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कि सी चीज़ में कुछ खामी या त्रुटि रह जाने पर उसे कसर रह जाना कहते हैं। इसी से मिलता जुलता शब्द है कुसूर जिसे हिन्दी में कसूर भी कहा जाता है, जिसका मतलब होता है दोष, त्रुटि या गलती। व्यापक अर्थ में इसका अर्थ अपराध, जुर्म भी माना जाता है। कुसूर शब्द अरबी का है जिसमें फारसी का वार प्रत्यय लगा कर एक नया शब्द बना लिया गया कुसूरवार।दोषी या अपराधी के लिए कसूरवार या कुसूरवार शब्द खूब इस्तेमाल होते हैं। ये तमाम शब्द अरबी मूल के हैं और इसी रास्ते से फारसी, हिन्दी, उर्दू में दाखिल हुए। इन शब्दों की रिश्तेदारी कुछ अन्य शब्दों से भी है जो हिन्दी में बोले-समझे जाते हैं। हिन्दी-उर्दू में कसर निकालना मुहावरा है जिसका मतलब होता है गलती या कमी निकालना। किसी कार्य के पूरा होने पर उसकी समीक्षा के दौरान भी कमी या न्यूनता नजर आती है जिसे कसर रह जाना कहते हैं। कसर निकालना का एक अर्थ बदला लेना भी होता है जैसे “तब तो कुछ कर न पाए, अब कसर निकाल रहे हैं” भाव यही है कि तब जो कमी रह गई थी, उसे पूरा किया जा रहा है।
सेमिटिक धातु क-स-र q-s-r से इन शब्दों की व्युत्पत्ति मानी जाती है। अरबी में इस धातु से एक शब्द बना है कस्र या अल-कस्र जिसका मतलब है महल, किला या दुर्ग। सेमिटिक धातु क-स-र q-s-r का मूल अर्थ है काटना, छीलना, तराशना। ये सभी क्रियाएं आश्रय निर्माण से जुड़ती हैं। आवास बनाने के लिए आदिम मनुष्य ने पहाड़ी कंदराओं में अपना ठिकाना बनाया। उसके बाद पहाड़ी चट्टानों को तराश कर उनमें खुद अपने आश्रय बनाए। सीरिया, लेबनान में अनेक ऐसे पुरातत्व स्थल हैं जहां पत्थरों को तराश कर मनुष्य ने भव्य प्रासादों का निर्माण किया। हालांकि पश्चिमी इतिहासकार और भाषाविज्ञानी कस्र शब्द को लैटिन के कैस्ट्रम castrum से निकला हुआ बताते हैं जिसका अर्थ होता है भवन, प्रासाद, काटना, तराशना आदि। लैटिन के castrare का मतलब भी यही है। इसका मतलब चाकू या छुरा भी होता है। लैटिन में इससे मिलता जुलता एक शब्द और है कैस्टेलियम castellum जिससे अरबी में बना अल-कस्तल al-qastal जिसके मायने किला, गढ़ी या सुरक्षित स्थान होता है। castellum के मूल में लैटिन शब्द कास्त्रा castr(a) है जिसमें घिरे हुए स्थान का भाव है। ध्यान रहे पर्वतों को तराश कर कंदरा का निर्माण सुरक्षा के लिए घिरे हुए स्थान का निर्माण करना ही था। सुरक्षा के लिए चारों और से आवरण जरूरी है। वस्त्र से लेकर भवन तक में यह घेरा स्पष्ट है। अंग्रेजी में किले के लिए कैसल castle शब्द का निर्माण इसी कैस्टेलियम से हुआ है। स्पैनिश में इसका रूप अल्काज़ार alcazar है, जो अरबी के अल-कस्र का रूपांतर माना जाता है और यही वह तथ्य है जिससे लगता है कि भवन के अर्थ में अरबी कस्र और लैटिन के कैस्ट्रम में अर्थ और ध्वनि साम्य की वजह से जन्मसूत्री रिश्ता भी हो सकता है। अरबी विद्वानों का यह दावा दुराग्रह नहीं लगता है कि क-स-र q-s-r अरबी की स्वतंत्र धातु है। यह सिद्ध होता है स्पेनिश भाषा के अल्काजार शब्द से। स्पेन, इटली से लगा हुआ है। वहां महल या दुर्ग के अर्थ में अरब के अल-कस्र से बना अल्काज़ार शब्द प्रचलित है। वजह सिर्फ यही नहीं हो सकती कि स्पेनी भाषा पर अरबी प्रभाव है। गौरतलब है कि आठवीं नवीं सदी में स्पेन के कई इलाकों पर अरबों का कब्जा था। उधर पश्चिमी विद्वानो का कहना है कि लैटिन कैस्ट्रम का अरबी रूपांतर कस्र और कैस्टेलियम castellum जिससे अरबी में बना अल-कस्तल इस तथ्य के सबूत हैं कि अरब क्षेत्रों में ईसापूर्व पांचवी सदी के पहले से लेकर ईस्वी पांचवी-छठी सदी तक रोमन और बाइजेंटाइन शक्तियों का अरब में प्रभाव था और कई स्थानों पर उनके फौजी पड़ाव थे जिसके चलते आश्रय के अर्थ में ये शब्द अरबी भाषा में ढल गए।
इससे हट कर जरा देखें कि कस्र से अरबी भाषा में कई अन्य शब्द भी बने। उनकी अर्थवत्ता देखें। कस्र का अर्थ जहां महल है वहीं कुसूर का अर्थ उस स्थान से है जहां विशाल सुंदर भवनों की बहुतायत हो। यह कस्र् का बहुवचन है। स्पष्ट है कि जहां सुंदर इमारतें हों, वह बड़ा शहर होगा। इतिहास में कसूर नाम के कई स्थानों का उल्लेख है। पाकिस्तान में भी कसूर नाम का एक शहर है जिसे यह नाम उसकी खूबसूरत गढ़ियों की वजह से मिला था। कई मुसलमानों का एक उपनाम कसूरी भी होता है जैसे अहमद रज़ा कसूरी। यह कसूर से रिश्तेदारी ही स्थापित करता है। उर्दू-हिन्दी के कसूर शब्द में जो त्रुटि का भाव है उस पर गौर करें। किसी प्राकृतिक शिला में विभिन्न रूपाकार उकेरने के लिए उसके विभिन्न हिस्सों को छेनी-हथोड़े से काटा जाता है। सेमिटिक धातु क-स-र q-s-r से यह अभिव्यक्त हो रहा है। इसी तरह किसी वस्तु में जब कोई कमी रह जाती है या टूट-फूट हो जाती है तो उसे दोष माना जाता है। देवप्रतिमा का कोई हिस्सा टूट-फूट जाता है तब उसे भी खण्डित मान कर प्रभावहीन समझा जाता है। यहां क-स-र q-s-r में निहित भाव स्पष्ट हैं। दिलचस्प है कि जिस मूल धातु का अर्थ किसी मूल या प्राकृतिक आकार में काट-छांट कर किसी आश्रय का निर्माण करने से है उसी से निर्मित एक अन्य शब्द की अर्थवत्ता में किसी वस्तु में हुई टूट-फूट को कसर यानी दोष या कमी माना जाता है और दोषी को कसूरवार कहा जाता है।
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14 कमेंट्स:
बहुत विस्तार से आपने शब्दों के इतिहास-भूगोल की जानकारी दे रहे हैं. बेहतरीन जानकारी.
लाहौर और कसूर के बारे में आम धारणा और कई स्रोत यही बताते हैं कि इन शहरों के नाम राम के बेटों लव और कुश के नाम से पड़े . आप की बात ज्यादा ठीक लगती है क्योंकि इस शहर में १२ बड़े गढ़े हैं जो अफगान हमलावरों ने बनाए . लाहौर नाम कैसे पड़ा , यह भी जानना पड़ेगा . कसूर के जूते बहुत मशहूर हैं. एक पंजाबी गाना है:
जुती कसूरी, पैरीं न पूरी; हाए रब्बा वे मेनू चलना पिया
(पैरों में कसूर की जुती जाली हुई है जो पूरी नहीं है , हाए रब्बा मुझे चलना पड़ रहा है.) यहाँ कसूरी के दोनों अर्थ साफ दिखाई दे रहे हैं. कसूर शहर की और खराबी वाली. कसूरी मेथी भी मशहूर है
कसर के तो बहुत और मतलब भी हैं बीमारी, खास तौर पर मानसिक बीमारी को भी कसर बोलते हैं. नुकसान और दशमलव के भाव भी देता है . इस से बने कसारा का मतलब घाटा होता है.
कसूर जिले की मशहूर हस्तियाँ :
बुल्ले शाह , हजरत मुईन-उद-दीन चिश्ती, नूर जहाँ, उस्ताद बड़े गुलाम अली खां.
कसूरवार का तो अर्थ समझ में आ गया
मगर अपराधी शब्द का भेद नही खोला!
अजित जी, आपके लेख से मिली जानकारी में कोई कसर बाकी नहीं.
अच्छी जानकारी.
@बलजीत बासी
लाहौर से लव की रिश्तेदारी के बारे में हमने भी पढ़ा था। संभवतः किसी पोस्ट में इसका उल्लेख भी किया है-लवपुरी या लवपुर से लाहौर... मगर यह रिश्ता मुखसुख और नामसाम्य का अधिक लगता है। वैसे यह व्युत्पत्ति संदिग्ध है।
जुती कसूरी, पैरीं न पूरी; हाए रब्बा वे मेनू चलना पिया
कहावत ने इस पोस्ट में वेल्यु एडिशन कर दिया है। आभार...
बहुत अर्थ प्रकट हो गए. बलजीत जी ने विस्तार देकर ज्ञानवर्धन किया है.
बहुत बढ़िया जानकारी मिली/
ek se badhkar ek jankari milti rahti hai.bahut aabhar.
भी अभी कसूरी मेथी लाने के लिये बोला तो आपका पोस्ट कुछ देर बाद ही पढने को मिल गया । आपने बहुत से शब्दों के साथ अपने आप को जोड लिया। जब वो शब्द याद आयें तो आपकी पोस्ट याद आ जाये । धन्यवाद्
@बलजीत बासी
@निर्मला कपिला
यकीनन पोस्ट लिखते हुए कसूरी मेथी का उल्लेख करना मेरे ध्यान में था। इस बीच पोस्ट काफी लम्बी हो गई सो उसे छोटा करने में बात दिमाग से उतर गई। कसूरी मेथी
खाने को स्वादिष्ट बना देती है। वाह...खूब याद दिलाया।
बहुत कोशिश के बाद भी कसर नही निकाल पाया इस लेख मे .
आप अपनी पोस्ट से बहुत से नए शब्द सिखा जाते हैं।
ओह, बे मौसम कसूरी मेथी का प्रयोग होता है। पता नहीं मेथी को सुखाने में मेथी का क्या कसूर?!
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