Wednesday, December 9, 2009

तौरतरीका और कार्यप्रणाली [लकीर-6]

bamboo c संबंधित कड़ियां-1.लीक छोड़ तीनौं चलै, सायर-सिंघ-सपूत [लकीर-1]2.रेखा का लेखा-जोखा (लकीर-2)3.कोलतार पर ऊंटों की क़तार [लकीर-3]4.मेहरौली, मुंगावली, दानाओली, दीपावली[लकीर-4]5.सूत्रपात, रेशम और धागा [रेखा-5]

प्र णाली का मतलब होता है किसी काम को करने की विधि या शैली। हिन्दी में इसके लिए तरीका शब्द सबसे आम है। प्रणाली का अर्थ है रास्ता, राह या रीति। कोई भी रास्ता एक रेखा या लीक होती है जिसके आधार पर लोग आगे बढ़ते हैं। प्रणाली बना है संस्कृत के प्रणालिका से जिसका अर्थ होता है किसी ताल या जलाशय से पानी निकलने का मार्ग या रास्ता। यह रास्ता नहर के रूप में भी हो सकता है और छोटी नाली के रूप में भी। पानी का गुण बहना है। अनियंत्रित बहाव से अव्यस्था होती है। इसलिए पानी को जिस मार्ग से होकर गुजारा जाता है, उसे प्रणाली कहते हैं। नदियां दरअसल प्राकृतिक रूप से निर्मित प्रणालियां ही हैं। मनुष्य ने प्राकृतिक जलप्रवाह को थाम कर बांध बनाए और उस पानी का नियंत्रित प्रयोग सिंचाई के लिए किया। प्रणाली या तरीका दरअसल किसी कार्य को करने की अनुशासित और स्वनियंत्रित व्यवस्था ही है। हिन्दी में परनाला या पनाला जैसे शब्द भी खूब चलते हैं जो प्रणाली से ही बने हैं, अलबत्ता इनका मतलब दूषित या गंदे पानी के बहाव का रास्ता है। स्वतंत्र रूप में कम मगर कार्यप्रणाली जैसे शब्द के जरिये प्रणाली का प्रयोग रोज बोलचाल में होता है। इसके लिए हिन्दी में तौरतरीका शब्दयुग्म भी खूब प्रचलित है।
प्रणाली के अर्थ में तरीका शब्द हिन्दी में सर्वाधिक इस्तेमाल होता है जो सेमिटिक भाषा परिवार का शब्द है। अरबी के तर्क Tarq से जन्मा है यह शब्द। अरबी में तर्क का मतलब होता है त्यागना, पीछे छोड़ना। भाव यही है कि किसी वस्तु, स्थान या वृत्ति को त्याग कर आगे बढ़ना। सो तर्क में पथ या रास्ते का अर्थ भी निहित है। इससे ही बना है तराका जिसका मतलब है राह, रास्ता, मार्ग, पथ, रोड आदि। मुख्य भाव है मनुष्यों और पशुओं के एक स्थान से दूसरे स्थान पर लगातार विचरण करने से, पदचिह्नों के आधार पर बनी राह अर्थात पगडण्डी। इसमें नक्शेकदम का भाव भी है। पदचिह्न हमेशा मार्गदर्शक ही होते हैं। अरबी का तारिक शब्द भी इसी मूल का है जो फारसी उर्दू में भी प्रचलित है और पुरुष-नाम है। तारिक का मतलब होता है रात में सफर करने वाला। गौर करें, पुराने जमाने में अरब लोग रात में ही सफर करते थे क्योंकि दिन की तपिश सफर की इजाजत नहीं देती थी। सितारे भी रात में ही निकलते हैं। अरबी में सुबह के एक तारे का नाम भी यही है। तराका में पगडण्डी के भाव का विस्तार दिखता है इसी मूल से बने तरीकः या तरीका शब्द में। तरीका का अर्थ हुआ प्रणाली, शैली, युक्ति आदि। इसका अर्थ धार्मिक पंथ या परम्परा भी होता है। सूफी दर्शन में तरीक़त एक प्रमुख मार्ग है ईश्वर प्राप्ति का जिसका अर्थ आत्मशुद्धि या ब्रह्मज्ञान है।  तरीका व्यापक अर्थवत्ता वाला शब्द है। किसी किस्म की परम्परा, रिवाज अथवा धर्म जैसे अर्थ भी इसमें समाहित हैं। pathइस कड़ी का अगला शब्द है तरकीब जो हिन्दी के सर्वाधिक इस्तेमाल होने वाले शब्दों में है। भाव वही है, युक्ति या उपाय। किसी काम को करने का विशिष्ट ढंग। खास तरह कि विधि।
प्रणाली बना है संस्कृत के नाड् से जिसका अर्थ है वनस्पति का खोखला तना। इससे ही बना है नाड़ी शब्द से जिसमें पोली टहनी या तने का भाव है। ट्यूब, नाली या पाईप जैसी संरचना का इसमें भाव है। शरीर की नसों, शिराओं, धमनियों को भी नाड़ी कहा जाता है। भाव रक्तवाहिकाओं की प्रणाली से ही है। यह जन्मा है नड् का मतलब होता है तटीय क्षेत्र में पाई जाने वाली घास, नरकुल, सरकंडा। गौर करें वनस्पति के इन सभी प्रकारों में तने का पोलापन जाना-पहचाना है। नाडि या नड का अर्थ बांसुरी भी होता है जो प्रसिद्ध सुषिर वाद्य है। है। बांस का पोलापन ही उसे सुरीलापन देता है जिससे बांसुरी नाम सार्थक होता है। नड् का पूर्वरूप है नल् जिसका अर्थ नालयुक्त वनस्पति है। अस्थी या हड्डी के लिए भी नल्ली शब्द प्रचलित है। हड्डी भी अंदर से पोली होती है। यह बना है नलकम् से जिसका अर्थ होता है शरीर की कोई भी लम्बी अस्थि। कमल के पौधे को नलिनी भी कहा जाता है क्योंकि इसका मुख्य आधार नालयुक्त होता है। धमनियों-शिराओं के लिए भी नाडि शब्द प्रचलित है। नलिन का अर्थ भी कमल ही है। ध्यान रहे, नहर जल मार्ग के अर्थ में प्रणाली शब्द पर विचार करते हुए हमें ध्यान रखना चाहिए कि दुनियाभर में सिंचाई और जलसंचार की पारम्भिक व्यवस्थाएं वनस्पतियों के पोले तनों को एक दूसरे से जोड़कर, उनमें जलप्रवाहित करने की तरकीब खोजने से ही बन पाई थीं। नाला, नाली, पनाला, परनाला जैसे शब्द इसी मूल से जन्मे हैं।
प्राचीन चिकत्साशास्त्र की एक प्रसिद्ध शाखा नाडी-चिकित्सा भी थी जिसके जरिये अधिकांशतः रनिवास की स्त्रियों की जांच की जाती थी क्योंकि साधारण लोगों की तरह रोग निदान के लिए उनका शरीर परीक्षण संभव नहीं था। नाडी-परीक्षण को ही फारसी में नब्ज देखना कहते हैं। मालवी राजस्थानी में आज भी सिंचाई की नालियों को नाडि या नाड़ा कहते हैं। कमरबंद को भी नाड़ा ही कहा जाता है। मूलतः यह होता सूत्र है मगर जिस वस्त्र को कमर पर बांधा जाता है उसके ऊपरी हिस्से में सूत्र डालने के लिए कपड़े को दोहरा कर पोली नाली बनाई जाती है। जाहिर है कमरबंद के रूप में धागा या सूत्र पिरोने के इस तरीके को प्रणाली कहा जा सकता है। नाडी से गुजरने की वजह से कमरबंद का नाम नाड़ा हुआ।

ये सफर आपको कैसा लगा ? पसंद आया हो तो यहां क्लिक करें

12 कमेंट्स:

Udan Tashtari said...

नाड़ा का नामकरण भी जान ही गये... :)

बहुत आभार.

गिरिजेश राव, Girijesh Rao said...

शब्दों के उत्स और उनकी व्याख्या की रोचक प्रणाली :)

दिनेशराय द्विवेदी said...

सुंदर सफर।

Sulabh Jaiswal "सुलभ" said...

नाड़ा तक सही सही पहुंचे भैया.

सुन्दर विवेचना.

Khushdeep Sehgal said...

हमें ईश्वर का तो पता नहीं, अजित जी के तरीक़त का लड़ (ऊंगली) ज़रूर पकड़ लिया है...

जय हिंद...

रंजना said...

गावों में हाल तक नाडी देख रोग पहचानने और तदनुरूप उपचार करने की प्रथा थी....
सदा की भांति सुन्दर शब्द विवेचना....आभार...

Baljit Basi said...

जिसको आप पोली नाली कहते हैं क्या उसके लिए हिंदी में कोई शब्द नहीं ? पंजाबी में इसे नेफा बोलते हैं .
Cognate with English "navel" Skt. "nabhila" Hindi "nabhi" navel, nave, Avestan "nafa" Pers. "naf"

यह बात स्पष्ट करना .

Baljit Basi said...

See Platt's dictionary:
P نيفه nefa = P نيفا nefā [prob for newa = Zend naêma; S. नेम; but cf. S. नीवि], s.m. A place at the top of the drawers through which the string passes that fastens them round the loins;—a seam;—a breeches-belt or strap.

نيك नीक nīk

अजित वडनेरकर said...

@बलजीत बासी
इन शब्दों के अंतर्संबंध पर एक पोस्ट करीब पांच साल पहले लिख चुका हूं जो दैनिक भास्कर के साप्ताहिक कॉलम शब्दों का सफर में प्रकाशित हुई थी। यह याद नहीं आ रहा है कि इसे ब्लाग पर प्रकाशित किया है या नहीं। जल्दी ही इसे डालता हूं। वैसे नल् या नड् धातु से इनका संबंध नहीं है।

Baljit Basi said...

I am not talking of their relationship. I am just asking if we have any word in Hindi for channel thru which 'nada' passes like 'nefa' in Punjabi. For Hindi nada, the string itself, Punjabi equivalent is 'nala'.

अजित वडनेरकर said...

@ बलजीत बासी
आपने दिलचस्प बात कही है। पश्चिमोत्तर भारत की हिन्दी में भी अधोवस्त्र के नाड़े या इजारबंद को बंधने के स्थान को नेफा कहते हैं। हमारी माताजी के मुंह से अक्सर यह शब्द सुना है। वे हरिद्वार की हैं जहां की हिन्दी पर पश्चिमी प्रभाव ज्यादा है। नेफा मूलतः इंडो-ईरानी परिवार का शब्द है। यूं तो फारसी से आया शब्द है पर इसके मूल में नाभि को पहचाना जा सकता है। शरीर का मध्यबिन्दु नाभि है। कमरबंद या इजार बंद को बांधने की जगह नाभि से ही तय होती है। संस्कृत का नीवि शब्द भी इसी श्रंखला में आता है जिसका अर्थ कमर से ऊपर बांध कर पहने जाने वाला वस्त्र, गठान, इजारबंद, नाड़ा आदि होता है। संस्कृत के नीविबंध शब्द से जाहिर है कि लहंगानुमा एक पोशाक नीवि कहलाती थी। पंजाबी में ही नहीं, कुछ अन्य क्षेत्रीय भाषाओ में भी नाला या नाल का अर्थ नाड़ा अर्थात रस्सी,
चेन या श्रंखला होता है। मालवा, जहां मैं रहा हूं, चेन या श्रंखला के लिए नाल शब्द सुनता रहा हूं। जहां तक मैं समझता हूं, नाल गड़ना मुहावरे का अभिप्राय नाभिनाल, नाभिसूत्र या जन्मनाल से है। इसका घोड़े की नाल से संबंध नहीं है। नाल के जरिये ही ( प्लेसेंटा ) ही दरअसल शिशु और मां के बीच जैविक संबंध रहता है। जन्म के बाद भी यह नाल शिशु की नाभि से जुड़ी रहती है, जिसे बाद में अलग कर गोपनीय स्थान पर रख दिया जाता है। यह नाल एक किस्म के जुड़ाव का प्रतीक होती है।

sudarshan said...

कई दिन की व्यस्तता के कारण यह कॉलम नहीं पढ़ पा रहा था लेकिन आज जैसे ही समय मिला इसे पढ़ने से अपने को नहीं रोक सका। कॉलम में नाड़ी का अर्थ जो बताया है वह अब तक की मेरी सोच या ज्ञान से बिल्कुल अलग है। मेरे लिए इसके बारे में कल्पना करना भी संभव नहीं था। यह जानकारी भी रोचक के साथ ही महत्वपूर्ण थी कि पाइप या जल प्रवाह के साधनों की उत्पत्ति के मूल में वे वनस्पतियां या पेड़ पौधे हैं जो अंदर से पोले हैं। इस लेख से एक घटना भी ताजा हो गई। मेरी मां एक अध्यापिका है और वे स्कूल से पेपरों की कॉपी घर ले आती थी एक बार एक कॉपी देख रहा था तो पता चला कि एक लड़की ने जल प्राप्ति के साधनों में जेट पंप, पानी की मोटर, फ्रिज और घड़े जैसी चीजें लिखी थीं। यह उसकी नितांत मूर्खता या अज्ञानता हो सकती है लेकिन जिस तरह हम लगातार आधुनिकता और तकनीकी उन्नतिकरण की दौड़ में शामिल हुए हैं संभव हैं आने वाले समय में बच्चों को इस बात का अहसास भी न हो कि पाइप, नाड़ी या नलिनी शब्द के मूल में क्या है ऐसे में यह कॉलम उनके लिए बेहतरीन मार्गदर्शक साबित हो सकता है। मेरा मानना है कि आज लिखा गया हर शब्द कल इतिहास होगा।

नीचे दिया गया बक्सा प्रयोग करें हिन्दी में टाइप करने के लिए

Post a Comment


Blog Widget by LinkWithin