Saturday, December 8, 2007

भोन्दू, भद्दा और भदेस

हिन्दी में भद्दा शब्द के मायने होते हैं बुरा , अशालीन, कुरुप या खराब। बेढंगापन या भौंडापन भी इसमें शामिल है। इसी तरह भौंदू शब्द के मायने हैं मूर्ख या बुद्धू। जानकर ताज्जुब हो सकता है कि इन दोनों शब्दों का जन्म भद्र से हुआ जिसका अर्थ हुआ भला , श्रेष्ठ, मंगलकारी या साधु। भद्र शब्द जन्मा है संस्कृत की भन्द् धातु से जिसमें सुखद, शुभ, कल्याण जैसे मंगलकारी भाव छुपे हैं। भन्द् से ही जन्मा है भदन्तः या भदन्त जो प्रायः बौद्ध श्रमणों या भिक्षुओं के लिए प्रयोग किया जाता है। हिन्दी का भोंदू शब्द इसी भन्द् या भदन्त का बिगड़ा हुआ रूप है। यह अजीब बात है कि प्रायः शुभ, मांगलिक भावों वाले शब्दों ने प्राकृत, अपभ्रंश और हिन्दी तक आते आते जनमानस में विपरीतार्थक भावग्रहण कर लिए। सफर की पिछली कड़ियों में हम वज्रबटुक से बजरबट्टू अथवा बुद्ध से बुद्धू वाली कड़ियों में इसे जान चुके हैं। भद्र के मायने हुए भला , समृद्धिशाली, भाग्यवान, प्रमुखआदि। इसके अलावा प्रिय, सुहाना, सुंदर ,रमणीय ,चटकदारदर आदि अर्थ भी इसमें समाहित है। इसी से बना है भद्राकरणम् जिसका मतलब होता है बाल मूंडना। पाखंडी के लिए भी भद्र शब्द है।
गौर करे कि भद्र ने जब हिन्दी का चोला पहना तो अपने मूल अर्थ के विपरीत रूप में ढल गया । कहां तो शेष्ठ और कहां एकदम खराब। हिन्दी की पूर्वी शैलियों में भदेस शब्द भी इससे ही चला। भदेसल यानी भद्दी वेषभूषा वाला। यह बना है भद्र+वेष+लः से । एक तरफ तो भद्र का विलोम बनाने के लिए भद्र में उपसर्ग लगाकर अभद्र जैसा शब्द बनाना पड़ा दूसरी ओर सीधे ही भद्दा बन गया। कहीं ऐसा तो नहीं कि भद्र से जुड़े तमाम अच्छे भावों ने हिन्दी तक आते आते अति सर्वत्र वर्जयेत् वाली उक्ति से प्रेरणा ग्रहण करली।
इसी तरह भद्र से एक एक और शब्द जन्मा है भद्रा। ज्योतिष शब्दावली के इस शब्द का अर्थ हुआ कुयोग अर्थत शुभ कार्य के लिए निषिद्ध समय। एक तारामंडल को भी यही नाम मिला हुआ है। संस्कृत में इसी भद्र से बने भद्रा में सु उपसर्ग लग जाने से एक नया शब्द बनता है-सुभद्रा जिसका अर्थ हुआ पृथ्वी। इसके दो अर्थ और भी हैं-दुर्गा या गाय। इस तरह देखें तो भद्र शबद की जन्म कुंडली मे अर्थ विस्तार तो लिखा था मगर नकारात्मक रूप होना भी बदा था।

7 कमेंट्स:

Gyan Dutt Pandey said...

सवेरे सवेरे बड़ा सुकून मिला कि हम भद्र की श्रेणी में हैं - बावजूद इसके कि रस्टिक (rustic) हैं! :-)

अभय तिवारी said...

क्रिया रूप में प्रयोग होता है- भद्द हो जाना या भद्द पड़ जाना..
बढ़िया चल रहा है सफ़र!

मीनाक्षी said...

पृथ्वी का पर्याय सुभद्रा नई जानकारी है.... गाय और दुर्गा..अर्थ और दोनों की प्रकृति में विरोधाभास हो रहा है... ... .बहुत रोचक है...

Sanjay Karere said...

अब यदि किसी ने मुझे भोंदू कहा तो इस पोस्‍ट का‍ लिंक बता कर कह दूंगा कि पहले मायने समझ लो भइया. लेकिन पाखंडी के लिए भी भद्र क्‍यों? मतलब कोई हमसे भद्र पुरुष बोले तो वास्‍तव में वह हमें पाखंडी कहेगा! अच्‍छा ये भंते क्‍या है अजित भाई?

बालकिशन said...

अच्छी जानकारी. पर एक सवाल है मेरे मन मे कि ये सफर ऐसा कैसा है कि अर्थ का अनर्थ हो गया.
आपके लेख बहुत रोचक लगते हैं साथ-साथ इस के संभावित कारणों पर भी प्रकाश डाले तो रोचकता और बढेगी.

बोधिसत्व said...

हम भद्रन के भद्र हमारे....
जय हो सर

Sanjeet Tripathi said...

शुक्रिया इस सफर में सहयात्री बनाने के लिए!

अपन तो उल्टा चल रहे हैं, भोंदू से भद्र बनने की कोशिश कर रहे हैं

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