हिन्दी अंग्रेजी के ये दोनों शब्द एक दूसरे के पर्याय है और हिन्दी में खूब प्रचलित हैं। दिलचस्प बात ये है कि औषधि और उपचार से जुड़े इन दोनो ही शब्दों का जन्म इंडो-यूरोपीय मूल से हुआ है।
सबसे पहले बात चिकित्सक की। इसकी उत्पत्ति संस्कृत की प्राचीन धातु कित् से हुई जिसमें जानने का भाव छुपा है साथ ही स्वस्थ करने का भी। इससे बने केतु शब्द का अर्थ है कांति , प्रकाश आदि। जाहिर है ज्ञान और प्रकाश दोनों का भाव भी एक ही है। कित् का ही एक लोकप्रिय रूपान्तर चित् भी है जिसका अर्थ हुआ प्रज्ञा-बुद्धि-ज्ञान। इससे बने चित्त का अर्थ है मन-हृदय, जाना हुआ, समझा हुआ आदि। चेतन शब्द भी इसी से बना है जिसका अर्थ हुआ स्वस्थ, जागरूक मनुश्य। रोगोपचार का उद्धेश्य भी अस्वस्थ मनुश्य में चेतना लाना ही है। जाहिर है इन तमाम शब्दों के सन्दर्भ में चिकित्सा का जो अर्थ निकलता है वह है रोग का निदान, औषधि-उपचार और चिकित्सक का अर्थ हुआ वैद्य, हकीम या डाक्टर।
अब बात डाक्टर की। अंग्रेजी का यह शब्द इंडो-यूरोपीय मूल के शब्द dek से जन्मा है जिसका अर्थ भी शिक्षा, ज्ञान से जुड़ता है। इस डेक की रिश्तेदारी संस्कृत की धातु दीक्ष् से है जिससे बने दीक्षक:,दीक्षणम् और दीक्षित जैसे शब्दों के अर्थ हैं शिक्षक, शिक्षा देना तथा शिक्षित। इंडो-यूरोपीय धातु डेक से बना लैटिन में डाक्ट्रीना शब्द जिसने अंग्रेजी में डाक्टर यानी चिकित्सक के अर्थ में अपनी जगह बनाई।
Monday, September 3, 2007
डॉक्टर दीक्षित और चिकित्सक
प्रस्तुतकर्ता अजित वडनेरकर पर 2:15 AM
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9 कमेंट्स:
अरे वाह! कितने दीक्षित मित्र हैं और डाक्टर बैद होने से उनका दूर दूर का लेना देना नहीं है. अब मिले तब बतायेंगे कि भैया घास क्यों खोद रहे हो!
वाह, चित्त प्रसन्न हो गया।
बढ़िया जानकारी..
अच्छा तो ये बात है? मैं जानता नही था.. जानकारी बढ़ाने के लिये धन्यवाद... !!
सचमुच शब्दों की उत्पत्ति, विकार तथा विकास का बहुत अच्छा और उपयोगी विवरण प्रस्तुत कर स्तुत्य सेवा कर रहे हैं। किन्तु व्याकरण के पाँच अंगों(1.वर्ण,2.शब्द, 3.पद, 4. वाक्य, 5. अर्थ) में शब्द दूसरी सीढ़ी है, जबकि पहली सीढ़ी देवनागरी लिपि के 'वर्ण' (या अक्षर) ही कालक्रम में अत्यन्त विकारग्रस्त होते होते अब तकनीकी दृष्टि से अत्यन्त जटिल(complex) हो गए हैं, जिनका पुनरुद्धार किए बिना पिछड़ापन दूर नहीं हो सकता।
सचमुच शब्दों की उत्पत्ति, विकार तथा विकास का बहुत अच्छा और उपयोगी विवरण प्रस्तुत कर स्तुत्य सेवा कर रहे हैं। किन्तु व्याकरण के पाँच अंगों(1.वर्ण,2.शब्द, 3.पद, 4. वाक्य, 5. अर्थ) में शब्द दूसरी सीढ़ी है, जबकि पहली सीढ़ी देवनागरी लिपि के 'वर्ण' (या अक्षर) ही कालक्रम में अत्यन्त विकारग्रस्त होते होते अब तकनीकी दृष्टि से अत्यन्त जटिल(complex) हो गए हैं, जिनका पुनरुद्धार किए बिना पिछड़ापन दूर नहीं हो सकता।
प्रिय अजीत,
आपने लिखा "मैं न भाषा विज्ञानी हूं और न ही इस विषय का आधिकारिक विद्वान। अभी तो सफर शुरू ही किया है। "
बहुत अच्छी बात है. सहस्त्रकोसी यात्रा पहले कदम से ही तो चालू होता है. लिखते रहें. यह मेरे इष्ट चिट्ठों मे से एक है क्योंकि आप काफी उपयोगी जानकारी प्रदान कर रहे हैं -- शास्तफिलिप
मेरा स्वप्न: सन 2010 तक 50,000 हिन्दी चिट्ठाकार एवं,
2020 में एक करोड हिन्दी चिट्ठाकार !!
चालू होता है=चालू होती है
चित चक्षु खुल गये. आभार जानकारी के लिये.
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