Thursday, November 12, 2009

मियांगीरी मत करो मियां [मध्यस्थ-1]

ज़रूर पढ़े-1.बावला मन… करे पिया मिलन2.औलिया की सीख, मुल्ला की दहशत3.बिलैती मेम, बिलैती शराब और विलायत

मि यां एक ऐसा संबोधन है जिसे
‘देख हमारे माथे पर ये, दश्ते-तलब की धूल मियां, हम से है तेरा दर्द का नाता देख हमें मत भूल मियां
मुस्लिम संस्कृति का समझा जाता है मगर इसका इस्तेमाल बड़ी बेबाकी के साथ किसी के साथ भी कर लिया जाता है। यह एक आदरसूचक शब्द है और फारसी लफ्ज है, जो इंडो-ईरानी मूल से जन्मा है। भाषाशास्त्रियों नें इसे प्रोटो इंडो-यूरोपीय मूल का शब्द माना है तथा इसकी रिश्तेदारी कई यूरोपीय भाषाओं के शब्दों में खोजी है। श्रीमान या मान्यवर के अर्थ में आमतौर पर इसका इस्तेमाल होता है, जैसे क्यों मियां! इसे आदरसूचक के तौर पर किसी भी नाम के साथ उपसर्ग या प्रत्यय के रूप में लगाया जाता है जैसे मियां शम्सुद्दीन या अली मियां। मियां शब्द के मुहावरेदार प्रयोग भी दिलचस्प  हैं और हिन्दी उर्दू में खूब प्रचलित हैं जैसे बड़े मियां यानी बुजुर्ग, गुरु, अधिष्ठाता, अधिकारी और छोटे मियां यानी कनिष्ठ, बच्चा या सहायक। जैसे को तैसा के अर्थ में मियां की जूती, मियां के सिर कहावत भी प्रचलित है। बड़ों की देखादेखी छोटों के उल्लेखनीय बर्ताव के लिए बड़े मियां तो बड़े मियां, छोटे मियां सुब्हानअल्लाह भी खूब सुना, कहा जाता है।
मियां की व्युत्पत्ति अवेस्ता के मदिया से मानी जाती है। इसका संस्कृत रूप है मध्य। मियां में जो अनुनासिकता आ रही है वह मध्य के मध्यं रूप से है। मध्यं >मज्झम>मंझा या मांझा। समझा जा सकता है कि यह रूपांतर मदिया > मइया> मियां के क्रम में हुआ होगा। गौरतलब है कि संस्कृत के मध्य का अर्थ बीच का होता है। प्राचीन भारोपीय भाषा परिवार की एक धातु मध्यो medhyo से ही संस्कृत के मध्य, अवेस्ता के मदिया की रिश्तेदारी है। इसके अतिरिक्त अंग्रेजी का मिडिल middle, ग्रीक का मैसो messos, लैटिन का मिडियस medius, गोथिक का मिडिस midjis और आरमीनियाई का मेज mej भी इसी मूल से जन्मे हैं।
ध्य के संदर्भ में मियां शब्द का मतलब है untitledप्रतिष्ठित व्यक्ति, न्यायकर्ता, पंच, हाकिम, वली आदि। उपरोक्त सभी विशेषणों के लिए फारसी में मियांजी शब्द प्रचलित है। गौरतलब है सभा में प्रतिष्ठित व्यक्ति सबके बीच बैठता है। पंचायत में सरपंच की जगह सबके बीच होती है। किसी भी सभा, गोष्ठी या महफिल में अध्यक्ष या सदर बीचोंबीच ही विराजते हैं। दूसरे अर्थ में मध्य यानी मध्यस्थ या मिडिएटर। यहां भी पंच की मिसाल दी जा सकती है। आमतौर पर पंच या प्रमुख व्यक्ति आदरणीय ही होता है और वह लोगों के बीच जाकर उनकी समस्याओं को सुनता है, झगड़ों में बीचबचाव करता है और उन्हें सुलझाता है। किसी मामले में अनचाही दखलंदाजी के लिए भी जबर्दस्ती पंच बनना जैसा मुहावरेदार वाक्य बोला जाता है। जाहिर है पंच का काम मध्यस्थता ही है। स्वामी, पीर, औलिया आदि प्रसिद्व व्यक्तियों के नामों के साथ भी मियां शब्द जोड़ा जाता रहा है। दरअसल आध्यात्मिक गुरु सामान्य मनुष्य और ईश्वर के बीच मध्यस्थ माना जाता है। उसे ईश्वरीय दूत समझा जाता है। जाहिर है दूत की भूमिका दो बिन्दुओं के बीच मध्यस्थ की ही होती है, इसीलिए उसमें आदर निहित है। फारसी का बहुप्रचलित प्रत्यय गीर है जो हिन्दी में भी खूब प्रचलित है। इसका मतलब होता है रखना, धारण करना, संभालना। इससे बने दादागिरी, बाबूगिरी, गांधीगिरी, नेतागिरी जैसे शब्द खूब चलते हैं। ये अलग बात है कि गीर प्रत्यय का हिन्दी में अज्ञानतावश गलत प्रयोग होता है। इसका सही रूप है गीर या गीरी। फारसी में एक मुहावरा है मियांगीरी करदन अर्थात मियांगीरी करना। इसका एक रूप मियांजीगरी भी मिलता है। मतलब साफ है- पंच या मध्यस्थ बनने की कोशिश करना। जाहिर है मियां का बड़ा रुतबा भी इसमें नज़र आ रहा है। miyan इसमें भाव प्रमुख, प्रतिष्ठित व्यक्ति का ही रहा। फारसी उर्दू में निरपेक्ष भाव से मियां का प्रयोग ईश्वर, अल्लाह के लिए भी होता है जैसे अल्लाह मियां। उर्दू के प्रसिद्ध शायर इब्ने इंशा की एक प्रसिद्ध ग़ज़ल का काफिया ही मियां है जिसमें अल्लाहताला  की ओर ही संकेत हैं- देख हमारे माथे पर ये दश्त-ए-तलब की धूल मियां / हम से है तेरा दर्द का नाता, देख हमें मत भूल मियां
मियां शब्द में जो मध्य या बीच का भाव है वह फारसी के दरमियां (दरमियान, दरम्यान, दर्म्यान) में भी स्पष्ट हो रहा है। फारसी के दर उपसर्ग में ‘ के भीतर’, ‘अन्दर’, ‘शामिल’ जैसे भाव हैं। दर–मियान में सापेक्ष भाव है जिसका अर्थ हुआ ‘के बीच में’, इसके अलावा इसमें मध्यम, मंझौला, औसत जैसा भाव भी शामिल है जैसे दरमियाना क़द। किन्ही दो बिन्दुओं के बीच की स्थिति बताने के लिए दरमियान शब्द का प्रयोग होता है। मियान में बीच का भाव पोले, चौड़े और खाली स्थान के अर्थ में और खुला। इसमें कोश, भंडार, गोदाम का भाव शामिल हो गया। पुरानी शैली के मकानों में दो मंजिलों के बीच एक छुपा हुआ कक्ष भी बनाया जाता था जिसे मियानी कहते थे। दरअसल फारसी के मियांसरा शब्द से मियानी निकला है। मियांसरा का अर्थ होता है महल (सरा, सराय) के बीचोंबीच का स्थान। सलवार या पायजामा जैसे वस्त्रों में दोनों पाँयचों को जोड़ने वाले कपड़े को भी मियानी ही कहते हैं क्योंकि इसकी स्थिति बीचोंबीच रहती है। तलवार रखने की जगह म्यान कहलाती है जो इसी मूल से उपजा शब्द है।
-जारी

ये सफर आपको कैसा लगा ? पसंद आया हो तो यहां क्लिक करें

16 कमेंट्स:

Udan Tashtari said...

बहुत आभार मित्र.

Himanshu Pandey said...

गीर प्रत्यय के बारे में बेहतर पता चला ।

जेहन में एक शब्द आया - राजगीर ।

RDS said...

शुक्रिया, बडे मियाँ !!

Khushdeep Sehgal said...

अजित जी,
आपने आज मेरी एक बहुत बड़ी उलझन दूर कर दी....मैं गांधीगिरी या गांधीगीरी में से क्या सही है, इसे लेकर चक्कर में पड़ा रहता था...आज आपने गीर शब्द का सही अर्थ और प्रयोग बताकर मेरी दुविधा दूर कर दी...

जय हिंद...

दिनेशराय द्विवेदी said...

ब्लागीर और ब्लागीरी सही है मियाँ।
हमारे यहाँ भारतीय संगीत में तो बहुत सी रागें, मियाँ की तोड़ी, मियाँ की मल्हार आदि हैं, जिनको रचने का श्रेय तानसेन को है। मियाँ तानसेन के लिए एक उपाधि थी जिसे उन्हों ने स्वीकार कर लिया था और लोगों ने भी। तभी उन की सब रचनाएँ मियाँ की कहलाती हैं।

dhiru singh { धीरेन्द्र वीर सिंह } said...

आजकल के मियाँ खास कर हमारे बरेली के , मुसलमान वोटो की मध्यस्ता करते है .

kshama said...

बहुत कुछ पता चला, लेकिन दो बार और पढना होगा...कुछ पंक्तियाँ लिख लेनी होंगी तभी पूरी तरह से याद रहेगा..मियाँ के इतने सारे प्रयोग आपने बताएँ,हैं, की, मज़ा आ गया...कुछ भी नहीं पता था, एक दो छोड़..

शोभना चौरे said...

abhi aaram se pdhugi

पंकज said...

देखिये, ज्ञान कैसे भाव बदल देता है, जिसमें शब्द को सब धर्म से जोड कर देखा जाता है वह बिल्कुल सेकूलर निकला.

Anonymous said...

अद्भुत !!अमित

Mansoor ali Hashmi said...

# ख़ूब अच्छे से समझाया मियाँ,
उलझो को कई सुलझाया मियाँ,
पीरो से परिचय करवाकर,
पंचो को सही बिठलाया मियाँ.

#छोटे अब होते बड़े मियाँ,
और खोटे होते खरे मियाँ,
कभी मियाँ* ढूँढ़ते शमअ को,
अब kshama* है खुश कि मिले मियाँ.

*परवाने
* ब्लॉगर

Ashish Anchinhar said...

अच्छा हैं,मगर इंशा की गजल में मियां काफिया नही रदीफ के रूप में आया हैं जरा गौर फरमाये मियां |

Abhishek Ojha said...

मैं पूछने वाला था कि क्या म्यान भी इसी से आया है. अंत में वो भी दिख गया, लगने लगा था एक पैरा पहले ही की ये शब्द आने वाला है :)

अजित वडनेरकर said...

@आशीष अनचिन्हार
सही है मियां, आपकी बाद दुरुस्त है।

रंजना said...

हमारे तरफ गावों में मियां आज भी विसुद्ध रूप में मुस्लिमो के लिए ही प्रयुक्त होता है....

बहुत ही ज्ञानवर्धक शब्द विवेचना....आभार स्वीकारें....

व्यस्त्तावस ब्लॉग विचरण बाधित है इन दिनों...सहूलियत होते ही सभी पोस्ट पढना शुरू करुँगी...

Anonymous said...

There is a word in Punjabi 'miani'which means a small room built in between two storeys or under the stairs
Baljit Basi

नीचे दिया गया बक्सा प्रयोग करें हिन्दी में टाइप करने के लिए

Post a Comment


Blog Widget by LinkWithin