हिन्दुस्तानी संगीत के तीन मुख्य स्वरूप है –लोक संगीत, शास्त्रीय संगीत और उपशास्त्रीय संगीत। उपशास्त्रीय संगीत की ही ठुमरी, टप्पा के अलावा एक खास शैली है दादरा । संगीत की दुनिया में दादरा एक ताल भी है और गायन शैली भी। अन्य शैलियों के गायन की तरह दादरा को भी खूब दाद मिलती है। सवाल है ये दादरा शब्द आया कहां से ? क्या है इसके मायने ? चलिये , आज सफर पर चलने की बजाय गोता लगाते हैं । शब्दों का दरिया भी तो होता है न !
पहले बात दादरा ताल की । यह छह मात्राओं की ताल है जिसके बोल हैं -
धा-धी-ना, धा-ती-ना
जो लोग संगीत के शौकीन हैं वे जानते हैं कि ताल में घोडे
की दुलकी चाल का आनंद अगर मिलता है तो इसी धा-धी-ना,
धा-ती-ना की बदौलत मिलता है।
अब बात दादरा शैली के गायन की। दादरा गायन उत्तर भारत की प्रायः सभी संस्कृतियों में लोक शैली के रूप में भी गिना जाता है। इसे मध्यप्रदेश , छत्तीसगढ़ और झारखंड के कुछ इलाकों में ददरिया भी कहा जाता है और पहाड़ी शैली का गायन माना जाता है। उपशास्त्रीय संगीत शैली के तौर पर दादरा की पहचान लालित्यर्ण गायनशैली के तौर पर होती है। दादरा को ठुमरी जैसा ही माना जाता है और अकसर ठुमरी के साथ दादरा गाया ही जाता है। प्रसंगवश बता दें कि बुजुर्गों ने ठुमरी और दादरा के बारे में बड़ी दिलचस्प बात कही है। ठुमरी यानी नदी किनारे गीले वस्त्रों में खड़ी सद्यस्नाता और दादरा यानि
दर्द । सो , ठुमरी जब चलती है तो दादरा बन जाती है....... ! बहरहाल ये तो हुई महफिल की बात।
अब देखें उत्पत्ति। संस्कृत में एक शब्द है ददः जिसका अर्थ होता है पर्वत, पहाड़, उपत्यका आदि। इसी तरह इसका एक अन्य अर्थ भी है उपहार, दान वगैरह। ददः से ही बना दादर जिसका मतलब हिन्दी की कुछ लोकबोलियों में पहाड़ होता है। मूलतः इसे बटोहियों का संगीत कहना ज्यादा आसान होगा । पहाड़ी दु्र्गम रास्तों पर चलते हुए सफर को आसान बनाने के लिए बटोही संगीत का आश्रय लेते रहे हैं, इसी से ये शब्द चल पडे होंगे जिन्होंने बाद में शैली का रूप ले लिया। ददरिया या दादरा जैसे शब्दों में पहाड़ी संगीत की बात यहां आकर साफ होती है। दरअसल इस गायन शैली को शास्त्रीयता के कट्टर लोगों द्वारा किसी ज़माने में चलताऊ कहा जाता था जो कहनें मे गलत था मगर यूं चलते-चलते संगीत के अर्थ में समझें तो सही है !
संस्कृत के ददः से ही बना दादः जिसका मतलब हुआ देने वाला या दानी । गौर करें कि प्रशंसा करने के अर्थ में हिन्दी उर्दू में अक्सर एक शब्द बोला जाता है दाद देना । देने का भाव तो दाद में खुद ही शामिल है । यह शब्द फारसी का है और इसका अर्थ भी दान करना, प्रशंसा करना , बख्शीश देना या कुछ भी देना है। यह इसी दादः से बना है। तो ज़ाहिर है कि दाद और दादरा में तारीफ और पीठ तपथपाने की रिश्तेदारी कुछ यूं ही नहीं है। एक ही कोख से जन्म हुआ है दोनों का !
सफर का ये पड़ाव आपको कैसा लगा ? पसंद आए तो टिप्पणी ज़रूर लिखें । हौसला बढ़ता है। हम अभी भी अपना ब्लाग नहीं देख पा रहे हैं ।
अगले पड़ाव में ददरिया के बारे में
19 कमेंट्स:
धा-धी-ना, ता-ती-ना
क्या कहना!! क्या कहना!!
--बहुत खूब!! बड़े गहरे जा जा कर शब्द पकड़ रहे हैं आप. आपका प्रयास साधुवादी है.
आपके प्रयास का क्या कहना,
धा-धी-ना, ता-ती-ना
--जारी रखें. आभार.
अजितजी,
आप अपना कार्य जारी रखें, मौका मिलते ही आपकी नई पुरानी सभी प्रविष्टियाँ पढ़ लेता हूँ लेकिन अब आगे से टिप्पणी भी करता रहूँगा |
साभार,
आनन्दम. बहुत अच्छी जानकारी दी आपने.
शब्दों के सफ़र के साथ-साथ ये जो 'साइट सीन' का आनंद मिलता है यहॉं आकर वो वास्तव में अद्भुत है। बहुत सुन्दर !
भाई आपका शोध गज़ब है.. चलिये हम दादरा पर दाद ज़रुर देंगे पर इस लेख पर मेरी दाद कबूल करें.
बहुत आनंद आया पढ़कर ।
वाह ! बहुत बढ़िया
bahut accha maja aa gaya,, jankari badhane ka shukriy,, hum aapke ise kaam ki daad dente hain..
pankaj mukati
अजित जी, दाद क़बूल फ़रमाएँ.
आपके सारे लेख पढ़ता हूँ. टिप्पणी न देने पर भी "शुक्रिया" माना जाए :).
बहुतख़ूब दादा .संगीत के बारे में जानकारी हासिल करना कभी भी सुखद ही लगता है .बहुत बढ़िया जानकारी थी.पता नही आप मराठी का सा रे गा मा देखते हो या नही .पर उसमे भी संगीत से जुड़ी कई बारीकियों के बारे में बताया जता है,बढ़िया लगता है.टेक्नीकल भाषा तो समझ नही आती पर सुनने से ज्ञान जरूर बढ़ता है.
बहुत बहुत बहुत बढिया ..........
बहुत बहुत बहुत बढिया ..........
Wah dada,Bahut badhiya.
Bus ek bat kahana chahungi ki DHA- DHI -NA, TA- TI-NA nahi DHA-DHI -NA, DHA- TI -NA Hain
Bahut khub Balu!shabdon ke safar ke sath sangeet ka bhi gyan badhe isase accha kya ho sakta hai.
शुक्रिया radhika, दरअसल ये की बोर्ड मिस्टेक थी। और हां, ये लेख लिखते वक्त मुझे तुम्हारा स्मरण था कि ये तुम्हें पसंद आएगी। तुमने शायद गौर नहीं किया होगा आरोही के साथ दादरा का भी संबंध पहाड़ से जुड़ा। यानी सागीतिक शब्दावली की पर्वतों से रिश्तेदारी है :)
sarahana ke lie aap sabhi sudhi pathakon kaa bahut bahut aabhaar .
अजित भाई इतनी आसानी से यदि शास्त्रीय संगीत के विभिन्न सोपानों की चर्चा होती रहे निश्चित ही इसके दिन फिर सकते हैं . आइये दादरा गाने वाले कलाकारों के कुछ नामों की भी याद कर लें:सिध्देश्वरी देवी,रसूलन बाई,बेगम अख़्तर,रोशनाआरा बेगम,शोभा गुर्टू,गिरजा देवी,निर्मला देवी और हाँ पुरूष स्वरों में पं.वसंतराव देशपांडे.दादारा से रूबरू करवाने के लिये मन की गहराई से दाद क़ुबूल फ़रमाएँ.
आपने बहुत सुन्दरता पूर्वक शब्दोत्पत्ति के बारे में लिखा है . इसको जारी रखें.
This article offers clear idea in support of the new visitors of blogging, that actually how to do blogging and site-building.
My page :: give it a try
Post a Comment