हुआ, मित्र.

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